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माता जी की नामावली व नाम उपमाओं के 101 दूहा Karni Mata ji k Namavali, Doha


माता जी की नामावली व नाम उपमाओं के 101 दूहा

माता जी की नामावली व नाम उपमाओं के *101 दूहा रणजीत सिंह चारण "रणदेव"* (जिसमें पार्वती के 108 पीठों के नाम भी शामिल हैं) शेयर करके सबकों जरूर पढाये और स्वयं भी जगदंबा के इतने नाम पढें।
सभी को आने वाले 

आसोज नवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं



*गणपति समरूँ आपनें, बारि बारि मों बाप।*
*मंगल करों महेश सुत,, जपूँ आपरों जाप।।१।।*


*कृपा करों कमलासनी,दो सक्ति बुद्धि ज्ञान।*
*जगदंबा नाम जपणा,,लिखावों स कलमान।।२।।*

आर्या अभेयविक्रमा, अभया माँ अपर्णाय।
अहंकारा अएंदरी,, आ अनेकवर्णाय।।1।।
आघा आप आदरणी, आओं अग्निज्वाल।
अनेकाशस्त्रधारिणी,,, अनंता अनंताल।।2।।
आप ही अतिशाङकरी, अनेकावारनाय।
आ अमेया अरून्धती,,आ अनेकशस्त्राय।।3।।
अच्छोद अमोघायक्षी, अप्रोढा अभव्याय।
अश्वत्थी आ अनङ्गा, आद्या आरोग्याय।।4।।
उर्वशी उमादेवयी,आ अनेककन्याय।
अकाग्र उत्तरमानसी,,उत्पलाक्षी उदाय।।5।।
एक्कन्या एकवीरा,ओषधि आ एंद्रीय।
क्रसना कौमारी क्रिया,,कुशद्वीप कुमुदीय।।6।।
आ किष्किंधापवर्ती, कदार कैशोरीय।
कला मंजरी रंजिनी,, कालञ्जर कुमरीय।।7।।
कमलालय कुबेरालय, कृतशौचणि क्रूराय।
कल्याणी आ कोटवी, करवीर कार्तिकाय।।8।।
घोररूपा आ गौरी, चित्रा चित चिन्ताय।
चन्दमुन्दा विनाशिनी,,चित्ति चित्तरूपाय।।9।।
तपस्विनीय तिलोत्तमा, निधि तुष्टि नितम्बाय।
आ निशुंभशुंभहननी,, नन्दिनीय नित्याय।।10।।
जयन्ति आप जलोदरी, जगदीश्वरी जयाय।
दक्षयज्ञहविनाशिनी,, जगती जलप्रियाय।।11।।
दुर्गाय देवमातिनी, दक्षकन्या दयाल।
भाविनीय भवमोचनी,,भवानीय भूताल।।12।।
भद्रा भीमादेवयी, युवतीया यमुनाय।
भव्य आ भद्रकर्णिका,,भद्रकाल भव्याय।।13।।
प्रोढा पिनाकधारिणी, पुष्टिया प्रचण्डाय ।
पातालिय परमेश्वरी,,पार्वती पाटलाय।।14।।
पट्टाम्बरापरिधान्ना,आ पाटलावतीय।
पुरूहूता प्रत्यक्षा,,आ पातालवतीय।।15।।
पारावारा पार्वती, माधवी मङ्गलाय।
महातपा मुकुटेश्वरी,,ब्रह्मी ब्रह्मकलाय ।।16।।
मेधा माई माण्डवी, मन: आ मदोत्कटाय।
मात मधुकैटभहत्री,, रामप्रिया रटाय।।17।।
मुक्तकेशी महोदरी, आ बहूलप्रेमाय।
बुद्धि आ बिल्वपत्रिका,,बलीणि बलप्रदाय।।18।।
मन्मथा आ मृगापती,माई महाबलाय।
आ मतंगमुनिपूजिता,,माता महोत्पलाय।।19।।
महाभागा मानविनी , महिषासुरमदिनीय।
रम्भा आ रत्नप्रिया ,,आ ब्रह्मवादिनीय।।20।।
रमणी आप रतिप्रिया,वाराही विमलाय।
रूद्राणीय रौद्रमुखी,,वनदुर्गा विपुलाय।।21।।
वृधामत्ताय वैष्णवी,  विमलौत्त्त्तकार्शिनीय।
विश्वमुखी विश्वेश्वरी,, आ लिङ्गधारिणीय।।22।।
लक्ष्मी लीलाय ललिता, मात विश्वकामाय।
यति विशालाक्षी युवती,,ज्ञानाय त्रिनेत्राय।।23।।
धृति शेरावाली धरा,,यौवनीय यमुनाय।
शिवसन्निधिय सिद्धवनी,शक्ति सर्वविद्याय।।24।।
सत्या सावित्री सती, सन्मार्गदायिनीय।
सत्ता आ शिवदारिणी,,माँ सत्यवादिनीय।।25।।
सुन्दरीय सुरसुन्दरी,शिवदूती साध्वीय।
सुरम्य सर्वशास्त्रमयी,, सत्ताय शाम्भवीय।।26।।
सुगन्धा सर्ववाहना,जानेतु जाणकार ।
सर्वयदानवघातिनी, याही यमुनाकार।।27।।
सत्याना आ दासवी, वरूपिनी विकराल।
सर्वयवाहनवाहना,, संकरी शंकराल।।28।।
स्वाहा आती सिंहिका,मंत्री मायाहार।
सा सर्वसुरविनाशणी,,क्षमता शाकाहार।।29।।
शक्ति सर्वास्त्रधारिनी, शरणी राखो साय ।
गतिदेवणीय गाजिणी,,सगतीया सगताय।।30।।
सगती सर्वमंत्रमयी, आय उबारों आप।
मंतर तंतर मेटजैं,,साथे सगती श्राप।।31।।
सुगन्धाय शुभानन्दा, दाय लगावों दाव।
आप सुधारण अंतरा,,दशाली दो दशाव।।32।।
सावित्री आ संख्यणी, दिव्यणी देंय दान।
मांगू बस यो मावडी,सशक्ति धन संज्ञान।।33।।
गदा खड्ग त्रिशूल फूल, संग शंख शार्दूल।
धनु त्रिशूल गलमाला,,सगती स्वरूप मूल ।।34।।
पालनहार पालंबा, शीला आ सतलज्ज ।
कावेरी आ कपिला ,,गुणा गुणी माँ गज्ज।।35।।
गौरी गरूडी गजणी,, तूँ ही तारणहार।
गोमति तूँ गोदावरी,,गंगि गाऊं गुहार।।36।।
कालजयी तूं किरसणी,,भैरवी हरें भार।
कमलानि करूणामयी,,कलमाणि सत्य कार।।37।।
वैशाकी तूँ विशाली,, शुक्ली तूँ सम्पूर्ण।
मार्गशीर्षनी पौषणी,,कार्तिकी आ करूण।।38।।
गणगौरी आप गवरी, नवरात्रणी नितांत।
देवी दशाली दहनी,,प्रकटी विभिन्न प्रांत।।39।।
सांवली रूप सोहणौ ,नाम बडों ह निदान।
धन्यधान्यकी आपही ,धरूँ तिहारौं ध्यान।।40।।
विकृति आ परमात्मिका,माँ सुणों मोय गल्ल।
प्रकृति रचाणी वसुधा,आप देवी अटल्ल ।।41।।
सुणनी सत्य सकारणी,आओ वेग अपार।
दुविधामेटण दानवी,, सगला हरणी सार।।42।।
स सर्वभूतहितप्रदा,हिंगलाज संहार
कष्ट देयणी लेयणी,आदित्या उद्धार।।43।।
बिल्वनिलयाय बिरवडी,श्रद्धा सुमनी सोय।
शरणी सदा सम्पूर्णी,,तटिनी भरणी तोय।।44।।
चारिताली चलाचला,,चामंड मेट चोट।
पद्मा आप पद्माक्ष्या,,खाओं सारां खोट।।45।।
विजाषणी वरदानवी,करकस चलाणि कष्ट ।
भू भरा भ्रष्टहारिनी,,निसदिन नमाम नष्ट।।46।।
वैष्णों विश्वा वन्दणी, सगती समया सार।
शब्दं शब्दां सतर्कणी,आजादणी उबार।।47।।
तेमडराणी ताडका,अगौरीणी उराव।
तेज तनोटी तिरसुली,,प्रसन्न  पकडूँ पांव ।।48।।
हरिया सैणला हरणी ,,धुनला धरणी धार।
सायर सुआबाईसा,वरण वांतल विचार।।49।।
शील खम्मा संतोषी,शैलपुत्री स्तलाय।
सोमवती आ सैलजा,,श्रावणी शारदाय।।50।।
दिव्यणी आप दैतणी,कर्म देयणी काय।
चिताय चमन चारणी,,सत् दिज्यो सगताय।।51।।
आछी छैछी आंगणैं,,आवों बैगा आप।
संग आज्यों सब सगती,,पूर्ण करणैं प्रताप।।52।।
बहुचराय बिरवड अरू,गेंद कैसर गुलाब।
लाला फूलां लांगडी,,राखूं दरसण ख्वाब।।53।।
अद्वितीय अर्धांगिनी,आपही स आमाप।
संसारणी उबारणी,आप लगें आलाप।।54।।
वैशाखी आप वसुधा,,प्राण लगाणी पार।
पाप नसावण पालणी,,गोधरा च गिरनार।।55।।
कुमकुम माता कैसरी,,पहला पकडूं पांव।
आप विराजों डोकरी,,गढवाडा रों गांव।।56।।
अजया विजया आपही, अमृतणी अमराव।
चन्द्रिका रखों चाँदनी,,चारण राखें चांव।।57।।
भारती आप भोगिनी,,वीर मिटें वकराल।
आय वचन लों आंजणा,,कष्टा मेटण काल।।58।।
सिता माता सुरेसणी,साडु देव सजाय।
धनवंतरि धन देवणी,,भंवरी सब भजाय।।59।।
ज्येष्ठ ज्योतिषी ज्वालका, जगदम्बा जगमात।
चालकनैशी चाडका,,ध्याऊं मैं दिनरात।।60।।
चखणी भखणी चारणी,परमेशी पिपलाज।
झडोली आप जालिका,आओं बैगा आज।।61।।
महागौरी नवदुर्गा,अवतरी आवराय।
सोनल सगती लूंगमाँ ,कालरात्रि कल्याण ।।62।।
चन्द्रघंटा आ स्कंदी,पिसाचीय पाषाण।
हिमानी अरू हाँण्डनी,,वप्पराली वज्राय।।63।।
बैठी चौथ बरवाडा, माँ उमा महम्माय।
पावन पतितां पारखी,सगती आ सुरराय।।64।। 
भुवनेश्वरीय भवानी, आशापूर्णी आस।
भद्रकालीय भादवा,,खुशहाली दो खास।।65।।
कंठ विराजों कात्यायनी, आशापूरी आप।
बंक्याराणी बावजी,,शक्ति दो मोय बाप।।66।।
धनौप माँ धजावली,धूमावती धजाल।
शंकर प्यारी शौभनी,,कालीय खप्पराल।।67।।
बखानी ब्रह्मचारिणी,सुमिरूँ माँ सगतीय।
भृकुटीय भद्रकालका,,मुझ देओं मत्तीय।।68।।
विज्ञानीय विन्ध्याचली,वाहिनी तूँ विकराल।
उजियारी माँ आपही,,पूर्ण काज प्रतिपाल।।69।।
राधिका अलख रमझमें,रामा लक्ष्मी रूप।
सीता ही हैं जान्हवी,,शक्ति लीना स्वरूप।।70।।
त्रिभुवनधारीय त्रनया,मातंगी ममताय।
रिद्धी सिद्धी साधिके,,मंगल करणी माय।।71।।
जया तूँ जगदीश्वरी,चौसट्टी चांडाल।
उत्राणीय उदारणी,,तूँ मालिक पाताल।।72।।
उच्चारूँ आकासणी, ध्याऊ मैं धणियाप।
कूष्णमाण्डा काटणी,,पापीयाँ रो पाप।73।।
अष्टभूजी माँ नव निधि, पीठ एकसौ आठ।
नवदुर्गा माँ जोगणी ,,आप चार गुणा साठ।।74।।
अबुर्द्दीय इण्डोकली, तेरो सब में तार।
त्रिवेणी आप त्रिस्थली,,भिन्न रूपी प्रकार।।75।।
हरि रूपा आ हारणी, पुण्य रूप में प्रम्म।
क्रम्म दिखाती कालकी,,धर्माणी रो ध्रम्म।।76।।
झातला आप जोरकी,दानव बणे स दास।
देविय दानवघातिनी,,पूर्ण देय प्रवास।।77।।
मन लेवें आ मोहणी, मोहन लीला मात।
नेतना आ निरंजणी,,पृथ्वी पर प्रख्यात।।78।।
रक्तय पितीय राक्षसी, तूँ प्राणी में प्राण।
आधार तुझ आदरणी,,तारण वाली ताण।।79।।
निझरणी आ नारदणी,कुचमादी दे काड।
छले वारी आ छलियाँ,,रूपणी मेट राड।।80।।
महेसणीय महेश्वरी,ताम्रवेदी तवाय।
मानवी म्रतलोकणी,,ब्रह्माण्डणीय माय।।81।।
निरोगणी आ नोचणी, पल भर में पलटाय।
नमामि आप निवारिणी,,सगती आप सदाय।।82।।
दीक्षणी आप देयणी, आप उबारों आण।
बडवानी बलवानणी,,मारणहरी मसाण।।83।।
खडग धरे आ खापणी,राक्षस मेटे  राड।
काट सबने कटारणी,,खूनन लेंवें काड।।84।।
पद्मलया पद्मोद्धवा, पद्ममा पंचमुखाय ।
पद्ममुख पंचसहस्त्रा,, रुग्णहरण रोगाय।।85।।
इन्दुशीतलाय अमृता,अनघाय अशोकाय।
रित्या वृहत्तर रविणी,आ अनुग्रहपदाय।।86।।
कान्ताय कामाक्षी, आ क्रोधसम्भवाय।
आकां आघ्वातजननी, आ कमलसम्भवाय।। 87।।
दिव्य द्रारिद्र्यनाशिनी, भस्करीय भखराल ।
वसुप्रदा वरारोहा,,तिरशूलीय तिरकाल।।88।।
चन्द्ररूपा चतुर्भुजा, आप चन्द्रवदनाय।
चन्द्रा चन्द्रसहोदरी,, वाली वसुप्रदाय।।89।।
विष्णुय वक्षस्स्थलस्थिता,आप विष्णु पत्नीय।
वरलक्ष्मी वासुप्रिया,, हुय हेममालिनीय।।90।।
हरिवल्लभि हिरण्यमयी, हिरण्यप्रकाराय ।
लूंगा पांगा लाडला,,सचानंदी सहाय।।91।।
लोकशोकविनाशि लता,आपही लोकमात्रि।
भुजाबली भुवनेश्वरी,,दमणीय दमन दात्रि।।92।।
नृप वंश मगता नन्दा, रखण वारि रखवारि।
त्रिकाल ज्ञानसम्पन्ना,,तो सुगम राह तारि।।93।
नित्यपुष्ट नारायणी, नित्य हरणी नसाज।
शीलाय समुद्रतनया ,,पगा जिसके पिसाज।।94।।
शिवकरी शिवामोहनी, उमया खमया आप।
संकरणि आपही सखी,,बडा बडी मो बाप।।95।।
आ सर्वोपदवारिणी, धारिणीय धणियाप ।
सुरभि शुक्लमाल्याबरा,,तेजालीरा ताप।।96।।
पद्मगन्धिनीय पद्मिनी,अन्न देवीय आप।
पिसाचणी आ पालणी,,पंचमुखीय प्रताप।।97।।
तनोटरायी तेमडा, मोगली मच्छराल ।
चारण सगती चोतरे,,"रणदेव" स रूखाल।।98।।
भादरियाँ मन भावणौ, कालेडूँगरराय।
योग्या आप यशस्विनी,,दयाली देगराय।।99।।
वज्राणी आप वीजला,स्मरण निसदिन सदैव।
नाग रे रूप नागणी,सकल रूप सर्वेव।।100।।
काबावाली कारणी,देशाणे आ डाढाल।
वीसां भुजाली वरणी, लंगडी लोवडियाल।।101।।

*छप्पय*

तूँ ही तारणहार, मैया तूँ ही मारणी।
स चलावे संसार,,तूँ ही जीवन थापणी।।
अलख रखूँ मैं आस, आओं वैग अपारणी ।
खुशियां देकर खास,,पालो जगमें पालणी ।।
शिला सायर सर्व सगतीय, गावत रणदे गीतडा।
देवों ज्ञान बुद्धि स कौशल,,जगदंबा सुत जीतडा।।

*"रणदेव"*


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