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करणी माता दोहे Karni Mata DOHA Lyrics सोरठा दोहा छंद छप्पय

Karni Mata DOHA Lyrics


 करणी माता चिरजा लिरिक्स





🙏🏻🌹सोरठा🌹🙏🏻

भरया रवै भण्डार,राजी रैया करनला।
देवी लखदातार, डाढ़ाळी मां डोकरी।।1।।

दुख दाळिद कर दूर,सुख संपत दे सांतरो।
काटे कस्ट करूर,किनियानी मां करनला।।2।।

भगती दे भरपूर, चरणों देवै चाकरी।
हरदम आप हुजूर,मोटी करनल मावड़ी।।3।।

अजय करत अरदास,मम घट बसजे मावड़ी।
देवी थारौ दास,रटतो निस दिन करनला।।4।।

उर भरनै उजियास,किरपा राखै करनला।
कमधज माथै खास,अजय भगत पे आवड़ा।।5।।



।।  मातृ चरणार्विन्दाश्रितोऽहम् ।।

                       ।। दोहा ।।

कीरत करणी कोट  की, बरण सके कुण बाण ।
राजे जहं रतनासदूं (माँ), बीसोतर  कुळ भाण ।

शक्ति  पीठ   सुहावणो,  शौभित   जैम   सुमैर ।
रातदिवस    बरसे    जठै, माँ   सायर  री  म्हैर ।

ऊंचो  गढ़  मढ़  ऊजळो, अर्क लेत जिण ओट ।
जुगल  रूप  राजे  जठे,  मात  रिधु   मन  मोट ।

आठ पहर  अळगो  रहे, कळजुग  कूड़  करूर ।
लाजे  सांमी  लाख विध, निरमळ  सतयुग  नूर ।

गढ़ बंका जग में  घणां, हुवे  न  किणसूं   होड ।
दीपत  हे  मणिद्वीप ज्युं, सह  तीरथ  सिरमोड़ ।

         
               

करणी माता दोहे

करणी माता के कारण हो जग बंधन से पार।
करणी करणी भज प्यारे हो भवसागर पार।।

करणी माता की मेहर सब पर बनी रहे।
माता की पूजा करने से सुख मन में रहे।।

जय श्री करणी माता के साथ तेजदान चारण रंगकर्मी जोधपुर

हिंगलाज माताजी रा बीसा छंद
कवि- श्री जूझारदान जी देथा मीठड़िया

                 -: दोहा:-

सुप्रसन दिन देवां सधर , बुध गुण दे बिसतार।
निरमल जोगण नाम रा , उर वस छंद उचार।।1।।
शिव नन्द वन्दू सुरसती , सुमती दीजे सक्कत।
कोहेला राणी कालिका , अधिक विषय उक्कत।।2।।


                  *छंद जात रूपमुकुन्द*


अधबंब अधो जल जाज उधारक, व्यापक पख अवध अधो।
अध केत अधो राऊ मेर धरा,अध आठम से पख चन्द्र अधो।
अधके अधिकार अवधेश ईशर , नाम अधे गज ऊंधरियो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।1।।

असपत कीया अवनी अध ऊपर, राम अधोक्षर देत रिदै।
अधरा असमान आधो फर अधर , अरध उरध ज्ञान उदै।
अधमा मधमा वरदीत अधंतर, मान अधे कर दाह दीयो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।2।।

एक ब्रह्म हुकम अंबा पत ऐकल , एक निकेबल निकलकी।
एक पाज बंधी जलधी अवधेसर , एक रिधि रतनागर की ।
एक राज धरम सुरग्ग रहे इल , एक अविचल धू अखियो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।3।।

दोय सूर शशि दिन रात दोय ,पख दोय रिधि सिधि दोय दखै।
पुन पाप दोय सुख दुख दोय , पथ राह दोय दोय भेद दखै।
नर नार दोय दोय जोड़ि निपावत , जग दोय कर जोड़ वियो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।4।।

तीन देव तीनूं रूत लोक तीनूं ,तर काज त्रहूं शिव नैण किया।
सुर नाग नरां त्रण विध सरजण , लोह त्रिशूल त्रिझाड़ लिया।
गुण तीन त्रहूं गुणी धार गंगाजल, तीनो ही ताप निवार तयो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।5।।

जुग चार चहुं मद चार कूंटी,चित्र चार बाणी खाणी चार खरी
चत्रभुज प्रभू लछमी वड चोरत,चौथ वेदां चहूंधा उचरी।
व्रन चार पदारथ चार वहो वय , चार मुखां चतुरान चयो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।6।।

पंच बांण पंचे तंत ज्वाल पंचानन,पंचवटी पंच धूणी पूजै।
परबत क्रोड़ां पंच पांच प्रमोदक,देव पंचाली प्रपंच दूजै।
पंच मुखसो वाहन शंख पंचानन , पांडव पांचोय जीत पयो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।7।।

खट शास्त्र भास दरशण खटज खट,जति खट काशी खेले।
खटमुख खटानन चक्र वति खट , राग खटे खट रस रेले।
खट कमल खट धरम रुतां खट , केली खटे खट माव कियो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।8।।

समसत लीला संत वार सातां दीप ,सात समंद व्है सात सती।
सुरगां पत सात सातां सुख संपत , धातव सात तुं ही धरती।
रिष सात रसातल सात जिव्या रस,सात समाणीय साथ थयो
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।9।।

अहरावत आठ आठां सठ तीरथ , आठ कुळी परबत ऐहां।
वसु आठ आठां वृग आठ कुणां,विध आठोय जाम थट ऐहां।
असठां वद अनद आठ आठां सिध,आठोही दिशा साद दियो
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।10।।

नव पाट मंडे क्रोड़ घाट मंडे , नव एक नवे नव नव छंदी।
नवधा भगती धज चाड़ नेजा,नव अंक नवे नोरता उयंदी।
नव व्याकरण भेद सुबोधन दे नव,कोट नवे परभाण कियो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।11।।

नव लख तारा नव खंड नवे , ग्रह नाथ नवे कुळ नाग नमे।
नवसौ नदियां नव निध निद्रावल,राग नवे नव लाख रमे।
नव सोरठ रावली नव लाखी ,सिंघ नव मुखो कुंभ बोलवियो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।12।।

दस देश दसे दिगपाल दसे दस,दोश दसे दस कंध दयो।
दस सौ रिव किरणोय नेण सुरां , सुरकाय अति दस द्वार कयो
अवतार दसे दस नाम गोसांइय,सैस दस सौ मुख समरियो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।13।।

एकादश व्रत तुहि इगियारस ,रूद्र इगियारे रम रही।
ख्योहिणी इगियारे केरव खांण , मानव क्रोड़ इगियारे मही।
इगियारे जथा इगियारे गुणा वृग , होम इगियारे  अपर हयो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।14।।

बारे बारे नामा गणपत रु शारद , मोर मेघां बारे मास वणी।
रस रास आदित सक्रांत बारे पंथ , ग्रंथ बारे बारे बीज गुणी।
पर बंध बारे अमवायस पूनम , बारे छत्री ध्रम भेरू बयो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।15।।

तेरेय होकर मास देता हण , तेरेहि क्रोड़ ज ब्रन तरां।
तरुनी वस में व्रस तेरही पांडव , पाखंड तेरेह पार परां।
प्रसार तेरे क्रोड़ माल तुगां भंज , साख तेरे कमधां सयो।
हे अजोनी अंबा हिंगलाज आसापुर,आप चण्डी मुझ स्हाय  अयो। जीय ईसवरी मुझ स्हाय अयो ।।16।।

चवदेय विद्या कर चवद चले कछ , भोजन चवदे लोक भूणे।
विचरी चवदे व्रस राम साथे वन , देव चवदेय तेज दूणे।
चपला चवदे रतना विच चाविय , चवदे नैणां सपतास चयो।
हे अजोनी  अंबा हिंगलाज आसापुर, आप चण्डी मुझ स्याह  अयो । जीय ईसवरी मुझ स्याह  अयो।।17।।

पनरे पड़वा सजीवन पनरे , केवल पनरे चन्द्र कला।
पनरे तिथ पख सुभाविक पनरे , पनरे धान कीन प्रगला।
पनरे परमाण हेमाजल पनरे , पनरे लाखाय तुजवियो।
हे अजोनी  अंबा हिंगलाज आसापुर, आप चण्डी मुझ स्याह  अयो । जीय ईसवरी मुझ स्याह  अयो।।18।।

कल सोल कला सोलेहि नरां कृत, सोखस सोलेय पूज खोले।
सूरजा तेज सोले सोले हेम सामंत सोले ,घड़ी दिन रात सोले।
सिणगार सोले गळहार सोले , सरकार सोले वहवार कियो।
हे अजोनी  अंबा हिंगलाज आसापुर, आप चण्डी मुझ स्याह  अयो । जीय ईसवरी मुझ स्याह  अयो।।19।।

सतरे लख साख साधे जुग सांप्रत , काल सतरेय धान कणी।
सतरे जुध तास करे नित सूरज , भोजन सतरे विध सुणी ।
सतरे चतुराई सिकोतर सतरे , काम सतरेय तत्व कियो।
हे अजोनी  अंबा हिंगलाज आसापुर, आप चण्डी मुझ स्याह  अयो । जीय ईसवरी मुझ स्याह  अयो।।20।।

गुण व्रन अठार अठारे आबूगिर , भार अठारे बनासपति।
सज सेन अठार पदम रामेश्वर, पुराण अठारेय पारवती।
दल पांडव कौरव खांण अठारय , जूंण अठारय लाख दियो।
हे अजोनी  अंबा हिंगलाज आसापुर, आप चण्डी मुझ स्याह  अयो । जीय ईसवरी मुझ स्याह  अयो।।21।।

उगणीस पेतारंभ जोत उजागर, तेज रमा उगणीस तवे।
सिल तारंग पे उगणीस सितंतर , हाक वीरो उगणीस हवै।
गरजे उगणीस अखाड़ेय जोगण , थाट थटां उगणीस थयो।
हे अजोनी  अंबा हिंगलाज आसापुर, आप चण्डी मुझ स्याह  अयो । जीय ईसवरी मुझ स्याह  अयो।।22।।

भुज बीस वीसांकर वीस भवानिय ,अर्जुन नाम सुवीस अठां।
नख वीस कहे वीस हथ लंकानर , गज विसोतर चाड़ गढां।
जिव सैस विसासोई झुझियो  भणे जस वीस विसवाय वीस कियो। हे अजोनी  अंबा हिंगलाज आसापुर, आप चण्डी मुझ स्याह  अयो । जीय ईसवरी मुझ स्याह  अयो।।23।

तुम स्याह अयो हम राह मांह , तुम तुम हमां पर व्रध तुमां।
तुम नव गुरू व्रन चारण तारण , हाथ धरो तुम शीश हमां।
हमरे हिंगलाज हजूर हिंगोलज , जे पद रज वंदे जूझीयो।
हे अजोनी  अंबा हिंगलाज आसापुर, आप चण्डी मुझ स्याह  अयो । जीय ईसवरी मुझ स्याह  अयो।।24।।







                          *छप्पय*


आया स्हाय महमाय , सिकोतर सिखराली।
चण्डी काली चामण्ड , वीसहथ  कोयला वाली।
दुर्गा  अम्बा देव , रोडल रव डूंगरेची ।
नागणेची नवलाख , आसापुर चालक नेची।
आद भवानी आप आवड़ , ईशवरी गंग जल ऊमा।
वीसा छंद वांकल जूंझो वंदे , थे हिंगोलराय ऊपर हमां।।
टाइपिंग फतेह दान चारण ।
सहयोग कृता रेवत दान जी देथा ।।

भवानी मां किजे भली रीझे मुझ पर राय।
सीलां रे शरणे सदा कष्ट ना आय कदा य।
भवानी मुझ किजे भली बेल रहे हर बात।
नित नित समरत नारणी पांण जोड़ परभात।।
भवानी मुझ किजे भली झाले अरियां झंड।
अवगुण राजन हर अवश पांचे दुश्मण पंड।।
भवानी मुझ किजे भली रहजे रसना राय।
वचन सिद्ध कर वीशहथी मां सीलां महमाय।।


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