1 भगवती श्री करणी जी को करूण निवेदन और ओळमा-
के कैवूं अब करनला,म्हारो दुख महमाय,
घणो न देवो गौरजा,थोड़ो तो बगसाय।।
के चावूं हुँ करनला,बतलावूं के बात,
दुखड़ो म्हारो डोकरी, मेटो थे अब मात।।
सबर कियो मनड़े सगत,बस थारे बिस्वास,
काम हुयो न करनला,अब मन हुयो उदास।।
देर करी न डोकरी,अपणा पर जद आय,
डग भर उड़ती दौड़के,झट छोटड़िये जाय।।
जद थारो जगदम्बिका,सुत जमपुरी सिधाय,
कोप कियो केहर चढ़ी,त्रिभुवन दियो धुजाय।।
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