म्हारे खातर मावड़ी,जगदम्ब करी क्यूं जेज,
क्यों थे तोड्यो करनला,अम्बा म्हांसूं हेज।।
के बिनती थांसू करूँ,ओ तो बता उपाय,
के अर्पण चरणा करूँ,थूं राजी व्हे जाय।।
म्हारो झुकियो मावड़ी,शरमा मरतो शीश,
बगसावो अब भगवती,बिजनस री बगसीस।।
कुँवर विराज शेखावत
म्हारे खातर मावड़ी,जगदम्ब करी क्यूं जेज,
क्यों थे तोड्यो करनला,अम्बा म्हांसूं हेज।।
के बिनती थांसू करूँ,ओ तो बता उपाय,
के अर्पण चरणा करूँ,थूं राजी व्हे जाय।।
म्हारो झुकियो मावड़ी,शरमा मरतो शीश,
बगसावो अब भगवती,बिजनस री बगसीस।।
कुँवर विराज शेखावत
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