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मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के गुणगान दोहावली 01 вhαgwαn ѕhrєє rαm k dσhє


         मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के 

                    गुणगान दोहावली 01


वक्त किसी का गुलाम नहीं होता न जाने कब जिन्दगी की शाम हो जाये तो ये दोहावली जितना जल्दी हो सके उतने समय में पूर्ण रूपेण लिख दी जाये अतः पुनः प्रयास कर रहा हूँ जिसके लिए आप अपना आशीर्वाद प्रदान करें व मार्गदर्शन करते रहे ।





श्री राम सुयश दोहावली भाग 1

पकड़ कलम परमेसरी , कियो हिये में कोड ।।
साबित राखो शारदा , लेखन विध री लोड ।।1।।

सहविध वन्दन शारदे , करूं मात करजोड़ ।।
उकत समापण ईशरी , मात रहो सिरमोड़ ।।2।।

सुध उकती हिरदे सदा , अहोनिश दिजो आप ।।
भगती निरमळ भाव री , सुरसत मात समाप ।।3।।

कर वन्दन शारद कहूँ , धरे तिहारो ध्यान ।।
महर करे अब मीर ने , सुध बुध दीजो शान ।।4।।

ऊंमा होवे आपको , हेते निमण हमेश ।।
गिरा बिराजो गवरजा , मात युं संग महेश ।।5।।

ऊमापत जो आपकी , होवे दया हमेश ।।
अवगुण सह अळगा हुवे , मन शुद्ध होय महेश ।।6।।

सिंह आसन पर हे सगत , मुदे बिराजो मात ।।
देवी सुध बुध देवणी , परचाळी प्रख्यात ।।7।।

संकट हरण सहाय करण , अशरण शरण आधार ।।
भव भय भंजन भगवती , वंदूँ वारम्वार ।।8।।

गिरिजा सुतन गणेश को , मन सूं लिन्ह मनाय ।।
कारज सह पूरण करण ,  ऊमासुत झट आय ।।9।।

सब देवन की शरण में ,।म्हें युं नमावूं माथ ।।
गुण रघुवर रा गावतां , सबे रहावो साथ ।।10।।

पवन तनय तव प्रेम सूं , जपूं नाम जोगेश ।।
महावीर तुम महर कर , हिय में बसो हमेश ।।11।।

हनुमत मों दीजो हमें  , उकती परगळ आप ।।
गुण गात न अटके गिरा , परतख तुझ परताप ।।12।।

मात तात गुण मानके , उर बिच धारी ऐम ।।
आप तणी आशीष सूं , परम वधे हिय प्रेम ।।13।।

जटिया कुळ में जनमियो , सूराराम सुजान ।।
वांको गुरू विशेष यों , म्हें जद लिन्हों मान ।।14।।

गुरू सबद अमोलख गिणे , सदा मान सिरताज ।।
गुण राम के गावतां , महर हुय महाराज ।।15।।
मीठा मीर डभाल

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