Karni Mata Chirja Lyrics
करणी माता चिरजा लिरिक्स
।। चिरजा -जय मां आवड़।।
तर्ज- राजै मढ जाजै गिरवरराय
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थांरी जय हो तेमड़राय।
गाऊं गुण ध्याऊं नित गिरवरराय।
।। (टेर)
आद सगत सिरोमणी अम्बा,
आवड़ नाम उपाय।
माढ धरण पर घर मामड़ रे,
जन्म लियो थे जगराय..
सातूं सगत्यां आई संग में,
सुत री करण सहाय।
लिधो मैरख बीर लागड़ो,
वंश री बेल बधाय।।
चूगल सैन जब किन्ही चुगली,
जननी न्हावण जाय।
समदर सूं सदन सिधाई,
नागण रूप सजाय।
समद हाकड़ो सोख्यो सगती,
महज चळू रे माय।
कोप दुष्ट सूमर पर किन्हो,
कुळ ही दिन्यो खपाय।।
दाखै सुत श्रवण दासोड़ी,
मान रखो महमाय।
सुख सम्पत दे राखी सोरा,
कमी ना राखी कांय।।
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श्रवण रतनू
अंबे जी आपने कौण सजाया सा ,
म्हारा इंदर अंबा प्यारा घणा लागो सा,
म्हारो मनड़ो हर लिनो थांकि मुरत मतवाली ,,
म्हारो मनडो मोह लिनो थांकि सूरत मतवाली,
1 -अन्नदाता थांको खूब सज्यो दरबार,
म्हारा इंदर अंबा अजब सज्यो दरबार,
प्राणा से प्यारी आ खुडद नगरी,
मोत्या से महंगी आ खुड़द नगरी,
अम्बे जी- - - - - - - - - - - - - - - - - - -
2 - अन्नदाता थारी नजर उतारू सा,
बाईसा थां पर रांई लूण वारू सा,
न्योछावर कर दु अम्बर और आ धरती,
न्योछावर कर दु अम्बर और आ धरती,
अम्बे - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - --
3 - अन्नदाता थे तो कुल मे उजालो सा,
बाईसा थै तो कुऴ ने उबारयो सा,
पावन तीरथ सो लागे आ खुडद नगरी,
सुरगा सु प्यारी आ खुडद नगरी,
अम्बे जी - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
4 - अन्नदाता थांरो रूप निहारूं सा,
बाईसा थां पर तन मन वारू सा,
पारस ने दी जो मां चरणा की चाकरी,
दर्शण तो दीजो मां म्हाने भी दो घड़ी,
अम्बे जी - - - - - - - -- -- - - - - - - - --
तर्ज- मैं तो जुगल स्वरूपा जोयो जी यमुना जी
चिरजा
मां थारो मुखड़ो मनडो मोयो ये मेहाई मां
मैं तो सुध बुध सारी खोयो ये मेहाई मां
मुख पर तेज सूरज सो पायो
सिर पर स्वर्ण छत्र है छायो
नैना उदित भानु सम लाल
ये मेहाई मां
मां थारो मुखड़ो मनडो मोयो ये मेहाई मां
मैं तो सुध बुध सारी खोयो ये मेहाई मां
मुखड़ो मेघ वर्ण सो श्याम
अंबे जग में था को नाम
कुंडल अर्धचंद्र सा कान
ये मेहाई मां
मां थारो मुखड़ो मनडो मोयो ये मेहाई मां
मैं तो सुध बुध सारी खोयो ये मेहाई मां
केश रजत से मात अनूप
नवलख में मां अनुपम रूप
मुखडे शोभित है दाढयाल
ये मेहाई मां
मां थारो मुखड़ो मनडो मोयो ये मेहाई मां
मैं तो सुध बुध सारी खोयो ये मेहाई मां
वीरेंद्र ध्यान धरे है था को
मुखड़ो हर पल दिखे मां को
दीज्यों ऐसो ही वरदान
ये मेहाई मां
मां थारो मुखड़ो मनडो मोयो ये मेहाई मां
मैं तो सुध बुध सारी खोयो ये मेहाई मां
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*वीरेंद्र सिंह पालावत *
जय जय भवानी अम्बिके
करणी तिहारी शरण हम !!!
बहोत सोए गाढ़ निंद्रा
चाहते जागरण हम
स्वातन्त्र्य की तू महासागर
तेरे ही है निर्ज़रण हम
...जय जय भवानी
क्षात्रबलका उद्धरण तू ने किया
वो अनुशरण हम
परमार्थ में बलिदान अपना कर
सीखा दे मरण हम ..जय जय भवानी
संतान सच्चे अभय हो
तेरे ही तारण तरणी हम
सामर्थ्य दे माँ सिद्ध कर सके
चारण वरण हम .. जय जय भवानी
वाहन तिहारा ""केशरी" वर
मागता अशरण शरण
हे अमृत मयी अम्बिके!
हे असुर मर्दनी अम्बिके!!
भूले न तेरे चरण हम ...
जय जय भवानी अम्बिके
करणी तिहारी शरण हम
जय मां सोनल
जय माँ करणी
🌺🌹🌺🙏
भजन:- हरि सुमरन सुख होय .........
राग :- सोरठ
हरि ने सुमर सुख होय ,भोळा मनवा हरि ने सुमर सुख होय ।
करिये नह आळस कोय , भोळा मनवा हरि ने सुमर सुख होय ।।
समर अनेक भिड़े भट सूरा , सिंवरे टिटौळी सोय ।
डारण घंट दामोदर डारयो , जो दुःख टारयो जोय ।।
हरि ने सुमर सुख होय ...................................।।
मतंग मठ री डोकर मैली , सिंवरे भिलणी सोय ।
खाग्या बेर रघुवर खांडा , करी चित सूग न कोय ।
भोळा मनवा हरि ने सुमर सुख होय ..............।।
झाळों बीच जळे संग जोड़े , सिंवरे काच्छ्ब सोय ।
सुरपत आय सरसियो साम्प्रत , टार लियो दुःख तोय ।
भोळा मनवा हरि ने सुमर सुख होय ...................।।
खलु दुःशासन लगे पट खेंचण , सिंवरे द्रोपद सोय ।
चीर बढ़ाय किया पट चंगा , हरि शरणागत होय ।
भोळा मनवा हरि ने सुमर सुख होय ...............।।
कहे विच सागर सुण कमलापत , रैयो मतंगन रोय ।
तज हरि वाहन संकट टारयो , देर लगी ना पल दोय ।
भोळा मनवा हरि ने सुमर सुख होय .................।।
अलख भरोसो रख अविनाशी , सुणे हर अरजी सोय ।
सिंढ़ायच "सूरो" हर शरणे , मन अति आनन्द मोय ।
हरि ने सुमर सुख होय ...................................।।
सुरेश दान
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