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श्री करणी शतक करणी दोहा शतक Karni Mata Doha करणी माता दोहा लिरिक्स




Karni Mata Doha  करणी माता दोहा 

          लिरिक्स                

*श्री करणी शतक* 

  *रणजीत सिंह रणदेव चारण मूण्डकोशियाँ*

*गणपति तोरे गुण गऊं, पहला लागू पाय।* 
*महेश सुत मंगल करो ,,साथे करों सहाय।।1।।* 
*शारदा बणों सारथी, गाऊं तौरे गान।* 
*शक्ति दूहा वरण करूं, सद्बुद दो संज्ञान।।2।।*




🙏🚩 *करणी दोहा शतक* 🚩🙏

सुख देवण निज सेवगां, धरया धरती पाय। 
कलह: मिटावण करनला,,सगती माँ सुरराय।।१।।
मेहें जा हिंगलाज में, कियों तपन रो काज। 
सुण गल्ल आ स्वरूपी,आई माँ हिंगलाज।।२।।
चवदा सौ चौमालिसां, कुल चारण करणाय। 
शुक्र आसोज सप्तमी,,आश्विनी शुक्लाय।।३।।
मेहे प्रकटी मावडी,सेवग सुण अरदास।
गढवीं वाला गांव में,,आशा पूर्णी आस।।४।।
कलजुग माही करनला,, माँ देवल उदराय। 
ग्राम स्वाप मेहे घरा,,सगती आ सुरराय।।५।।
राजपूती अखू रही, दाई बणकर दोय। 
जन्मी अंबा जौगणी,,सगत परम हित सोय।।६।।
दिव्य चतुर्भुज दर्शना, दें आढी ने आप। 
रखण मान निज मेह रों,स्कल मेटण संताप।।७।।
आ रिधु बाईं आंगणै, बोल दरषण बताय। 
देखियों परचों देवलां,,सागै साग शक्ताय।।८।।
भुआ टोसों के भर्यों,बांको हाथ बणाय। 
कांढत जुआं सही कियों,,सगती आ सुरराय।।९।।
पाँच बहन पहल जलमी, सिधु लाला फूलाय। 
केहर गेंद फिर करनला,,सगती आ शुक्लाय।। १०।।
सांप खेता म्हें सेंठो, मेहोजी पग माय। 
कियों संजीवण करनला,,सगती आ शंकराय।।११।।
रिधु बाई देख करनी, नाम करणी बुलाय। 
तारे स नांव तारणी,सगती आप स्मराय।।१२।।
माता ले छाबडी म्हें, जावत खैतां जात। 
दो रोटी एकक दही,पिता लिए प्रभात।।१३।।
राह आ पुगल रावजी , जद ले भातो जात। 
रोटी मांगे सूगन री ,भोज करावें मात।।१४।।
किन्ही किरपा करनला,,भातौं पेट भराय। 
सोचें मनसूं मानवी, चमत्कार करणाय।।१५।।
राव बन्धावें राख्ड़ी, पकडे चरणा पाय।
चिरायु मांगे आसरों,,शैखों लें शरणाय।।१६।।
पकडे पावां पुगल्यों, बणे धरम रो भ्रात। 
अबखी बैलां आवके,मेटज्यों दु:ख मात।।१७।।
हाथां बाधीं झोपडी, करण भक्ति करणाय। 
अराध्य करणी आवडा,सगती आ सर्वाय।।१८।।
चिन्ता मेहे बढ चढी, सगण चिंता सवाय । 
घुम्यों जद गांव गांवां,,मिले नहीं वर माय।।१९।।
मिल्यों नहीं वर मेहे , जोगै वर जद जाय। 
होवे दु:खी ओ हिवडों,,मिलें न कोई माय।।२०।।
थक गयों जद मेहोजी, कृपा करें करणाय। 
तभीं बतावें तारणी,, दु:खी होत जद दुणाय।।२१।।
स्वमुख पिता सूं कयों, करों न चिंता कोय। 
सगपण करों साठीकें,,देपव सागै दोय।।२२।
केलव घर जाय करके , मेहे विनती सार। 
अमल गलावें अंतस री,,सगपण लें संसार।।२३।।
बारात आ बिठव री, , मेहोजी घर माय। 
मित बण देपव मानवी ,करणी जी किनियाय।।२४।।
साथे डायजों सरस, बिठव सह बंधवाव। 
बरतन गेणों चौगुणों,,किनियां कृपा कहाव।।२५।।
मनवारां बढ-चढ मनें, करण पान करतार। 
करणी जावें सासरें,,नमें अश्रु नरनार।।२६।।
समय आ देपव साथें, जौगण करणी जात। 
आसूं करनल आखियां,,सब देखें शरणात।।२७।।
आसूं मेहे आवियां, धर-धर बहतां धार। 
जद जन्मी खुशियां जदी,,अब बह अश्रु अपार।। २८।।
माता देवल मायती, भर करनल ने बाथ। 
कालजों छोडण न कहें,,हिय ना छोडें हाथ।। २९।।
जाल विश्राम जोवियों, करनल आ किनियांण। 
बैठी रथ में बोलकें,, दें नाडा री आंण।।३०।।
जावें देखण लोग जों, नाडों भर सूं नीर। 
भरियों जद माँ भावसूं,,प्यास लगी जद पीर।। ३१।।
ग्लास जल देपव लें ग्यों, सगती सिंह सजाय। 
दरश देपव न देवके,,दिव्य लीलां दशाय।।३२।।
सुथार ढाणी शामकों,पहुंचन रात्रि होय। 
सुथार बेटी सोवगी,,सट उठाव सुरराय।।३३।।
बरात आंगण बंधवे, साठीकें पहुंचाय। 
बैठण ध्यान सूं बिंदणी,,विच्छु अटे घणाय।।३४।।
करणी अटसूं कारणी , मेट साठिका मोय ।
करणी बोल फिर कह्यों,विच्छु अठे ना कोय।।३५।।
स्वेरै सुहागथाल में, स्वागण आइ न सात। 
कहकर मुख सूं करनला,,भेट्या मंदा घात।।३६।।
कह निज मुख सूं करणी,स्वागण रहे न सात। 
कदी न नारियां बैठसी,,मांडी किस्मत मात।।३७।।
काज बतावें सुथारी,चरू किनारों नाप । 
रूखाल दुध राखज्यों,, उफण न दिज्यों आप।।३८।।
चुल्हें पे रख्यों चरूँ, आव लगें उफांण। 
कह निज मुख सूं करनला,, ठहरज ऊंही ठांण।।३९।।
दुध चरूं भरयों देखकर, अणदा बोली आप। 
कई पानी भरयों के, तभी किनारों नाप।।४०।।
कह बोले माँ करनला, अलग जमा इण आज। 
घी अणदा लेंवे जदी, रूके नहीं घी काज।।४१।।
देखत चमत्कार तदी,मांग्यों पुत्र वरदान। 
करजों रक्षा कारणी,, अबकी वेलां आन।।४२।।
कहयों फिर जद करनला, आवे अबकी अप्प। 
पछ करणी पुकारज्यों,,जद आऊंगी जप्प।।४३।।
सुरह ऊबी हैं सारी, तिसी मुखं लिए तोय। 
करणी जा बोल कहयों,, पाणी देओं पिलोय।।४४।।
बोल्या ऊंधा मुख वचन, आपणों कुटुम्ब आज। 
पाणी कयो पीलावण,, गण ऊल्टाही गाज।।४५।।
कहयों गण करनला नें, (की) नीर कुप में नांय। 
पैलं चाह जो पावणीं,, (तो) कुप स्वयं रो खुदाय।।४६।।
करणी देपव सूं कयों, अठसु रूका न अब्ब। 
बास ठौड दूजों बसण,, साथे चालौं सब्ब।।४७।।
अरूबाब अर सुरभी,चल साथ लें चलाय। 
साठीका अब छोड़सी,,बास दूजों बसाय।।४८।।
रखी इच्छा ठहरण री, करनल जी किनियाण। 
बंधालपुल ग्राम में,, जो देणी थी आण।। ४९।।, 
कयों नीर पीलावण को ,तो कुओं पाणी नांय। 
करनल जी तदी कहयों, ज्यों को ज्यों हो जाय।।५०।।
नीर सागर अठे नहीं, धन री नाहीं धाप। 
कह्यों ऐसो वचन कडवों,,तो शक्ति दियों शाप।।५१।।
जगदम्ब आगे बढया, पहूंच्या जांगलपूर ।
दु:खी रिडमल दानवी,, करनला कियो दूर।। ५२।।
कानों जद इणकार कयों, (तो) बोल्यों रिडमल बोल। 
आप पिलाओं अंबका,, देऊं नाडौं खोल।।५३।।
गायां पी आगी डगी, देख्यों रिडमल नीर। 
निठ्यों न खेल में नहीं,, साग चलाई सीर।।५४।।
कयों रिडमल ने करणी, ठहरज दो दिन ठाम। 
रिडमल म्हें थारों राज, थन्नैं देस्यूं थाम।।५५।।
मरग्यों सत्तों दो दिन में, रेग्यों रिडमल राज। 
कहयों सांची करनला,,करस्यूं थारों काज।।५६।।
जांगलू सूं पूर्व ओर ,(जा) माँ पांच कोष दूर। 
ठाम्यों गोल ठाम ऊंही, (जठे) हरी घास भरपूर।।५७।।
पावन धरा पिछाणकर, घणी देखकर घास। 
माता सोच मनडैं,, बसा दियों ओ बास।।५८।।
दहि मथन सुखी खेंजडी, री तौडी माँ डाल। 
होत वृछ उण पल हरियों,,रखण अमर रिछपाल।।५९।।
कानड ने चुगली की, जट-पट चुंगला जान। 
चारैं गायां चारणी,,घौंडा बीहड आण।।६०।।
भेंजे कानों पोलियां, रोकण बीहड घास। 
आवे बीजौं अरजुनों,, परतख करणी पास।।६१।।
बोले करनल ने बोल, आडा - टेडा आय। 
करनल आखी कालकी,,बणा गीद्दड भगाय।।६२।।
उलट कान जद ढिग अया, कानड ना पहचाण। 
बोल्या म्हें अर्जन बीजा,,थाकै पाल्या थाण।।६३।।
कानो देख कुपित हुयों, हुय ताकत सूं ह्रास। 
साम्हेंज बोल सवायों,,घडी मौत बल ग्रास।।६४।।
बोल्यों कानड जा बोल, अटसुं चारणी जांह।
आ धरती म्हारी अटें,,मैं हूं अटकों शांह।।६५।।
करनल समझा कान नें, चारण समध चंचूल। 
म्हें गायां चराऊ अट,,(थारी) धरती करूं न धूल।।६६।।
कानों कयों वीरोटणी,  हमें बतां तो हाथ। 
जादू थारा न चलेंला,,संग म्हें लसकर साथ।।६७।।
मानैं नहीं ओं मुरख्यों, आनिती करें आय। 
करनल कह जा रख करंड,,हाथ सूं गाडैं मांय।।६८।।
करंड उठावण जट कयों,(कानों) पहलवानां रैं पाण।
ओं उठासी म्हारा जणा,,पल में हाथा पाण।।६९।।
जमीं सूं हुय न जवानां, करंड ऊपर जोर। 
करणी तो कारीघरा, गरव मिटायों गौर।। ७०।।
कानौं उठावण करंड , आयौं जद घट मान। 
हिलां न पायों भर रती,, प्रथम सगती प्रधान।।७१।।
बोल्यों चिढ कानड बोल, मतीकर विरोटाण। 
तु होत सगती बढी तों,,(देखे) सुला मौत के पाण।।७२।।
मौत बतादें मानसूं,,   सगती इण संसार। 
बाकी तो जादू विरोटणी,,आई लेवण उधार।।७३।।
बोले काईं ओ बोल,  बंधव ओ बार - बार। 
मोलकर ना मौत को,,(मैं)लिखूं कर्म उपहार।।७४।।
मनें अभी तो मौतकों, इण पल ओ उपहार। 
मैं देखूं मौत म्हारी,, परमात्मा सूं पार।।७५।।
कानड ने जद जोरी कीं, त्रिशूल सूं बणा कार। 
कहयों निज मुख करनला,,इण ने कर तू पार।।७६।।
आसी बण जद मौत आ, उलांगैला लकीर। 
उलांगण जदी आवियों,,धरा कियों माँ धीर।।७७।।
आयो माथे सज हथ्थल, सगती कियो संहार। 
तोड्यों घमंड दुष्ट रों,,मन की मेट मुरार।।७८।।
उण ही घडी आवहीं, कानड री जो मांय। 
किधी अरज करनला सूं,,एकर अम्ब उठाय।।७९।।
साथ अरज कान्ह राणी, मत करों कोप मांय। 
करों सजीवण कान्ह नें,,थाकों जस सब गाय।।८०।।
दाढाली उंही घडी, कियो सजीवण कान। 
जाँजै पाछो मती जांगलू,,जब ही रहसी जान।।८१।।
जो पाछौं देखियों जदी, जावें पाछी जान। 
कान्हों जावत पूरव में,सगत बढावें शान।।८२।।
सत देखण फिर शक्ति रों, गयों एक मील दूर। 
लांघ खेत देखण लग्यों,,शक्ति करत हैं चूर।।८३।।
मार कान्हा मुरख नें, थडा स्थान थपवाय। 
दें शुभ नाम देशनोक,,बाजू नगर बसाय।।८४।।
वंश बढावण आवियां,चंचल चार सपूत। 
जन्म लियों दूजी जननी,,कहाया कर्नल पूत।।८५।।
करण पान भक्ति करनला,मंदर बणा म्हमाय। 
बिन लोग बिन साधन सूं,,रचायी कृपा राय।।८६।।
गजब बणायों शक्ति गोल, छत पर जाल छजाय। 
करण साधना करनला,, मया रहे इण मांय।।८७।।
ओरला रे चारों ओर,बारह कोष बणाय। 
चर सके गाया सारी,,बंध ओरण बसाय।।८८।।
सुत आ च्यारों सगलैं, परतख करणी पास। 
कर सेवा एक महिनें,,भजैं मनहुं विश्वास ।।८९।।
जोधा रे पुत्र पाटवी, विकों नाम बीकाय। 
काका कांधल अर इने , घर सूं करें निकाय।।९०।।
बीकों कांधल बीढवा, जौगें मंढलों जाय। 
आ करणी रख आस,,सगत ने गल्ल सुणाय।।९१।।
दियों वचन माँ ढोकरी, बसावण बीकानेर । 
जाट राज सोले जिन्हें,,भुजबल सूं लों घैर।।९२।।
हौसी जीत थारी हती,आपें माँ आशीश। 
नमा सिर काक भतीजा,,शरणा माहीं शीश।।९३।।
सगती करें सहायता, जीतण वापस आय ।
बीकानेर बीसहथी ,,स्वयं हाथ सूं बसाय।।९४।।
चवदस आवे चाँदनी ,भगत दरस निज भाव। 
सगला आवें शरणार्थी,साथे पूगल राव।।९५।।
लेकर कटक लूटण नें, महिप गयों मुलतान ।
जवना दियों शैख जड,, सांच बिगाड़ैं शान।।९६।।
करनल सूं अरज करीं, पत्नी जाकर पांव। 
भ्रांत निज फस्यों भीड में,, लोडी वाली लाव।।९७।।
संवरी बणज स्वरूपी, लें आ शेखों राव। 
मनावें बात भंजणी,, बीक कंवरी ब्यांव।।९८।।
पोती कर्नल पुकार्यों, आयी बाधा आज। 
कालू पैथड डाक अयों,, गायां पकडें गाज।।९९।।
सगती बण सांवली, आयी बैग अपार। 
दौडी लार पकड के ,,चोंच सूं देय फार।।१०१।।
गाया गवाला लारैं, कालू बण्यों काल। 
दाढाली देंवगति दें,, रखें शरण रिछपाल।।१०२।।
कोलायत जा कपिलदेव,,डूब गयों तालाब। 
लें आई लाखण नें,, जट धर्म दें जवाब।।१०३।।
जगदंब क्यों जमरांण में, सांची धर्म ने साग। 
अब म्हारा ना आवसी,, भगत म्हारा भाग।।१०४।।
कयों सगला खेलेलां, म्हारे मढ रैं माय। 
काबा सूं मनु अर उलट,,म्हें ही कर स्यूं न्याय।।१०५।।
दूहे करणी गौ दूध, (जद) झगडू डूबे नाव । 
देवें हैलों जल माइनैं ,,(तद)बानिये नैं बचाव।।१०५।।
पीठ अदीठक हुयग्यों, जैसल पत जैसांण ।
सुण गल्ल आ सगती,, निज मिटायों निशाण।।१०६।।
चाह करनल मूरत चित्र, बोल्या जैसल भूप ।
कर बता म्हैं कारीगर,,म्हारों मढ सकें रूप।।१०७।।
कयों जैसल करणी नें, कारीगर कुशल एक। 
अब तो हुयग्यों अंधों,,(बाकी) उणसूं बढों न नैक।।१०८।।
जट बुला दियों जगदंबा, बताय सारी बात। 
दें आख्या सुथार नें,, दिव्य दर्शन दिखात।।१०९।।
साथ लें थने सौवणों, तदी मुरत हों त्यार। 
मुरत प्रभातैं मिलैंला,, देशाणे मढ द्वार।।११०।।
जैसल सूं आ जौगणी, पोच्या धनैरी पास। 
गडियाला इण गांव में,, ठहरण लें आवास।।१११।।
पनरे सौं पिच्यान्वैं, शक्ति छोड जगमाल। 
नवम चैत गुरूवार नैं,,ज्योत चला जगपाल।।११२।।
मढ प्यारों बसायों माँ, देशाणे रो धाम। 
करजों किरपा कोड की,,पुनि-पुनि करूं प्रणाम।।११३।।
सुण गल्ल इण सेवक री, शब्द लिख्या में आज। 
सदा राखज्यों सगती,,रणजीता री लाज।।११४।।
केवण विनती कालजों, मेहाई सुण मात। 
चारण हैं तोरे चरणा,,रणजीतौं दिन रात।।११५।।

.             *छप्पय*

करनल सगती काज, पुरण करणैं पधारियां । 
भगत मेह री भक्ति,आवड सेवणीं आवियाँ,, 
कियों भगत रो काज, आ खिडिया रे घराईं। 
हो बैग अपार हैं ,,धर्यों जद जन्म धराई।। 
सकल दु:खा रों दु:ख हर सगती,, कारीगर सूं मुरत बणासी। 
माँ पनरे सों पिच्यान्वैं में,,ज्योत में क्षमा जावसी।। 

*जय श्री करणी माँ।*
*माँ करणी ने शत् - शत् नमन्*
*मात पिता अरू आप सगलां नैं प्रणाम*

*रणजीत सिंह रणदेव चारण*

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