Karni Mata Chirja Lyrics
करणी माता चिरजा लिरिक्स
भाव सुणे मां भगवती,आवे दोङी अंब।
कष्ट पङंता काढ दें,जबरा ए जगदंब।।१
परचा नितरा पायके,भगता री रह भीङ।
देवी मढ देसांण री,पल में हर लें पीङ।।२
कथ चारण गिरधर कहें, देवी मात दयाल।
आशापूर्ण ईशरी,खरो करें मां ख्याल।।३
****श्री करणी शरणम्****
आवे मात उतावली,भली भगत रे भीर।
मेटे दुख ने मांवङी,पलक झपंता पीर।।१
शेखे न लाय सिंध से,केद दिन्ही कटवाय।
बीके ने बीकांण दें,पाट दियों बैठाय।।२
आवे देवी आवङा,हेले मोय हमेश।
तेमङ कुल ने तारणी,वाणी दें विमलेश।।३
बाल गिरधर री बिनती,सगती रहो सहाय।
मन तन पूर्ण मात ए,करणी मोज कराय।।४
****श्री करणी शरणम्****
उड आवो आकाश,संवळी सगत शंकरी।
करण भगत रा काज,आप उबारण ईशरी।।१
परचा नित रा पाय,हरखे भगत हमेश रा।
जग रा आवे जांण, दर्श करण देसांण रा।।२
गिरधर नित गुण गाय,चाह शरण रह चारणी।
राजी राखें रोज,तन मन पूर्ण तारणी।।३
****श्री करणी शरणम्****
अन्न धन देत ईशरी,भगवती रिधूं भोत।
सगत घणो मढ सोवती,जगमग थारी ज्योत।।१
बीके ने बीकांण दें,कान्हें ऊपर कोप।
जेतल ने जीताय के,लियो कमरू न लोप।।२
महर राख मां मोकळी,देवी मढ देसांण।
रात दिवस गिरधर रटें,करणी सुण किनियांण।।३
****श्री करणी शरणम्****: भोर में भजो भगवती,धरी हिये में ध्यान।
बुद्धि देंय विमलासनी,गोरव कुल रो ग्यान।।१
आद अनंत अजर अमर अजेय एक अथाह।
निकलंक निरंतर नमो नारायणी नित्याह।।२
कर कीरत गिरधर कहें,भजिए रिधूं न भोर।
चाल चौरास लख छुटे,अन्न धन रहें ओर।।३
****श्री करणी आवो वेग उतावली,दयालु करणी देख।
सीर निभावे सांतरी,लिख बदल्यां कर लेख।।१
फळ मेहनत फलाय दे,एका रो कर इक्कीस।
आ बेटा बळ अणहुती,राखे कदे न रीस।।२
कृपा गिरधर पर करी,सो जाणे संसार।
मन तन पूर्ण मांवङी, तुरंत खङी र त्यार।।३
****श्री करणी शरणम्****
कतरो दुख धरा करणी,जण री सुणा जुबान।
मात बचाय म्हाने थूं,सुखी कर दें सम्मान।।१
बल बुद्धि विद्या घण बख्सो,हिवङे ज्ञान हमेश।
कंठ वसो कमलाशनी,काटणे रोज क्लेश।।२
नित उठ नेम निभावणी,वाणी ओज विशेष।
देवी सुत पर कर दया,मिल अज विष्णु महेश।।३
धर भोम सति जती धणी,मिल गण करा मिलाप।
गुण गिरधर अंम्बा घणा,आद रुखाळी आप।।४
****श्री करणी शरणम्****
बलदायणी बीशहथी,आय उभे मां अंब।
कृपा आ करें करणी,जबरी सुण जगदंब।।१
बीके ने बीकांण दें,कान्हें ऊपर कोप।
धेन चरावण रख धरा,लीक कान ने लोप।।२
शेखे न लाय सिंध सूं,बेटी दी परनाय।
फैरा पेली पहुच के,रंग न ब्याह रचाय।।३
कवि चारण गिरधर कहें, देवी समा न देव।
उणांत मेटण ईशरी,सगत आवे सदेव।।४
****श्री करणी शरणम्****: आव भवानी ईशरी,महाई महाराज।
पत राखण परमेशरी,करण भगत रा काज।।१
शरणे गिरधर शंकरी,भले भरोसे भाव।
मो सहाई मावङी,चारण कुल रख चाव।।२
ओर नही को आसरो,एक तुही मां अंब।
भीङ पङ्या दुख भाजणे,जननी आ जगदंब।।३
****श्री करणी शरणम्****
मन तन मंगळ मांवङी,देवी मढ देसांण।
बालकिये विश्वास बडो,करणी मां किनियांण।।१
आशापूर्ण ईशरी,करसी मो सब काम।
रात दिवस रटतो रहूं,नित करणी रो नाम।।२
कह गिरधर किनियांण को,भरोसो धर्यो भोत।
आफत पङिया आयसी,गुण करणे निज गोत।।३
****श्री करणी शरणम्****
विपद विडारण बिशहथी,आवड़ अर इन्द्रेश।
किनियानी माँ करनला,साय करो सगतेश।।
पीड़ हरण परमेसरी,काटण सरब कलेस।
ओजूँ आजै ईसरी, आवड़ मां इन्द्रेश।।
भू भारत पर भगवती,अविलंब ले अवतार।
विपदा मेटण बिशहथी,करणीजी किरतार।।
भौम उबारण भगवती,आजै माँ अविलंब।
सुणतां हेलो सांभळो,बिशहथी भुजलंब।।
कमधज अजेय करनला,जप कर निसदिन जाप।
आई मनावै आपनै, देसाणा धनियाप।।
@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत।।
दोहा बाल प्रवाड़ा रा
प्रथम जगदम्बा प्रवाड़ो, दिनू ज दायी माय।आंवल गाड़ि घर आगण,बाहर ना ले जाय।।
भुवा आई भ्रात भवन,उर भतीज री आश।चावे मना चंगो चीर,उर लीया अभिलास।।
नेड़ि आय आखे नणद,भावज थां मंद भाग।पुत्र होवण री आश मे,आई कन्या अणथाग।।
कन्या सिर डूचको किधो, भावज सामी देख,खट सिला घर में थाई, पूत जायो नि ऐक।।
पितु बैन किधा कु बखाण, उर उपजि रीस बड़ी।ताहि हाण पुगि कर तणी, जणे ही मूट जड़ी।।
प्रथम परचो परमेशरि,भलां दियो पितु बैन।हथ बंको उण पल हुयो, लगे शगत सब केन।।
श्री रिधू बाल लिला
कुछ भाग कल्पना पर आधारित।
दोहा
धिन नगरी सुवाप धरा,आछो मेह आंगण ।करणी घण मन कोड कर,नित खेल्या बाल पण।।
छन्द जात मोतिदाम
झुलाण रिधेश हि मात झुलाय।
सुमाधुर लोरिय गाय सुणाय ।।
अये निदली रिध बेगिज आव।
धराज गमान बनी किथ धाव।।1
अरी निंद नीकमि बेगिज आय।
भला घण कोड रिधेश बुलाय।
मया धर मोन लगी मन लाय।
उठी उण काल रिधू अकुलाय।।2
उमाड़ उठी ममता उर आय ।
लगा उर मात रिधेश कुं लाय ।
तिका दर्श पावण देव तर्साय।
भला सुख वो मह भामिनि पाय।।3
मना भर मोद नवावत मात।
घणा सिणगार सजावत गात।
चंगी सिर सोवत सोणिय चोटि।
फबे रिधु गात जगाय कछोटि।।4
सुपाय पनायज पूनित सोव।
मुनी सुर रूप सलोनु हि मोव।
हिले लट केस कपोल हियेज।
मनो मद माद भमार पियेज।।5
हिये कठुला नख केहरि होय।
सर्के घुटरान धुली तन सोय।
लखे जद नीजर दूठ लगाय।
सजे बिन्द कालि कपोल सुवाय।।6
रिधू कर शोभ नवेनित रेय।
धरे रज लेप मुखां मंझ देय।
जदे रज खावत मात हि जान।अंगूलिज दीन रिधू मुख आन।।7
मया मुख खोलिय देखन काज।अम्बे मुख देख त्रिलोकिय आज।
सजे दर्श देव दुरालब साज।
अहा कर देवल लोयण आज।।8
सुता जद मात चलाण सिखाव।
खिले चित मात हि खेल खिलाव।
धिमा धिम पांव धरा प धरीत।
हिये जननी घण होव हर्षीत।।9
खिले निज आंगण रीधव ख्याल।
चले जद देहलि लांगण चाल।
नन्हा कर देहलि लांगत नाय।
उबा जद आप मया सम आय।।10
इला प चराचर जीव उपाय।
रिधू कर कोटि ब्रमाण्ड रचाय।
सजे मुर लोकन पोखन सार।
पुगा कर मात देहलि पार ।।11
करे हट आज कही करनेल।
घुमे पलु थामिय देवल गेल ।
करां नहि देय रिधू घर काज।
अखे तुतलाय हिये चित आज।।12
चंदा रिध लेण घणा हट चाव।
लिधा अम्ब थाल जला भर लाव।
अम्बा छिण में चंद कोटि उपाव।
रिधू बिम्ब मात दिखाय रिजाव।।13
मया जद माखन रोटिय देत।
लिला कर चाव सुं रीधव लेत।
रमे निज आंगण घूमत खात।
घणा भरि धूरिज सोवत गात।।14
सुधा जगि जाण हि मात बुलाव।
धरे झट भोजन रीधव धाव।
मंझा झुंड बाल रमे मन मोद।
घणा लल फूल खिलावत गोद।।15
पंचा रिधु साल लगू तन पाय।
संगा झुंड बाल रमे सुरराय ।
भुवा दिन ऐक पिता घर आय।
लगा उर हेत भतीजिय लाय ।।16
नहे उर धार रिधेश नवाय ।
बंके कर आप नवायन पाय।
कयो पितु बैन रिधू मुसकान।
लगी कर दूज कियांज लुकान।।17
धरो कर दोय नवा मम देय।
छका भर मोद नवा मन चेय।
बंका कर केय भुवा बरतांत।
अख्यो मुख कारण आदि सु अंत18
जिका पुल आप भवानिय जाय।
तणा निज कोप बका कर थाय।
भुवा कहि दोसण मोय भराय।
सिनावण मीस बहान सुजाय।।19
अगूलिय झाल खिंची अम्ब आप।
सजो कर हाथ निवारिय साप ।
पर्चा परमाण करां तण फेर।
सुण्यो अवतार सुवाप शहेर।।20
गणे मन कोड हि शीश गुथाय।
जयो संग बाल रमे रिधु जाय ।
चढी असमान घटा घन छाय।
बड़ी मन भाय चले पुर वाय।।21
अखे जद आप सख्या बिच आय।
भला अज मोय झुला मन भाय ।
डगी असमान भली इक डाल ।
झुलो तण रेशम डोर हि झाल्।।22
मना भर मोद घणो महमाय।
सख्या संग झूल झुले सुरराय।
दिठो निज सेव घणो दुख पाय।
जिल्यो कर्म जोग अधोगत जाय23
करी किनियाण कृपा दृग कोर।
तदे अम्ब आप दिया दुख तोर।
रिधू निज पाव उडाविय रेत ।
पड़ी जकि जाय मथे पर प्रेत।।24
चंढी रज पाव सुरा मुनि चाव।
जकी रज प्रेत रिधू पद पाव ।
जयो रज पांव प्रताप हि जोग।
मिली मुक्ति धाम गयो सुरलोग।।25
दोहा
अम्बे पद कमल रह अटल, धिनियाणी मम ध्यान।जनम जनम भगती जननि, वल मांगू वरदान।।
अवल कवलां ईसवरी , सत्य जतन सुरराय ।
भला भली री भावना , भणी भजन भवमाय ।(1)
साच रीत रख साक्षसी , शिव वर कियो शँणगार ।
हार पिरोयो हेत रो , चावै चारण चार ।(2)
जन्म लियो आ जगत में , सींचण साच सरूप ।
सत्य वृत राखण सही , राचयो सती रूप ।(3)
परहित भर मन परघलो , कर परथारथ कोड ।
हरख भरण राज हित में , हरिरस होडा होड ।(4)
राज नीति स्वरूप रो , सत्य कियो शिणगार ।
अम्बे थारी आरती , चावी चारण चार।(5)
अम्ब नमो नित अम्बिके , भणी भाव भरपूर ।
जया विजय जस जीवनी , काज किया किरतार ।(6)
अकल कला रच ईसरी , सूर वीर सुरसार ।
अम्ब नमो नित आदका , इधका गुण आचार ।(7)
अलख लखायो आप ही , विध विध रीत विचार।
धर्म कर्म री धारणा , अम्ब सत्य आधार ।(8)
आम्बदान जवाहरदान देवल
🙏🏻🌹 *दोहा श्री करणीजी*🌹🙏🏻
करणी करणी कीजिए,रट मात दिन रात।
दौड़ी आवै मावड़ी,राखण सिर पर हाथ।।1।।
भजणो भगती भाव सूं,जपणो करनल जाप।
भीड़ पड़ी में भगवती,आडी आसी आप।।2।।
संकट मेटै सेवगां,सगती करनै साय।
अबखी बेलां अम्बिका, अवनी बेगी आय।।3।।
धरनै हिवड़ै ध्यावना,मन मन्दिर रै मांय।
नमणों निसदिन करनला,मेहाई महमाय।।4।।
करणी करणी कैवणों,नमणों नित उठ नाम।
चरणों करणीं चाकरी,मनणों आठों याम।।5।।
साची सरदा सिवरयां,भगती रखियां भाव।
अबखी टाळण अम्बिका,बेगी दौड़ी आव।।6।।
अजय तणी आराधना,करनल सुणजे खास।
उठते बैठत आवड़ा,सिंवरु बारह मास।।7।।
@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत
*दोहा*
ध्यावै बाळक ध्यान सूं,आवै मां अविलंब ।
भावै भगती भावना,जयो मात जगदंब ।।
अकळ उपावण ईशरी,सकळ मेट संताप।
करो महर मा करनला, पढै छंद परताप ।।
*छंद त्रिभंगी*
पख ऊजळ पासा,अश्विन मासा,भृगु शुभ वासा,उर आशा।
किनिया कुळ खासा,कोख उजासा,देवल मांसा,सुख रासा।
मेहा अभिलाषा,हिये हुलासा,किया निवासा,रिधुबाई ।
जय हो जग जननी, कारज करनी, वेदन वरणी,वरदाई ।
जिय मात रटो नित मेहाई ।।
भूआ मुख खोली,जीभां डोली, काण कुबोली,अणतोली।
अकड़ीज अंगुली,कुछ ना बोली, बणगी भोली, चुप होली।
जीभां रस घोली,भर दी झोली, हाथ सतोली ,हरखाई।
जय हो जग जरणी,कारज करणी,वेदन वरणी, वरदाई।
जिये मात रटो नित मेहाई
अणदो जद ध्याई,दौड़ी आई,लाव जुड़ाई,बचवाई।
कान्हों करड़ाई,घणी लगाई,मान्यो नांई,समझाई।
काटी कुटळाई, मार गिराई,भोम बचाई,जग छाई।
जय हो जग जरणी,कारज करणी वेदन वरणी,वरदाई।
जिये मात रटो नित मेहाई ।
पीथल्ल पुकारी , मात हमारी , लाज बचारी, महतारी।
पत राखन वारी,सिंह सजारी,आ'री आ'री,अवतारी।
नवरोज निवारी,आब उबारी,बेग पधारी, सुणतांई।
जय हो जग जरणी, कारज करणी , वेदन वरणी,वरदाई।
जिय....मात रटो नित मेहाई
कमरू दल दलणी, जैत सुमरणी, जंग पळटणी,शंकरणी।
आवड़ अवतरणी, मंगळ करणी, हर दुख हरणी,जय करणी।
ब्रहमांड विचरणी,हूं तव शरणी,लज्जा रखणी,करुणाई।
जय हो जग जरणी, कारज करणी, वेदन वरणी,वरदाई।
जिये मात रटो नित मेहाई ।।
दैत्य दल दाळी,असुर उळाळी,बीस भुजाळी,बिकराळी।
संतन प्रतिपाळी,रोग प्रजाळी,कष्ट कटाळी,किरपाळी।
दुःख दारिद टाळी,सुख बरसाळी,सदासुभाळी,सुरराई।
जय हो जग जरणी, कारज करणी ,वेदन वरणी,वरदाई।
जिये....मात रटो नित मेहाई ।
करनी गुण गावां,शीश निवावां,ध्यान धरावां,बिरदावां ।
हरदम हरसावां, मात मनावां,नेम निभावां, चित चावां।
परसाद चढावां,भोग लगावां,रोज रिझावां,महमाई।
जय हो जग जरणी,कारज करणी,वेदन वरणी, वरदाई ।
जिय मात रटो नित मेहाई।।
देशाण धिराणी,दया दिखाणी,अगम उपाणी,उपजाणी।
तूंही ब्रहमाणी, तूं रूद्राणी, तूं जगजाणी, किनियाणी।
अघ नाश कराणी,धरा धिराणी,नेह निभाणी,नितकाई।
जय हो जग जरणी, कारज करणी, वेदन वरणी, वरदाई।
जिय मात रटो नित मेहाई ।
*छप्पय*
करणी तूं किरतार,सरण तव आयो सगती।
हरणी पीड़ हजार, भेंटजे हरदम भगती।।
सदा निभाजे साथ, मात सब मंगळ करणी।
तरणी भव से तार,सेवगां अशरण शरणी।।
देशाणराय रखजे दया,दोष भुलाजे दास रो।
अबखी बेला आजे अवस, एक तिहारो आसरो।
*सोरठा*
आस करूं अणमाप,आप पधारो अम्बिका।
पाण जोड़ "परताप", प्रणमै नित परमेसरी।।
🙏🙏🚩🚩🙏🙏🚩🚩
*प्रताप सिंह पालावत खारियावास कृत*
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