Karni Mata Chirja Lyrics
करणी माता चिरजा लिरिक्स
।। मां करणी री प्रभाती ।।
धजबंध धजा धारणी ,
करणी चारूं कूंण
अरज सुणो मां अम्बका ,
जागी जीवा जूण ।
।।प्रभाती ।।
प्रभात भई रश्मि रथ हाक्यो जन जन करे जयकारो रै,
पद प्रमाण सुणो प्रभाती नेणा निद्रां त्यागो रै
जागो जागो जागो मेह सुता , म्हे मुख दर्शण पाऊं थारा रै।
जागो जागो जगदंबा अम्बा आ ।(१)
जीवा जूण जागी जग जरणी , मां करणी रूप किरतारा रै ।
आळस तज उठो अनंदाता , भगत सेवा भव तारो रै।
जागो जागो जागो मेह सुता म्हे मुख दर्शण पाऊं थारा रै ।
जागो जागो जगदंबा अम्बा आ (२)
शुरभिं रांभ रही सुर शांभळ , गोरंभ रा गणकारो रै।
घुरे मथणी दही मथ माखण , घुमे ग्वाल बाल संग गोपाला रै ।
जागो जागो जागो मेह सुता, म्हे मुख दर्शण पाऊं थारा रै ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बा आ ।(३)
फूल पसार पुणे रस सोरभ , मधु भोर भया भणकारा रै।
ढोल नगाड़ा नाद घुरे बहु , मंदिर मोज मां ममता रा रै।
जागो जागो जागो मेह सुता म्हे मुख दर्शण पाऊं थारा रै ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बा आ ।(४)
आभ छटा में उजास भयो है , उवनी पर उजियारो रै ।
दुथी दिलां विच लागी दरसण की दानव को तुम डारो रै ।
जागो जागो जागो मेह सुता , म्हे मुख दर्शण पाऊं थारा रै ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बा आ ।(५)
ब्रम्हा विष्णु शिव करे आरती , भेरू रास सुर भळकारो रै।
बजरंग बली धजा धज धारी साधत सुर मुनि सारा रै।
जागो जागो जागो मेह सुता म्हे मुख दर्शण पाऊं थारा रै ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बा (६)
सुआप गांव नाम नवखंड में , मां नवलख रूप निहारा रै ।
धर पत राख रखवाळ धजाबंध इळ करनी रा अवतारा रै ।
जागो जागो जागो मेह सुता म्हे मुख दर्शण पाऊं थारा रै ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बा आ ।(७)
अम्ब सहाय उल्लास ममतामई जरणी जस स्वीकारा रै ।
अन धन लक्ष्मी समान सभा विच सदा राख सत सुत सारा रै।
जागो जागो जागो मेह सुता म्हे मुख दर्शण पाऊं थारा रै ।
जागो जागो जागो जगदंबा अम्बा आ ।(८)
आम्बदान जवाहरदान देवल आलमसर
मंढ काबा नाचे तिहारे
दड़बड़ दड़बड़ दौड़ लगावे।
सब जीते ना कोई हारे।।
जन-जन उन्हें निहारे......(1)
लाडूड़ा को भोग लगावे।
और खोपरा खारक खावे।।
सदा रेहवे आसरे थारे.....(2)
जन काबाने धोक लगावे।
करणी वन्शज काबा काहावे ।।
बाता मन कि उन्हें सुनाएं....(3)
हलवे पांव चले सब बेटे।
कहां काबा यहां सब जन देखें।।
पैरा सु है टारे........(4)
चंचल काबा चित को चोरे।
कुछ भूरे तो कुछ गोरे।।
जन देख देख हरसावे......(5)
मैं भी काबा संग मढ खेलु ।
अपनी जगह चरण में लेलू।।
मन सुमनकिशन यु जाणे......(6)
🙏🙏🙏सुमनकिशन कविया मोडरिया🙏🙏🙏
तर्ज- आवत मोरी गलियन में गिरधारी ।
टेर- सकल्ड़ मण्ढ री सकलाई न्यारी। या ( निरखु म तो पल- पल मुरती मां री )
छायी अम्बा चहुं दिश किरत थारी।।
1 संभळी पंख पसार सागे, सगत्या मिलगी सारी।
लोवड़वाळ रुखाळण लागी, नेहज नयन निहारी।।
छायी अम्बा चहुं दिश किरत थारी।।
2 धणी आप विश्व धिनियाणी, होवत करे जो तू कारी।
तुही राज दिरावे तुरत ही, करम गति दासी थारी।।
छायी अम्बा चहुं दिश किरत थारी।।
3 चारों वेदां करत तुझ चरचा, भणत है किरत भारी ।
अखिल विश्व की आप अधीक्षक, होवे न होड़ तिहारी।।
छायी अम्बा चहुं दिश किरत थारी।।
4 चढ़ केहर चोरासी चारणी, आशीषा बगसारी ।
पालावत कुलदीप ने अंबा , लिज्यो सरण तिहारी।।
छायी अम्बा चहुं दिश किरत थारी।।
कृत -रन्जु कंवर चारण खटून्दरा 🙏🙏
अंबा ए मोरी जुनी चाकर जाण, आय मोहे हिवड़े लगा ल्यो सा।
टेर - अंबा ए मोरी जुनी चाकर जाण, आय मोहे हिवड़े लगा ल्यो सा।
1 मन में है दुःख मोकळो, चित्त में चिंत सताय ।
कंया नचिता सायरा, गढ़ करणी कोट री राय ।
सहाय सेवग री कीज्यो सा ।
अंबा ए मोरी जुनी चाकर जाण, आय मोहे हिवड़े लगा ल्यो सा।
2 करुणा सुणज्यो श्रृवणा ,साद सुणो किनीयाण ।
विरद विचार पधारज्यो ,थाने आवड़ मां री आण ।
जाण मोहे दुर्बल दासी सा ।
अंबा ए मोरी जुनी चाकर जाण, आय मोहे हिवड़े लगा ल्यो सा।
3 आगे पुग्या आगरे, पीथल रो साद ।
भुल्या क्यु उण बात न ,म्हारी बेरया मात ।
साथ संकट में दिज्यो सा ।
अंबा ए मोरी जुनी चाकर जाण, आय मोहे हिवड़े लगा ल्यो सा।
4 तास रिपु कर सायरा, दास मन्ने मां जाण ।
आश पुरदयो ईश्वरी ,सरणागत री शान।
ध्यान दासी पर दीज्यो सा।
अंबा ए मोरी जुनी चाकर जाण, आय मोहे हिवड़े लगा ल्यो सा।
5 प्रारर्थना गेंदा तणी, करणी सुणज्यो कान ।
धरणि दया दिल माहने , वरणी करु हुं बखाण ।
दान भक्ति रो दीज्यो सा ।
अंबा ए मोरी जुनी चाकर जाण, आय मोहे हिवड़े लगा ल्यो सा।
कृत - गेंद कंवर रतनु ( खटुन्दरा )
।। हिंगलाज मां रो छंद रोमकंद ।।
अरज सुणो मां अम्बिके ,
विदिया वेद विचार ।
शांन्ति राचण संसार में ,
आप धरो अवतार ।(१)
काळ रमे कळु काल में ,
भभके दानव भाव ।
हिंगलाज रिक्षा कर हमें ,
आई धर पर आव ।(२)
धर्म सिधी धारण करो ,
डारण दुष्टी दाव ।
अमर सदा आकासणी ,
छत्राळी तुझ्झ छाव ।(३)
हर दुःख द्वंद को हरणी ,
करणी कर किरपाळ ।
वरणी च्यारां वेद में ,
जरणी तूं जग पाळ ।(४)
अमर आसण नभ अवनी ,
शिव घरणी सुर राय ।
शांन्ति रचण संसार में ,
आई इऴपर आय ।(५)
जपुं जाप जगदीशरी ,
पद ब्रह्मा परचाय ।
साय करो मम शंकरी ,
आई इऴपर आय ।(६)
कर लाम्बा कर करणी ,
धर पर धर्म धजाय ।
परमार्थ रच परघळो ,
वर सुध बुध वरदाय ।(७)
।।छंद जात रोमकंद मां हिंगलाज ।।
वरदाय सदाय विधाय वळो वळ , आय लियो अवतार इळा ।
परचार कियो सुख सींचण को , खळ खेद हटावण आप कळा ।
ममताय पसार मनांय महा बळ , बाल संसार सुभास बणी।
सुर साख सती हिंगलाज सदा कर आवड़ देवल मां करणी ।
जिय रूप अनेक धरे जरणी ।(१)
खल खेद हटाय मिटाय खळांदळ दाझ मिटाय अरी दळणी ।
धज धाम सुधाम तमाम धरा अवतार लियो तुम आ अवनी ।
जय चारण जात सुजात जया विखियात महीपर मात वणी ।
सुर साख सती हिंगलाज सदा कर आवड़ देवल मां करणी ।
जिय रूप अनेक धरे जरणी ।(२)
सुरराय सता सुरसाय सतोगुण ज्ञान छटा घट में गुणणी ।
वरदान विधा कथणी वरणी जरणी करणी तुझ वेद वणी ।
भवसागर पारण नाव भवोभव भाव भवानिय मात भणी ।
सुर साख सती हिंगलाज सदा कर आवड़ देवल मां करणी ।
जय रूप अनेक धरे जरणी ।(३)
रुख राम रमाय खमाय रवेचिय रोळण राकस रोप रणी ।
हण हेठ पताळ अरीदल झेरण हेरण खेद झपाट हणी ।
तव राजल नागल सेणल मोगल पीठड़ खोड़ल हो तरणी ।
सुर साख सती हिंगलाज सदा कर आवड़ देवल मां करणी ।
जिय रूप अनेक धरे जरणी ।(४)
कव रूप कळा लिख कीरत कायम क्रोध हटाय मिटाय कमी ।
नवखंड नमो तुझ नाम नमामिय आद भवानिय आप अमी ।
अन मान धरा जस धीज अम्बापत जीवन जाप जपुं जरणी।
सुर साख सती हिंगलाज सदा कर आवड़ देवल मां करणी ।
जय रूप अनेक धरे जरणी ।(५)
।। छप्पय ।।
नमो मात हिंगलाज , सुर साख सदा सरसावे ।
नमो मात हिंगलाज , अवतार इऴा पर आवै ।
नमो मात हिंगलाज , खळ दऴ दुसटी खपावै ।
नमो मात हिंगलाज , परम प्रभा परचावै ।
नमो नाम हिंगलाज नवधा , धर पर कइ रूप धारिया।
सहाय अम्ब सुर संतन की , सेवक काज सुधारिया ।
आम्बदान जवाहर दान देवल आलमसर
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