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Aavad maa doha आवड़करणी दोहा

 ।। जय आवड़ जगमात ।।

      

                      ।। दोहा ।।


प्रणत शरण निज पात ने,सरसावण सुख सात । 

सात सरूपम् सौहणी, जय आवड़ जगमात ।


रवि रोकण सोखण महण,करण क़ोड़धज पात ।

कुळ पोखण किंकर तणा,जय आवड़ जगमात ।


सगत महा बड आप सम, दूजी नहं दरसात । 

कुण थांरी समवड़ करै, जय आवड़ जगमात ।


                      ।। छप्पय ।।


जय आवड़ जगमात, सुशौभित सात सरूपम् ।

 जय आवड़ जगमात,आद हिंगलाज अनुपम ।

 जय आवड़ जगमात, तैमड़ै तखत बिराजै ।

 जय आवड़ जगमात, नवैनिध दास निवाजै ।

उर आस दास पूरण अखिल, 

                                  सगत नमू साक्षात ने ।

जुग पाण जोड़ शिशु "जय" जपे                         

                              जय आवड़ जगमात ने ।


बीसहथी राखो बणी, राज महर दिन रात ।हूं)आखिर बाळक आपरो,जय आवड़ जगमात।


भाव नशौ हिरदो भरो, हरख धरो सिर हाथ । (है)आसपूरण व्रदआपरो,जय आवड़ जगमात ।




      विनीत :- जयसिंह सिढ़ायच मण्डा

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