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Karni Mata Chirja Lyrics, Doha,करणी माता चिरजा लिरिक्स , दोहा,



Karni Mata Chirja Lyrics




 करणी माता चिरजा लिरिक्स




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करणी जेवी तेरै मात कृपालु ,क्यू मधुकर मन सोच करै ।वेदन तेरो काय विगाड़ै ,,इण,,डोकर सां तो जमराज डरै ।,,टेर ,,प्रभाती ।

सिंह चढी जो है मां सांमरथ ,
क्रोड़ देव खमकार करै ।
वीसा सो री वरण वाहरू ,
सब संतन का काज सरै ।करणी .

लाखण पूत गयी माँ लावण ,
धरम पुरी में धाक परै ।
जगत मंडणी जूनी जोगण ,
तीन लोक तेरी बात तरै ।करणी.

जो कोइ करणी जाप जपै तो ,
भगती रा दिल भाव भरै ।
अबखी पुल में आय उवारै ,
हरदम पीड़ा मात हरै ।करणी .

भँमर मन में राख भरोसो ,
झर झर आँसु कैम झरै ।
भीड़ पड़ै संग खड़ी भवानी ,
धणियांणी कर शीस धरै ।करणी जेवी मात दयालु ,,करणी जेवी मात कृपालु ,क्यू मधुकर मन सोच करै ।व्याधी तेरो काय विगाड़ै ,,इण ,,डोकर सूं जमराज डरै ।🙏🏼🙏🏼⛳👏🏻👏🏻🙌🏻
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बीकाणा रो बांणियो ,
करणी भगत कहाय ।
बुडै जल बिचै नावड़ी ,
बिलखे मात बचाय ।
डोसी डोल रयो दधी बीच ,
बेठी पुल कोण बचावे रे ।टेर ...
जांगड़ू शाह भगत सो जांणी ।
हुय जल मारग बीच हेरांणी ।
करो किरपा करणी किनियांणी ।
डरै ज्हाज डुबावै रे ।डोसी ....
पलटै नाव करे कुण पारा ,
तुफान चारां ओर त्यारा ।
सुण अरजी माँ तोय सहारा ,
अबखी कुण आवे रे ।डोसी ....
धैन दोवत माता चित धारी ,
बेठां करनल बांह पसारी ।
साचे मन विनती स्वीकारी ,
धन भगती धावे रे ।डोसी ....
जगत खड़ी रक्षक जगतम्बा ,
अबखी वखत उबारत अम्बा ।
भंमर पुकार सुणै भुजलम्बा ,
पुजत फल पावै रे ।
डोसी डोल रयो दधी बीच ,
वेठी पुल कोण वचावै रे ।
आ चिरजा भी घणा वखत पेला री लिख्योड़ी सादर निजर कवि भंवरदान मधुकर माड़वा जेसलमेर ।🙏😃
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   🔥🔥जय हो माँ करणी जी🔥🔥
उठ पोर रजणी जोर आनंद ,
भोर में भनकाविये।
कर सोर घन किल कोर पंछी ,
ठोर मिल ठनकाविये 
मुल्लां करे मनमोर मालक ,
बांग दे बतलाविये ।
धर ध्यान भँमर दान मधुकर ,
गान करनल गाविये  ।
 आ पेल धो अंग मेल अपणो ,
टेल फिर टमकाविये ।
ऊछरेल आखर ओपता ,
डकरेल छंद डमकाविये।
निज करम कर निरवेल निश दिन ,
परम गेल पठाविये ।
धर ध्यान भँमर दान मधुकर ,
गान करनल गाविये ।
 जप योग साधन जोग का ,
अण ओग चित ऊलटाविये ।
रग छोड मारग रोगरा ,
भव भोग मत भटकाविये ।
संजोग कर नीरोग शुद्धमन ,
धोग मन्दिर धाविये ।
धर ध्यान भँमर दान मधुकर ,
गान करनल गाविये ।
 कुछ दान कर अनुमान घर ,
शुभ जांन धर सुख मानिये ।
गुनवान गंस अग्यान बस ,
भगवान काजस भानिये ।
आदर अतिथी आन पे ,
सनमान घन सरसाविये ।
धर ध्यान भँमर दान मधुकर ,
गान करनल गाविये ।🙏🏼🙏🏼⛳
 भल भजन कर छंद छजन कर  ,
हर हरी दिस हुलसाविये ।
गल गंजन कर मन मंजन कर ,
भव भंजन कूं भरमाविये ।
तन तंजन कर सुख संजन कर ,
उर अजन मन उलटाविये ।
धर ध्यान भँमर दान मधुकर  ,
गान करनल गाविये ।🙏🏼🙏🏼⛳
जलदी ऊठे नित जाग कर ,
अनुराग मन उपजाविये ।
कुछ राग कर वेराग कर 
भव भाग मत भरमाविये ।
मेहा चले ऊस माग का 
अनुसरण मन ऊलटाविये ।
धर ध्यान भँमर दान मधुकर ,
गान करनल गाविये ।
 शुभियांण जो समजांण सखरी ,
हुलस कर हलकाविये ।
जो जांण हो जबरांण जितरी ,
मांण बिन मलफाविये ।
अणजांण बिन ऊलखांण ऊणने ,
तांण कर मत ताविये ।
धर ध्यान भँमर दान मधुकर ,
गान करनल गाविये ।🙏🏼🙏🏼⛳
सुबह सुबह कया करना चाहिए महा कवि भंवर दान माङवा मधुकर जी का ये काव्य सादर शिख योग्य काव्य बनाया है ।धन्य हैं ऐसे कवि जिस पर करणी जी की कृपा बनी रहे सदैव निरोगी रखे 
🙏🌸।।सुभ सुप्रभात प्रणाम जी ।।🌸🙏
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सकव मेहा मन सांतके ,
जपै माला अठ जाम ।
कन्या पांच पण मधुकरा ,
नाह चलै वँश नाम ।

मेहा सोच रहे मन मांय ,
अम्बा बिन कोन आधारे रे ...टेर 
अगम को ध्यान लगो अधरात ,
परम हिंगलाज पधारे रे ।
गुफा जठै तेमड़ री गिर राय ,
सबै संत काज सुधारे रे ।मेहा ..
आखै बिन पूत घरां अंधियार ,
वंशा गत कोण बधारे रे ।
 होवै मण लाख अमोलख हीर ,
पाथर सम जगत पुकारे रे ।मेहा .
तबै खड़ी हाथ लियां त्रीशूल ,
अजोनी प्रकाश उतारे रे ।
विसांहथ दिनो माँ वरदान ,
धरण हम देह तो धारे रे ।मेहा .
उचालण चारण घर अवतार ,
वरण तणी वेल वधारे रे ।
कवि भण भमर यू किरतार ,
अम्बा खुद आय उबारे रे ।
मेहा सोच रहै मन मांय ,
अम्बा बिन कोन आधारे रे ।
यह चिरजा भी बहुत साल पेला री सादर आज निजर कवि मधुकर माड़वा ।🙏😃
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साच भावी मन सुथारी ,
करे अरज किनियांण ।
दिनी राय देशांण नै,
भमर पूत भलांण।

सेवा भाव रख धीर सुथारी ,
निश दिन मात मनावे रे ।..टेर .
मेरे पूत एक कहे मायड़ ,जो ,
कोयर खोदण जावे रे ।
पापी पेट काज करे पड़पंच ,
दुख हिवड़ै दरषावे रे ।सेवा ..
ऐक दिन कोयर खोद अचानक ,
अणदो अध बिच आवे रे ।
बोली वरत तूटी उण वेला ,
जिवड़ो जम पुरी जावे रे ।सेवा .
कूक सुणी उणरी किनियांणी ,
दम्भी बण दरषावै रे ।
सांधो लागो देख सुथारो ,
अणदो बाहर आवे रे ।सेवा ..
साचै मन धावै जो सगती ,
परचा वो जन पावे रे ।
भमर भावी जिण देख भवानी ,
अम्बा ऊभी अकुलावे रे ।
सेवा भाव रख धीर सुथारी ,
निश दिन मात मनावै रे ।
सादर यह भी पुरानी चिरजा निजर मधुकर माड़वा 
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साधु हुय ना काज सरे ,
साचो बण जा संत ।
काम वासना दुर करे,
भजन भमर भगवंत ।
  ।।भजन राग आशापुरी ।।
संत बणे तो बण जा साचो ,
साधु बण्यां क्या काज सरे ।टेर ..
आतम ग्यान धार अबधूता ,
धूता पण मन केम धरे ।
सुता भोग तो करे शंशारी ,
भय जम दुतां डांण भरे ।संत ....
राम तेरा जो तन यह रचा ,
नित लै सचा नाम हरे ।
ईश भजन मारग यह अछा ,
क्यु भाई कचा काम करे ।संत ...
भगवा धार होवै क्या भाया ,
ताया हरी अनुराग तरे ।
सत्य पंथ कर ध्यान सवाया ,
काया चाया काल चरे ।संत ...
मानव जन्म मिल्या तो मोका ,
तन रा दोखा मेट डरे ।
अफण्ड कियां काम सब ओखा ,
भमरा चोखा भाव भरे ।
संत बणे तो बण जा साचो ,
साधु बण्यां क्या काज सरे ।
सादर उपदेशी भजन निजर मधुकर माड़वा जेसलमेर ।
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आज री ताजी रचना पेलै नवरते माँ शेलपुत्री सरूपा श्री करणी नै नमन ओर माँ हुकम सें निराहार वृत करतां थकां एक चिरजा देशांण राय रे श्री चरणां में भेंट सादर निजर मधुकर माड़वा ।
    ।।दोहा ।।
कय शरणी दय मधुकरा ,
जय करणी कर जोड़ ।
शुभ वय घणी सतांतरे ,
अय वरणी लय ओड़ ।

जय जय जप उठतां जग जरणी ,
करणी करणी नित करणी ।टेर ..
पहलो दिवस सरूप परखणी ,
शैल पुत्री माँ शुभ वरणी ।
शुभ दिन मास साल शुभ करणी ,
शरणी शरणी हित शरणी ।जय ..
हुकम हुवो माँ संकट हरणी ,
नवम नोरता करां निरणी ।
विसहथी माँ विभो वधरणी ,
भरणी भरणी वित भरणी ।जय ..
धन सुवाप गाम मरू धरणी ,
अशरण शरणी अवतरणी ।
जय देशांण जांगल धर जरणी ,
वरणी वरणी जित वरणी ।जय ..
वंदन करां माँ विपत विडरणी ,
कोरोना तण खय करणी ।
भज मन भंमर मात भय हरणी ,
चरणी चरणी चित चरणी ।
जय जय जप उठतां जग जरणी ,
करणी करणी नित करणी ।
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श्री आदी सगती करणी माता जांगल राय कि आरती कवि मधुकर माड़वा सादर निजर 🙏
      ।।दोहा ।।
करणी तणी आरती करे ,
नाम भणै शुध नीत ।
अन सुतन धन आपवै ,
जप वण मधुकर जीत ।
ऊँ जय जांगल राया ,,मैया ,
जय पूंगल राया ।
अरज सुणै झट आवो ,माँ ,
मेहा सुत माया ।ऊँ जय ..टेर 
चहुदै संवत चम्मालै ,माँ ..
अवनी पर आया ।
किनिया कुल जद करणी ,
पुन्य सफल पाया ।ऊं जय ..
सगती तार साठीको ,माँ ,
भगतां मन भाया ।
दीपै जोत देशांणै ,माँ ,,
देपावत दाया ।ऊँ जय .....
अणदो भगत आपरो ,
कोयर कढवाया ।
दोय मुखी बण दम्भी ,माँ ,
लाव संधै लाया ।ऊँ जय ..
शेखे काज सगती ,माँ ,
ताला तुड़वाया ।
आप पीठ लै आयी ,
संवली बण साया ।ऊँ जय ....
राज पायो रिड़मालै ,माँ ,
कांने कमखाया ।
करणी रा भगत कहावे ,माँ ,,
जांगल रा जाया ।ऊँ जय ...
जग मग जोत जेसांणै ,माँ ,
चारण कुल चाया ।
मेहर करी मगरे पर ,माँ ,
थान ईडग थाया ।ऊँ जय ....
कलजुग में किनियांणी मां ,
परचा हद पाया ।
बीठू कवी बिरदावै ,माँ ,
गुण भमर गाया ।
ऊँ जय जांगल राया ,मैया ,,
जय पूंगल राया ।
अरज सुणै झट आवो ,माँ ,
मेहा सुत माया ।ऊँ जय ....
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वंदन करू ब्रह्मचारणी ,
करणी रूप कहाय ।
भणी भगत तण भमरिया ,
शरणी सगत सदाय ।

करणी भज रे किनियांनी ,
अम्बा पुरे अरमानी ।टेर ..
धन उठता जो नर धावै ।
मन मधुकर मोज मनावै ।
सुख संपत घर बरसानी ।
करणी भजरे .....
ब्रह्मचारणी विरध वधाणी ,
सगती चारण शुभयांणी ।
वेदां में अवल बखानी ।
करणी भज ....।....
मायड़ हाथां धर माला ।
भगतां ऊपर शुभ भाला ।
जय जय दिन रात जपानी ।
करणी भज रे ......।।
पढ वांछित वो फल पावै ।
जो गढ देशांणै पे जावै ।
काबा मढ में कमठानी ।
करणी भजरे ....।
बीठू नित भमर बखांणी ।
हुय ना कबु कोय हेरांणी ।
करणी माँ कृपानिधानी ।
करणी भजरे किनियांनी ।
अम्बा पुरे अरमानी ।
मां करणी ब्रह्मचारणी भजन आज दुजो नवरते सादर निजर कवि मधुकर माड़वा 🙏🙏
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आज माँ करणी रे जन्म दिवस पावन सुयोग अवसर सभी भाई बहनां को शुभकामना रे साथै इण अपार खुशी मोके एक रचना सादर निजर कवि मधुकर माड़वा आज सातम शुक्रवार आशोज नवरतां में पुनित योग मावड़ी करणी रे जन्म रो खास दिन जय मां करणी🙏🙏
       ।।दोहा ।।
आज मेहा छाया आंनद घर ,
रिधू अवतार रचाया जी ।टेर ...।
आवड़ आज पधारे इल पर ,
मेहा खुशी मनाया जी ।
मात देवल धन भाग मोद कर ,
आढी उदर उपाया जी ।आज ..
गन्ध्रव गान सुना रहे गुणी वर ,
देवन दुंदभ बजाया रे ।
गाम सुवाप हरष घण घर घर ,
कविवर ,कीरत कराया जी ।आज  चहुदे संवत चम्मालै धर पर ,
आशु मास ओ आया जी ।
आज संजोग आय पुनी अवसर ,
सातम शुकर सजाया जी ।आज 
सोलह कला अदभूत सजाकर ,
चारण कुल मन चाया जी ।
किरपा कि करणी किनियां पर ,
बिठुवां अंजस बधाया जी ।आज 
मानव मोज दिनी मां मरूधर ,
जांगल वोज जचाया जी ।
मायड़ भगत माड़वै मधुकर ,
गुण भमरे कवि गाया जी ।
आज छाया मेहा आनंद घर ,
रिधू अवतार रचाया जी ।
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