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भगवती श्री करणी जी को करूण निवेदन और ओळमा-4

 के बिनती थांसू करूँ,ओ तो बता उपाय,

के अर्पण चरणा करूँ,थूं राजी व्हे जाय।।

म्हारो झुकियो मावड़ी,शरमा मरतो शीश,

बगसावो अब भगवती,बिजनस री बगसीस।।

अरज कर सकूं आपसू,अतरी मोय औकात,

देणो लेणो डोकरी, अम्बा थारे हाथ।।

राजी रहूं या रूसकर,पण हुँ थारो पूत,

चरणा थारे चारणी,ओ "विराज" आहूत।।


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