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प्रभाती करनल मां री Karni Mata Prabhati Chirja करणी माता प्रभाती चिरजा लिरिक्स


Karni Mata Prabhati Chirja Lyrics
 

     करणी माता प्रभाती  चिरजा 

            लिरिक्स




संकट हरणी सेवकां , वरणी जग विख्यात ।
तूं सदा तारण तरणी , ममता करणी मात ।
जागो जूनी जोगणी , अरियां दळणी आप ।
आवड़ आवड़ आखता , सगळौ कटे सँताप ।
तूं भव सागर तारणी , हरणी विघन हजार ।
चित चारणा चितारणी , आप लिया अवतार ।
निर्भय राखण नेसड़ा , नमो नाम नवलाख ।
सकवी कुळ सिवरी सदा , साची राखण साख ।
सुप्रभात जाणी सदा , जागो तुम जगराय ।
जागो करनल जोगणी , सेवक करणी साय ।




     ।। प्रभाती करनल मां री ।।

सोर प्रभाती सुणो सुख सरणी  जागो हे अब जगदंबा अम्बां।
भाव सुणो भगती मन भावन   तुम जागो करनल किनियाणी  ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बा जागो धर्म पत धणियायी ।
मां जागो करनल किनियाणी ।(१)

भोर भई  है मात भवानी वरदा सुणो मां सुर वाणी ।
शिव ब्रम्हा विश्णु सुख साधत     पिण्ड पखाळो पवित पाणी ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बां ,मां जागो धर्म पत धणियाणी ।
मां जागो करनल किनियाणी ।(२)

हिगलाज अवतार लिया हजारां मां वरणी पातां वेद वखाणी ।
शिव घरणी सरणी जन सहायक मां उर ममता री ओळखाणी ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बां , मां जागो धर्म पत धणियाणी ।
मां जागो करनल किनियाणी ।(३)

नवरात्री नवेलाख नवेली नवखंड  नवधा धायी तोय धणियाणी ।
कण कण में कळा करनल री विधाता वरदान वखाणी ।
जागो जागो जागो मां जगदंबा अम्बां मां जागो धर्म पत धणियाणी ।
मां जागो करनल किनियाणी ।(४)

कव अम्ब अटल आपरे आसरे   परचा पद पद परम पहचाणी ।
करणी करनी किरपा करणी साय सदा नंद सुरवाणी ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बां मां जागो धर्म पत धणियाणी ।
मां जागो करनल किनियाणी ।(५)
आम्बदान जवाहरदान देवल



करनल इंदर कामई आवड़ आई नाथ
मोगल खोड़ल मामई शेणल देवल साथ।।
विरवड़ राजल वीशहथ हे देवी  हिंगलाज।
सभाई चंदू सर्वहित कोम उजाळण काज।।
देमां सीलां देवियां गीगाई गुण गाय।
गोमां जोमां गावतों हरियों नम हरखाय।।
वीरों कलू न  विसरिये मालण दे महमाय।
सोनला लूंग सगतियाँ आधे हेले आय।।
राजन झणकली

।। मतगयंद सवैया ।।  
  
मात करो किरपा करणी हम बालक तोय बुलाय रहे हैं ।
मां मढ आय हुवे मन हर्षित शीश नवाय मनाय रहे हैं ।
सारद कारज सार सदा हम सेवक जोत जगाय रहे हैं ।
शेर चढ़ी झट आ सगती चिरजा हम चारण गाय रहे हैं ।।
   सत्येन्द्र 


सोरठा
पातां तणी पुकार, ऐळै न गई अंबिका।
वैगी करवा  वार, बाघ खैड़ो वीसहथी।
छंद हरिगीतिका

विश्व व्याप्यो एक विषाणु, बेलविष चौदिस बधी
थथुम्बा दे विज्ञान थाक्यो, और नाहीं औषधी।
सांसे माय सँसार सारो, पीड़ा अदभूत पड़ी।
छिनछिन पुकारे मात छोरू, मेट कष्टा मावड़ी।

भीड़ जद जद पड़ी भगतां, देर ना की देवियाँ।
विपदा मेटै झट वीसहथी, साचै रिदे सेवियाँ 
हाजर हुओ माँ हेक हेले, चारणी सिंहां चड़ी।
छिनछिन पुकारे मात छोरू, मेट कष्टा मावड़ी।

अधरात डस्यो जद भ्रात अहि, अरध निंद्रा आवतां।
पताळ पूगी लैण पीयूष, लगी न देर लावतां।
उण भांत वेली आवजै अंब, लाख री ले लोवड़ी।
छिनछिन पुकारे मात छोरू, मेट कष्टा मावड़ी।

गरब छोड़ जद दौड़  गड़सी, आयो शरण आपरी।
अंब मेटी पीड़ झाड़ अमी,  पूरब क्रम्म पाप री।
उण भांत मात झारै अमरत, जाणां न बूटी जड़ी।
छिनछिन पुकारे मात छोरू, मेट कष्टा मावड़ी।

 सरोवर समायो सुतलाखन, कूक जद काने पड़ी।
हड़हड़ हसी बोल हाको, कुलिश समान कड़कड़ी।
सुतलाखन जैम राख शरणै, जीव री जाणै जड़ी।
छिनछिन पुकारे मात छोरू, मेट कष्टा मावड़ी।

कमधज्जां संग कपट कीधो, मलेछ भेज मूँदड़ी 
सुण पीथल तणी साद सगती,चीलबण अंबर चड़ी
इणवार अँबा राखो अवस, लाख बातां लाजड़ी।
छिनछिन पुकारे मात छोरू, मेट कष्टा मावड़ी।

रावळी शरण दास रिड़मल्ल, जरणी वास जाँफली।
अरजी चरण आपरै अंबा, भवां नित करजै भली।
तांण लोहड़ी तारण तरणी,  सगत राखै छाँवड़ी।
छिनछिन पुकारे मात छोरू, मेट कष्टा मावड़ी।
छप्पय-
पातां तणी पुकार, आफत मिटावण अंबा।
पातां तणी पुकार, एक तू ही अवलंबा ।
पातां तणी पुकार, आव सुणतां अविलंबा।
पातां तणी पुकार, भवां उबार भुजलंबा।
आप बिना न आसरो अवर, किण आगळ विणती  करां ।
वेल रिड़मल रै वीसहथी, संकट मांय जद सिमरां।
रिड़मलदान चारण

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