🙏🙏गीत--साणौर चढाऊ
🙏🙏कृत--- रेंवतदान रतनू कलाऊ
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ध्यान धर पुकारूं आवड़ा धण्यांणी,
मावड़ा चढ झट शेर माथे।
ताकवां वंश रा मेटदो तावड़ा,
सगतियां साथड़ा लाव साथे।।
देवला सैणला खूबड़ा देवियां,
पधारो ताकड़ा बाघ पीठां।
विपदा विदगां मेटवा विरवड़ा,
मात तूं देखजो ईमी मीठां।।
कृपा कर करनला पधारो कळाऊ,
अधारो आपरा झाड़ आखा।
मोटवी मात तूं कृपा कर मावड़ी,
लोवड़ी ओढणी रंग लाखा।।
कांमना पूरणी पधारो कामेही,
सधारो सेवको जोय सांमो।
चारणो तारणी पधारो चामुंडा,
जात में लियो नवलाख जांमो।।
गोत ने जगावण पधारो गीगाई,
सुधारण सांसणो सुरोराया।
पधारो राजला अरज सुण पातरी,
जात री रुखालू जोगमाया।।
बूट ने बैचरा आवो सह बैनड़ी,
लावो संग खेतला वीर साथे।
चारणो घरो रा विघन मेटजै चारणी,
भेटजै तूं ही सुख संपत भाथे।।
रवेची माड़ेची ऊपरा राखजो,
भवानी आपरी बीस भूजा।
टाबरो तणा थै रुखाळो टापरा,
देवियों टाळजो विघन दूजा।।
चारण री विनती सांभळो चंडका,
आगे ही आप तो वेग आया।
रेंवतो कहै मात सब राखजो,
चारणा व्रन पर छत्रछाया ।।
कृत-रेंवतदान रतनू कलाऊ
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