महर गुरू महाराज,
ज्ञान री जोत जगाई।
समझ सीख जग सार,
अकल विद्या इधकाई।।
लुल़ताई अंग लाज,
संगत साध समझाई।
विगर लोभ धन लालसा,
मोह क्रोध मद मन मछर।
सेव समर्पण साधना,
मैं पाया सद्गुरू महर।।
नखतदान बारहठ
0 टिप्पणियाँ
If you have any dout please let me know and contect at mahendrasingh2015charan@gmail.com