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Karni Mata Chirja Lyrics in Hindi करणी माता चिरजा लिरिक्स हिन्दी


Karni Mata Chirja Lyrics 



करणी माता चिरजा लिरिक्स




"माँ म्हे थाने ध्याऊं हूँ"

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नौरता री सातम करनल,
हरख देशाणे आऊँ हूँ,
दिन ढळता,दिन उगता देवी,
दरस करूं हद ध्याऊँ हूँ ।।
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चाळके री चाळकराय माँ,
 मनरंग रोज मनाऊँ हूँ,
हर घङी हर पल माँ चाळक,
गुण थारा मैं गाऊं हूँ।।

मोखा मढ़ थांरे महमाया
अर्जी ले मैं आऊं हूं।
बाळक री सुध ले बिड़दाळी
 प्रीत पाळो, दुख पाऊँ हूँ ।। 
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भैरव मैं जाऊं बलिहारी
देव थानैं नित ध्याऊं हूँ,
छिले रा भैरव मद छकिया
चरणां भेंट चढाऊं हूँ ।।
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बेगी सुणो आवड़ मां बिनती
रहूं शरण में, रिझाऊं हूँ,
हुकम करो अन्नदाता हरखत
 चरण - चाकरी चाहूँ हूँ ।।
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रातङिये रो चारण रिधुराया 
गुण मैं थारां गाऊँ हूँ,
रविदान नै शरणे राखो,
पद पुजत सुख पाऊँ हूँ।।
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कांटा - कांकर अळगा करजो,
अम्ब उभाणों आऊँ हूँ,
सांसा करणी नाम सुमरता
जननी हेत जताऊँ हूँ।। 
.
नौरता री सातम करनल,
 हरख देशाणे आऊँ हूँ,
दिन ढळता, दिन उगता देवी,
दरस करूं हद ध्याऊं हूं।।
.
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~ रविदान
पारम्परिक चिरजा 







करणी तव कदमा कने,
शरणों दे सुरराय।
जन्म सुधारूं जोगणी,
गिरजा नित गुण गाय।।

🌹।।जय मां इंद्रेश।।🌹
चिरजा तर्ज-धरती धोरां री..
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बिनती सुणज्यो इंद्र बाई
 सोरा राखो शरण सदाई
कलयुग सांची देव कहाई
इंदर अन्नदाता...ओ..(स्थाई)

थे हो सगत बड़ा तपधारी।
आई आवड़ रा अवतारी ।
बरणे वेद विमल जस भारी।
इंदर अन्नदाता...ओ..

सीर पर पेच कसूमल सोहे।
मनड़ो  भेष  मर्दानों  मोहे।
हर्षित रूप निरख मन होवै।
इंदर अन्नदाता..ओ इंदर अन्नदाता..

कमर्यां लटकै तेज कटारी। 
ओपे सिंघ तणी असवारी।
भैरव  संग  बहे बलकारी।
इंदर अन्नदाता..ओ इंदर अन्नदाता..

पावन द्वार खेजडो प्यारो
मढ़ के आगै करणी माँ रो
लागे नेहडी़जी ज्यूं न्यारो
इंदर अन्नदाता..ओ इंदर अन्नदाता..

राखै इष्ट  थांरो  रिछपा‌ळ,
इंदर सुणज्यो अर्ज उंताळ,
बगसो बहनड़ली ने बाळ,
इंदर अन्नदाता..ओ इंदर..
अर्जी सुणज्यो इंद्रकुमारी..
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रिछपाल बारहठ रजवाडी़


तर्ज =- तेरा आधार ले मैया चला संसार सागर में

- - - - - - - - --++🌷🌸🌷++ - - - - - - - - - - 
रटे  मन  मात  गिगाई ,  मीटे  सब  पीर पल माई  
मिटे सब पीर पल  माही , करे भव पार जगराई 

1- जन्म लियो ईन्दोखा राई, तिथि शुभ पंचमी पाई 
खोडल  अवतार  ले  आई  , देव सब  देख  हर्शाई 
रटे मन - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - 

2 - दुष्ट मन दुष्टता छाई ,  तुरक गांयां  ने गिणवाई 
बचाया  बाछंड़ा  आई  ,  बाघ  बण  रूप  दर्शाई
रटे मन - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - 

3 -  सगत की देख सकऴाई , भाग कर प्राण बचवाई 
बादशाह  सुणत घबराई , गोधन की गिणती छुड़वाई 
रटे मन  - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -

4 - करूं  बस कामना  आई ,  दरश दो  गीगला  बाई 
राखो  पारस ने शरणाई ,  हिये  मां  आनंद  उपजाई 

रटे  मन  मात  गिगाई , मीटे  सब  पीर पल माई 
मीटे सब पीर पल माई , करे  भव  पार जगराई

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