श्री करणी अमृत
आवत दौड़त याद करतां जो
राखत लाज सदा माँडाढाळी
जानत मो सुत मानत राखत
रहती सदाय माँ आप रूखाळी
करती सहाय माँ लोवड़वाली,
दीनबंधु दीनानाथ दयाळी
दौड़त दौड़त जदजदहारियो
आयी धजाबन्ध देशाणावाळी
लोवड़ ओढ़त काळीय डोकर
धारत मूंछ सफेद मेहाई,
श्याम वरण सुभ सुंदर सूरत
धोली सी दाढ़ी माँ आप जचाई
करणी महाकाली सो रूप धरायो
पर रहती निर्मल सदा सुरराई
जद कद आवज्यो मो हित करणी
ओहिज रूप सदा दरसाई
डूबत नाव समंद में शाह री
आह री टेर करी माँ पुकारी,
डगमग डगमग डोलत नावड़ी
झगड़ूरी साद सुणो महतारी
करनल नाम लियो मुख सूं जद
बीश भुजालीय बांह पसारी
एक ही हाथ स्यूँ बाहर लाविया
दुजोडे हाथ स्यूँ गाय दुहारी
बीका रीआय बारात खड़ीअर
शेखाजी काटत कैद करारी
वचन निभावन वेल मेहासदु
चील रो रूप धरियो महतारी
पीठ चढायउड़ी असमान अर
नाप दियो माँ भूमण्डल भारी
ल्याय बिठाय समे पर सगती
तारिया दो कुल देशांण वारी
शेखाजी को छोड़ पोल रे बाहर
पाछि उड़ी बण चील धिराणी
दादी दादी री टेर सुणि जद
छोटडिय उतरी किनियाणी
मारियो मावडी मोहिल कपटी
अर कालू शीश उतारयो महाराणी
सांपु री लाज अर गाय बचावण
रीश घणेरी करी रुद्राणी
क्या क्या बखाण करू हे भवानीय
बात बताई न जाये माँ सारी
आज 'विराज' कहे महाराज
मेहाई सुणो एक अरजी हमारी
ओर न चाहे कछु जीवन मे माँ
दीजे माँ दो चीज लोवड़वारी
धिन धिन माँ करणी तुझ नाम को
धिन भूमि पावन देशांणवारी
कुँवर विराज
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