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करणी माता चिरजा लिरिक्स, दोहा छंद,Karni Mata Chirja Lyrics, Doha, chhand,



Karni Mata Chirja Lyrics




 करणी माता चिरजा लिरिक्स


: 🌹🙏🌹🌹🙏🌹
किनीयांणी कहाय हैं  , डोकर डाढाळीह  !!
देवीगुर्जर देश में  , मोंगल मछराळीह. !!1!!

आवड़ साथे ओपती  , खोड़ल खपराळीह  !!
सगती जग में हैं सदा  , नव लख नेजाळीह. !!2!!

परचा विध विध पूरतां , रहवे रखवाळीह !!
अभ्यागतां रो आसरो. , करनल किरपाळीह  !!3!!

देवी राखो देश में , हरदम हरियाळीह  !!
सोनल कारज सारणी  , वड मढड़ा वाळीह. !!4!!

अरज सुणें मां ईसरी  , आवै उतवाळीह  !!
पत राखै तूं पलक में  , वीस हथां वाळीह  !!5!!

मात कहे गुण मीठियो  , मांनो ममताळीह  !!
तुज्झ हथ लज्ज मों तणी ,  बणी रक्ख बिरदाळीह !!6!!
मीठा मीर डभाल







 मढ देशाणे धाम री, कठे पड़ी है धुल
कण-कण में करणी बसे, हाथ लिए त्रिशूल
    🙏🙏#जय_माँ_करणी🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷💐💐💐💐💐💐💐💐
।।जगत जननी सोनल मां री सुरवाणी संदेश ।।

उगंणीस सौ साल असी ,
 पोष सुद बीज पाय ।
आई सोनल अवतरी ,
कुळी मवर किरपाय ।(१)

तूंबेल साखा तणघड़ी ,
तपसी हमीर तात ।
वाल बाई मात वंदे ,
सोनल भाण सखात ।(२)

घांघणिया कुळ मावड़ी ,
सोनल विध शुभियाण।
नानों डाडो नामइक ,
माणसुर मही माण ।(३)

 जाण जात जाझी जपत,
अरप इळा आदेश ।
 चारण सारण चळचळी ,
साचा अम्ब संदेश ।(४)

गाय गीता पाठ गुणी ,
रामायण राजेश ।
वेद पुराण विदग विधी ,
सोनल रा संदेश ।(५)

।। सोनल मां रो छंद मतगंयद।।

साय सदानंद मात सिरोमण ,
वालिय मां मढड़ा सुर वाणी ।
चारण चार उदार चितारण ,
वेण सुधार वणी वरदाणी ।
भाव उजाळ भवोभव भाषण , 
वेद विधी गुण वात वखाणी ।
भेद भवानिय रूप भणावत ,  सोनल मात सुधा सुरवाणी ।
जिय चारण चार जुगो जुग जाणी ।(१)

आद अनाद विचार उपासण , 
जाप अभेद सुजाप जपाणी ।
वीठल भाव पढे वसुधा पर ,
भेद मिटाण बणीय भवानी ।
नेक विचार अवास निवासण , 
वेण सुवेण सिखावण वाणी ।
भाव भवानिय रूप भणावत सोनल मात सुधा  सूरवाणी ।
जिय चारण चार जुगो जुग जाणी ।(२)

दारुय मांस सु दूर रखो दिल ,
चेतन तान सुणोय चिताणी ।
भाण भणा तव चारण भासकु जाण जचा जननी जगजाणी ।
आप विवेक उजाळण ईसर , 
वीस भुजाळ विशेष वखाणी ।
भाव भवानिय रूप भणावत सोनल मात सुधा सुरवाणी ।
जय चारण चार जुगो जुग जाणी।(३)

हो निर मोहिय हेत हमेस हि ,
ध्यान महेश सुरेश धराणी ।
तो करणी करनी जग तारण ,
वाक संतोष सुणी सुर वाणी ।
 राजल देवल खोड़ल राजस , 
देव दिसा दिल वेस दिलाणी ।
भाव भवानिय रूप भणावत सोनल मात सुधा सुरवाणी ।
जय चारण चार जुगो जुग जाणी।(४)

आप लिया अवतार अनेक हि , नेक कि टेक सदाय निभाणी ।
हेक बणो सब हेक बणो इम ,
 वाद विवाद हटाण वखाणी।
मागण तागण त्याग रखो मन ,
दीन बन्धु बणि धर्म धजाणी ।
भाव भवानिय रूप भणावत सोनल मात सुधा सुरवाणी।
जिय चारण चार जुगो जुग जाणी ।(५)

कायम होय करो कुछ कर्म तु , नायक होय करो निगराणी ।
गांव गुवाड़ बणो गउ पालक , 
ढोर चरावण ढाणिय ढाणी ।
गोरस गोर करो बहु गोतसुं , 
सार संसार सुणा समझाणी ।
भाव भवानिय रूप भणावत, सोनल मात सुधा सुरवाणी।
जिय चारण चार जुगो जुग जाणी ।(६)

दान कन्या वर दे  दिल माफिक ,
 साच तणी सुबधा समझाणी ।
वेद विधान विवेक विचारण ,
होय अती न जहां जन हांणी ।
पात तणी सुत प्रीत पढ़ाकर ,
 मानवता मन में  परमाणी ।
भाव भवानिय रूप भणावत सोनल मात सुधा सुरवाणी।
जिय चारण चार जुगो जुग जाणी ।(७)

चारण तारण जाण सुधारण ,
 वात शिवा विसवास वखाणी ।
अम्ब उचार अहोनिस आदर , सादर सोनल मोज सुजाणी ।
अष्ट पदां मिझ सार अहोनिस ,
वारम वार विधान वखाणी ।
भाव भवानिय रूप भणावत सोनल मात सुधा सुर वाणी ।
जिय चारण चार जुगो जुग जाणी ।(८)

        ।। छप्पय ।।
सोनल साच संदेश , चारण चार रह चावो ।
पाथुवां पथ पुंनेस , ठांकरां ठाट ज ठावो।
आई सत उपदेश , नीयत निर्माण नावो ।
ताता आखर त्याग  , प्रीत समाज परचावो।
आदरता रखण सत अवनी ,चारण चार जतन चवां ।
आदेश सोनल मां आपरा , भणी सुमती भवो भवां ।

आम्बदान जवाहरदान देवल

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
🚩✍
बेगी आजे मावङी, झगङू करे विलाप। 
तरणी तारो चारणी, मेटो माँ संताप।।
सांवल दान देपावत 
देशनोक 🙏🚩🚩


राखों शरणे मां रिधू,डोकर ए डाढाळ।
महर कर मनोकामना, शक्ति तुहीं संभाळ।।
शक्ति तुहीं संभाळ, आनंद करो ईशरी।
प्रीत पूत री पाळ,बालक ने मती बिसरी।।
लोवङयाली लाज,ढाल लोवङ हूं ढाखो।
कर नित रा मों काज,रिधू मां सुखमय राखों।।१
*****श्री करणी शरणम्*****
(गिरधारी बिठू,सींथल)


 नित प्रत भेजों नारणी,अंतस रा उदगार।
आप सुणो अवतारणी, कलजुग री किरतार।।
नारण सुता तूँ नारणी,देमां मां कुळ देव।
तारण विपतों तारणी सुबह करन्तो सेव।।
वीठू वंश री वाहरु,शरणागत री स्याय।
दुष्टों री मां दाहरु,बेरी मोत बताय।।
देमां सीलां देवता, समरे ज्योंरी स्याय।
सदाय राजन सेवतों,हर की मेटे हाय।।
कर जोड़ जो अरज करे,सेवा करे सदाय।
संकट काट काज सरे,मदद रहे नित माय।।
(कवि राजन झणकली)



आवड़ जी रा छंद ।रचना रिड़मलदांन बारहठ भियाड़
दोहा
सनमुख रहजो सारदा धरां रिदै विच ध्यान
चवां जस डूंगरैचियां गरवो दै मुझ ग्यांन (२)
भणां देवी भादरिया रट नागांणा राय
समरां माता सांगियां गुंणगावां गिरराय (३)
आद सक्कती आवड़ा तणवट मा सिरताज
तकत विराजै तैमड़ा है दैवी हिगलाज (४)
छंद रोमकंद
हिगलाज कहावत मात मनावत सैवक जावत वां सरणै
गढवी गुण गावत जोत जगावत मांमड़ ध्यावत मोद घणै
विणती सुण आवत मा प्रगटावत वांज मिटावत वाच कया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (१)
धन चारण ध्यावत मांन वधावत पांव धरावत पालणियै
अवतार लिरावत आवड़ आवत सात सुणावत संकतियै
जणनी हरखावत ढोल बजावत लाड लडावत हालरिया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया (२)
मिल सात सहैलिय रंमत भैलिय कूंडल वालिय कैल करै
लख लोवड़ वालिय कांबल कालिय धाबल वालिय ध्यांन धरै
भगतां रखवालिय सैवक भालिय दीनदयालिय राख दया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (३)
जल कूंड नहावण नै मिल जावण रुप निहारण दैख रयो
सुमरां घर जावण जाय सुणावण नाइ वतावण नै लचियो
कपड़ा तज आवण रूप करावण होवत नागण नैह गया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (४)
विदगांय बुलावण ओ धमकावण व्याव रचावण वात करै
विकराल दिखावण श्राप दिरावण म्लैछ मरावण नूर मरै
कुल नास करावण राज खपावण नांनणकोट विनास किया
घटिलिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (५)
हकड़ो कहलाविय नीर हलाविय रोक रखाविय ओ रसतो
वहतो खलकाविय दूर सु आविय जाविय कोस हजार जितो
चलुवां भर चाखिय हैक हथालिय पांणिय आवड़ पीय गया
घटिलिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (६)
अध रातिय आवत नाग डसावत भ्रात कहावत पीड़ भही
उर जेर उतारत अंम्रत पावत लांगदे आवत दैर लही
अब आवड़ आवत लोवड़ि लावत भांण उगावत ठांभ रया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (७)
कुल दैविय मांनत भाटि कहावत जांणत राव तणू जबही
परचा परखावत पांव पखालत स्वांग विराजत सात सही
वरदांन सुणावत राज दिरावत राखत सैवक बाधरिया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (८)
विजराव कु दैविय चूड़ दिराविय वैरिय घात करावण कै
रतनो मिल जाविय वंस रखाविय बैठिय संग देरावर कै
प्रथवी अपणाविय कोट थपाविय भाटिय भूप जेसांण भया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (९)
उतपात मचाविय लोक डराविय मारिय राकस तैमड़ियो
भख लैविय झोट सु दैग भराविय मात बचाविय भाखलियो
सठ साबड़ बूगिय मार सेलाविय हूंण भगाविय तै हणिया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (१०)
पिछमांण सु आइय पाक पठाइय बंब हवाइ फगाय बड़ै
झगड़ो भिड़ जाइय हीद जिताइय पाक हराइय भाग पड़ै
मढ जोत जगाइय फोज मनाइय मात सहाइ तणोट मया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (११)
चड़ सीह सवारणि है व्रमचारणि दीसत डारणि दैव खरी
असुरां कुल मारणि ध्रंम उबारणि संत सुधारणि स्याह करी
त्रिय लोक निहारणि तू भव तारणि भैरव राखणि संग भया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (१२)
गिर डूंगर सीखर मंदर कूंगर ऊपर लाल धजा उधरी
मह मूरत सूंदर छंत्र चमंकर जोत दिया कर पूज करी
रणकै सुर झालर ढोल नगारन आरति संत उतार रया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (१३)
तुहि तैमड़ वालिय आय उतालिय नागण कालिय नागणेची
गिर ऊपर वालिय तूं घटियालिय डूंगर वालिय डूंगरेची
सुभ सांहगियालिय द्वैग सभालिय भादरियालिय नांम भया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (१४)
नवरात भरात मेला नितही नित बोलत है जयकार अम्बा
सणगार सजावत आत सहैलिय घूंमर रंमत हैं गरबा
घण जातरु आवत जोत जगावत शीश नमावत खूस थया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (१५)
कर जोड़त आंणिय मात वखांणिय सांप्रत जाणिय तू सकती
परसाद चड़ांणि गगाजल पाणिय भैट धरांणिय दै भगती
लक्षमी घर आंणिय लाभ लिराणिय ग्यांन दिरांणिय पाप गया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया जिय आवड़ खोड़ल आव मया (१६)
जगमै सब जाणिय जोगण जूनिय आद भवांनिय दै उकती
बुधवांन करांणिय दै वरदानिय मूख मे आंणिय सूभ मती
रिड़मंल कि बांणिय ध्यांन धरांणिय मैहर वाणिय राख मया
घटियालिय दैविय कालिय डूंघर तैमड़ वालि तणोट मया
जिय आवड़ खोड़ल आव मया (१७)
छप्य
आवड़ खोड़ल आइ नमो देवी नागांणै
मढ भादरिया माइ द्वेगराय धणीयांणै
तैमड़ राय तणोट आइनाथ घंटियाली
मांनसरी मा ऊंमट डूंगरैची दाढाली
सागीया जी साबड़ राय जोगण जुंनी जालरी
रावतरै विरदावै रिड़मल जै मांमड़ियाइ मात री

रिड़मलदांन बारहठ 



कुंवर विराज शेखावत कृत भगवती स्तुति-

भवतारण भव मात भगवती,
विपद हरण विख्यात भगवती।।
एकर आवड़ बणकर आया,
फिर करणी हिंगलाज भगवती।।
मेहो सिंध रे देश सिधाया,
देय एक वरदान भगवती।।
सात रूप धर तोय सुता बण,
आवेला हिंगलाज भगवती।।
वचन निभा उपकार करायो,
देवल कुंख धराय भगवती।।
सपणे में सवरूप दिखायो,
अष्टादश भुज रूप भगवती।।
नो महीना सूं सब ही जलमे,
इक्कीस सूं बस आप भगवती।।
देख सुता मन हीन भुवा री,
मोड़ आंगली मात भगवती।
शुभदायक सब नाम रखायो,
मनमोहक रिधुराय भगवती।।
बाल बनावे भुवा रदय सूं,
हाथ सवायो करे भगवती।।
करता करणी भुवा केवियो,
श्री करणी शुभ नाम भगवती।।
श्री करणी श्री करणी कहतां,
हरखी चारण जात भगवती।।
दुख मेटण अर सुख संचारण,
जलमी करणी मात भगवती।।
अही डसियो निज तात को बन में,
जहर उतारियो मात भगवती।।
जग बिच परचा जगमगे,
फैले चहूंदिश नाम भगवती।।
साठिका रा देपा बीठू,
सँग परणीज्या मात भगवती।।
केवल कुळ मरजाद कारणे,
ब्याव करायो मात भगवती।।
भरम मिटावण देपा जी रो,
विश्वरूप दरसाय भगवती।।
करणीसर इक कुवो बणायो,
प्यास जान री मेट भगवती।।
हुवे ना बिच्छु साठिका में,
ओ पेलो वर देय भगवती।।
ब्याव दुबारा देपा जी रो,
भगिनी सँग करवाय भगवती।।
डूबतड़ी झट करणी तारी,
झगड़ू आळी झ्याज भगवती।।
पाणी खातर गांव रोकियो,
गाय चरातां मात भगवती।।
जल उँडो रस खारो हुसी,
श्राप दियो सुरराय भगवती।।
छोड़ सासरो मात चालिया,
जांगळ देश सीधाय भगवती।।
शुभम समय आ मात शंकरी,
नेहड़ी जी थिरपाय भगवती।।
कान्हो जद मद मांहि भरमायो,
करणी रोपी कार भगवती।।
लाघण री जिद कान्हो कीनी,
सिंह बणी बिकराळ भगवती।।
मार कानियो राजा करणी,
रिड़मल राज दिराय भगवती।।
धरती माथे सुरग सरीखो,
देशनोक बसवाय भगवती।।
डूब्यो जद लाखण कोलायत,
जम सूं ओठो लाय भगवती।।
शेखो भाटी आय शरण मे,
जुद्ध घणा जितवाय भगवती।।
अमर होण रो वर जद मांग्यो,
दूजो वर बगसाय भगवती।।
आक छांव मिंडा मास खीप खाट,
मावस वाळी रात भगवती।।
चार चीज भेळी होवण तक,
मरणे ना दे मात भगवती।।
चिडियानाथ भगावण चाल्या,
जोधपुर बसवाय भगवती।।
बीका जी रो ब्याव रचावण,
साख लेय खुद जाय भगवती।।
शेखो मना कियो सगती ने,
जेळ पुगायो आप भगवती।।
रो  रो करणी रटण लगायी,
पछतावो करवाय भगवती।।
शेखवधू आ माफी मांगी,
जान लेयने आव भगवती।।
कन्यादान रो वचन लिरायो,
शेखे हाथ कराय भगवती।।
कन्यादान रे समे करनला,
चील रूप धरवाय भगवती।।
तोड़ जेल झट बाहर लाई,
पीठ चढ़ा पुगवाय भगवती।।
छोटड़िये बण चील चालिया,
सांपु री सुण साद भगवती।।
कालू पैथड मार करनला,
गाया पाछी घेर भगवती।।
राव अदीठ मेटियो अम्बा,
बगस्यो जीवनदान भगवती।।
बूट बेचरा भेंट कराई,
परमरूप दरसाय भगवती।।
बन्ने ने दरशन देवण आया,
आंख्या जोत दिराय भगवती।।
दुर्गा आळो रूप दिखायो,
कह मूरत घड़वाय भगवती।।
घड़ियाला पावन धर आया,
निज धाम गया महमाय भगवती।।
सन पनरे सौ अर पिचानवें,
चेत सुदी तिथि नोम भगवती।।
मूरत मढ़ थिरपाय सभी मिल,
जोत रूप दरसाय भगवती।।
पावन मढ़ देशाण सरीखो,
दूजो न इण देश भगवती।।
दरशन करणे आवे दुनिया,
दुखड़ा मेटणहार  भगवती।।
काबा घणी किलोळ करावे,
पोता जो बणवाय भगवती।।
माँ री महिमा सब जग जाणे,
"बिराज" फेर बतलाय भगवती।।
जाण अजाणे जो भी गलती,
हुई तो माफ कराय भगवती।।
श्री करुणामयी मात करनला,
दीनानाथ दयाल भगवती।।

कुंवर विराज सिंह शेखावत भडुन्दा छोटा
हाल- तारानगर

जय जगदम्बे मात भवानी
जय जय करणी माता की
प्रेमसे मिल कर सब जय बोलो
ईन्दर कुंवर अन्नदाता की
🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹



🚩✍
कर क्रन्दन करूणा करी, करणी सुणी आवाज। 
भक्त पुकारी मात ने, जळबिच तारी जाज।।
सांवल दान देपावत 
देशनोक 🙏🚩🚩



अटल भरोसे आपरे,जीवन पूरो जोय।
मोटी तूँ है मावड़ी,मारण तारण मोय।।
अटल भरोसे आपरे,राजन है सुरराय।
पेले भवरे पाप रे, मेटे गठरे माय।।
काम पड़े जद करनला, जपो मात कर जोड़।
आय आसरे आपरे,देवी शरणे दौड़।।
डॉक्टर वेद तु डोकरी,काटण पीड़ा काय।
हरदम स्मरयो होकरी, सरवत काजों स्याय।।
(कवि राजन झणकली)



 *┈┉┅━◆❀꧁ω❍ω꧂❀◆━┅┉┈*
╔═══════════════════╗
 
       *🔱जय श्री करणी माताजी🔱*      

🙏🏻🙏🏻 *छन्द कुण्डलिया*🙏🏻🙏🏻

*आई सिंवरू आपनै,मोटी करणी मात।*
*भगतां सिर पर भगवती,हरपल रखजे हाथ।*
*हरपल रखजे हाथ,डोकरी डाढ़ावाळी।*
*आवड़ आई नाथ,करनला काबावाळी।*
*अजय करत अरदास,सदा मम करो सहाई।*
*किरपा कीजै खास,अर्ज मां सुणतां आई।।*

*।।@ठा.अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत।।*
                         
 
╚═══════════════════╝
*┈┉┅━◆❀꧁ω❍ω꧂❀◆━┅┉┈*




राखें ज्यूं रहवा रिधू,इण भव सागर आय।
लोवङ मांहि लुकाय के,सदा रखें सुरराय।।१
सदा रखें सुरराय,आनंद मन उपजावें।
भंडार धन भराय,रें रिधू लाज रखावें।।
हिये हेत हरखाय,बात गिरधर ओं बांचें। 
देव देसांणराय,रात दिन राजी राखें।।१
*****श्री करणी शरणम्*****
(गिरधारी बिठू,सींथल)




 गुरु रूप गजानन महाराज व सदैव सहाय कलम स्वरूप मां भगवती शारदा की अथाह कृपा से आज नये पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त कर लिया....
जगत जननी के आशिर्वाद से हर बार की तरह इस बार भी सफलता प्राप्त करूंगा और माता पिता और समाज की किरती उज्जवल कर सकुगां ।।
आप सभी आशीर्वाद प्रदान करें....
जय मां भवानी 🚩🚩

गजानन सुमिरन करहूं, करे विघ्न विनाशक ।
शारद मां सुमति दिजो, किजो हिये प्रकाश ।।
आज्ञा पांऊ आवड़ा, कमल चलावण चाह ।
शारदा रूप घट बसों, मदद करो हर थाह ।।
करणादे किरपा करो, उनत कलम परवान ।
नागणेची नित नमहूं, देवों शब्दा रो ज्ञान ।।
आखर देवो आवड़ा, हिये बसो हिंगलाज ।
कुलदेवी करो किरपा, करणी सारो काज ।।
         _____________________
        🦅📿 मातेश्वरी महर 🔱🐁
              ✍️ कुंवर मानस 🌞



हरीयां माता रा छंद रचना रिड़मलदांन बारहठ भियाड़ जिला बाड़मेर

दोहा
सुंदर धरती सिंधमै वसति गांम वैदांन
जणघर हरियां जंनमी देथा चूतरदांन
छंद रोमकंद
चुतरा अणदांणिय चारण जांणिय वास वेदांणिय मे वसता
जनमी घर आंणिय धीवड़ि जांणिय मांन रखांणिय है ममता
हरियां कहलांणिय नांम रहांणिय रूप सयांणिय होय रया
अगनी तप अंन्दर जालिय जंम्मर होयगि अंम्मर मा हरियां
जिय होयगि अंम्मर तुं हरियां-


।। माँ सायर सर्वम् मम: ।।

                        ।। दोहा ।।
    
              ।। करणी करणीकोट ।।

रात दिवस  निरभय रहे, आश्रित जिणरी ओट ।
त्रिशूल पाण धरणि तिका, करणी  करणीकोट ।

हाथ सरल कीधो हरख, भुवां तणी लख खोट ।
धरणी नाम करणी तिकां, करणी  करणीकोट ।

राजत   दैशाणे    रिधु, महिमा  चहुंदिश   मोट ।
(वहि)साम्प्रत सायर रूपमे,करणी करणीकोट ।

लाई   लाखण  लाडलो,  विधनां   रीत  उलोट ।
सुरग मंढ़  रचणी  जिकां,  करणी  करणीकोट ।

ऊंचो गढ़  मंढ़ ऊजळो, अर्क लेत  जिण  ओट ।
(नित)महर मैह करणी तिका,करणी करणीकोट


   (श्री करणीकोट कीरत इक्कीसी  सूं उद्धृत )
             अन्तस री अरदास पुस्तक सू 
            

        विनीत:- जयसिंह सिंढ़ायच मण्डा 
                         राजसमन्द


चाऴकनेची रा छंद मावलजी वरसडा रा कहियोडा

दूहा
चाळराय रे ज़ाऴरी,झाली सेवक झंब ।

दिन वळियो,टळियो विघन,आंगण फळियो अंब ॥१॥
कुंभ बोलाडण कारणै,मावल करियो मन्न ।

आमंत्रण सुण आवजो, सातां बहऩां सत्थ॥२॥

नवदुरगानां निमंतरां,नवदुरगानां निमंतरां नवलाख।

होड क्रोड हरकत हुवे,हिंगऴाज रथ हांक ॥३॥
देहसे जंजीरां रोक दुःख, परा बेडी खऴ पेच ।

बाऴक तेडी आवजे, नेडी चाऴकनेच ॥४॥

घंट रमण लागो घुमण,नवमुख किया निहाल ।

माई विराजै उभट,सहुवांणी सुभ भाऴ ॥५॥

छंद
सुभ भाळक देव,संभाळक सेवग, झाऴ बंबाळक रोष झडै ।

विकराळक सिंह चडै बिरदाळक ,खेतरपाळक अग्र खडै ।

चख नक्ख सरुप रचै चिरताळक दांणव गाळक शुंभ दयो ।

प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥१॥देवी जोगण चाळक नेच जयो॥१॥

रण ताळक,झाळ शत्रां शिर राऴक कै महिपाऴक सेव करै ।
चमराळक शीश ढुऴाळक चौसठ तेज उजाऴक भांण तरै।
अकडाऴक घाट घडाऴक ओपत थाट थडाऴक आंण थयो ।
प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥२॥देवी जोगण चाळक नेच जयो॥
भरळक्क त्रिशूऴ, बणै अंग भूषण,कोर जरी परऴक्क किये ।
नचता खरळक्क पगां बजै नेवर,हारनगां हरऴक्क हिये ।
परळक्क पहेप का फुल झडै मुख,तेज रवि झरळक्क तयो‌।
प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥३॥देवी जोगण चाळक नेच जयो॥
चट पट्ट पटंबर पेहर चोसठ,नाच अघट्ट अमट्ट नचै ।
अट मट्ट मुगट्ट धरै शिर उपर,रास सुभट्ट प्रगट्ट रचै ।
झणणट्ट सुघट्ट बजै पग झांझर,थाट थडां थणणट्ट थयो
प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥४॥ देवी जोगण चाळक नेच जयो॥
धंम धंम नचै धंम धंम बजै,धर जेवर पे ठम ठंम नथां।
नमनंम भवानीय चामुंड नाचत है डमरु डमडंम हथां ।
चम चंम आभुखण अंग चमंकत भांण उदैगिरी जांण भयो ।
प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥५॥ देवी जोगण चाळक नेच जयो॥

नमकै ढमकै ठमकै पग नुपूर,चूड भुजां दमकै, चमकै ।

चमकै दुह कुंडळ कानन का,छत्र छागळिया रमकै छमकै।

समकै सिंदुर री रेख संवारत भाऴ कंकु अभकै भरियो।

प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥६॥ देवी जोगण चाळक नेच जयो॥

चलतां ललकार हिलोमिल चोसठ,हाक भेरु हलकार हसै।

नचतां भलकार वळोवळ नाचत,लाल चुडी मलकार लसै।

तिलकां झिलकार करै पलकां तिस प्रेत मुखां बल्लकार पयो ।

प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥७॥देवी जोगण चाळक नेच जयो॥

चंड-मुंड घमंड विखंड के चामुंड,नव खंड-अरु ब्रहमंड ऩमै।

परचंड हुडंड भुडंड प्रखंडज तुंड मुंडा गऴमाऴ तमै ।

झुंड जोगण थुंड उभंड झटोझट,खंड-रु-चंड -व्रहंड-खयो।

प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥८॥देवी जोगण चाळक नेच जयो॥
खळ-थोगण-थोग-अरोगण खुपर,छेडत जोगड जोश छिलै।

मद भोगण,मांस अरोगण,मैमत,घाव त्रमोगण दैत घिलै।

अंग-रोग-ना-भेट सकै अरु-औगण,क्रित अमोगण रीत कयो।

प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक, जोगण चाळक नेच जयो॥९॥देवी जोगण चाळक नेच जयो॥
बज डाक,त्रंबाक,ध्रबांक-त्रिशूऴ-व्है,हांक चंडी नवलाख हमै।

पड-ध्राक-नरां-चड-चाक प्रथी पर,नाक-सुरां-असुरांक-ऩमै।

मद-छाक,ऎराक-पियाक-हमै-सई-लो-बकराक-कराय लियो ।

प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो॥१०॥ देवी जोगण चाळक नेच जयो॥
झणणाट बजै,नचतां पग नेवर,व्योम-डंका गणणाट बजै ।

खफरां खणणाट हुवै रत खावण,छोळ रतरां छणणाट छजै ।

नचतां छणणाट पगां बज ऩेवर छत्र-छटा छणणाट छयो।

प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥११॥जोगण चाळक नेच जयो॥
ब्रहमाणीय,वाणीय,वेद वंचाणीय,जाणीय, मांनीय,चार-जुगों।

असुरांणीय,घांणीय,मार उडाणीय,खेल भवांनीय,मेल खगों ।

शगतांणीय बो बहऩां सह-सांतूय नाच रुद्रांणीय घाट नयो।
प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥१२॥जोगण चाळक नेच जयो॥
चाऴराय-सहाय,वधायसु चारण,गाय बजाय रिझाय गुणों।
सुर राय, नमो महामाय,सुरांपत,खाय-खऴां खुफ्र-बाज खणो।
गढ गांव देराय ,चढाय गजां पर,आद भवांनीय साय अयो ।
प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥१३॥देवी जोगण चाळक नेच जयो॥

बुधिवांन निधान समो बलवाऩ है,थापनां थांन सुथांन थपं।
मेरवांण हुवो सुभ यान मया जांण जुगांण जहांण जपं।
महादांन ब्रदांन ब्रवै मन 'मावल' चैन सदा अनुमांन चह्यो।
प्रतपाळक बाळक,रोग प्रज़ाळक,जोगण चाळक नेच जयो ॥१४॥देवी जोगण चाळक नेच जयो॥

छाप्पय

जात चाऴ-कनै जाय,आस कर कवियण आवै।
प्रथम दरस्सण पाय,पात नवे निधि पावै।
नमो आदि-अन्नादि,नमो मां चाऴक-नेची।
गुण गांवां हिंगोळ, रवेची,थुं डुंगरेची।
कोहेला शिखर सरसी कऴा,गढ-दांते अंबा गणी ।
शगत मात अरजी सुंणों,जिकां विरदां जोगणी॥१॥
 🚩✍
सुरभि दूजे धोळती,दौहन करती मात। 
हेले पर हाजिर हुई, श्री करणी साक्षात।।
सांवल दान देपावत 
देशनोक 🙏🚩🚩


 कमधज विनवै करनला,हरदम जोड़े हाथ।
म्हारै मन री मावड़ी,बेगी सुणजे बात।।

कमधज विनवै करनला,धर नै हिवड़ै ध्यान।
आई सुणतां आवजै,सेवग राखण शान।।

कमधज विनवै करनला,प्रथम उठता पांण।
धूप दीप कर ध्यावना,देवी मढ़ देसाण।।

कमधज विनवै करनला,अवलंब पुरो आस।
चरणों दीजै चाकरी,किरपा कीजै खास।।

कमधज अजेय करनला,देवी थारौ दास।
उठता पैलां आपनै,अवस करै अरदास।।

@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत।।



 देवी रिधू दर्शन दों,दयालु ए देसांण।
ओ छोरू तों अडिक में,करणी सुण किनियांण।।१
कळझळ करतों काळजों,लाटा मांय लगाय।
रह जगतों दिन रात रो,बिठू रो आ बुझाय।।२
ठंड कळेजे ठांय दें,इतरो कर उपकार।
कह गिरधर किनियांण ए, देवी सुण दातार।।३
*****श्री करणी शरणम्*****
(गिरधारी बिठू,





। करणी कृपा हि कैवलम् ।।

   ।। स्तुति भगवती  श्री करणी माँ की ।।

                       ।। दोहा ।।

 करणी घण करणी कृपा ,धरणी उर धणियाप ।
 माँ  करणी   मोटा  धणी, माँ करणी  माँ  बाप ।
 चार धाम  करणी चरण , सह  तीरथ सिरमोड़ । पद  करणी चख परसता ,पातक कटे  करोड़ ।
                ।। छन्द :— नाराच ।।
                                1
नमो  अनन्द  कन्द  अम्ब , मात   मैह  नन्दिनी ।
निकन्द  फन्द  दास  द्वन्द, विश्व  सर्व   वन्दिनी कृपा  निधान  किन्नियांण, बीस  पाण  धारणी । नमो   धिराण   दैशनोक,  तीन  लोक   तारणी ।
                               माँ, सर्व  काज  सारणी ।
                                 2
बिराजमाण  थाण  आप, धाम  यूं   देशाण   में ।
दिपायमाण   भाण  जैम , भौर   आसमाण  मे ।
सुताज   मैह   तू   सदैव ,   नैण   नैह   धारणी । नमौ   धिराण   देशनोक , तीन  लोक   तारणी ।
                             मॉ , सर्व   काज  सारणी ।

                                              क्रमश-------

  (भगवती श्री करणी माँ की स्तुति  सूं उद्धृत )
            अन्तस री अरदास पुस्तक सू 

                       
         विनीत:- जयसिंह सिंढ़ायच मण्डा 
                         


 *जय माँ करणी* ----

प्रातः पेहली उठ सदा, सन्मुख बैठु आय ।
खोलो पलक नयन रा, देवी दैशाणे राय ।। 1
देखु मूरत मन मौहणी, बसी ह्रदय माय ।
नमु धिराण आप ने, तीन लोक री राय ।। 2
सूरज सो तेज तप, मुँख चंदन शौभाय ।
तिलक ललाट सौभित, लोंचन चन्द्र समाय ।।3
औढ़न लाखी लोवड़ी, कर्ण कुण्डल माय ।
जपु नाम नित आप रा, बैठू मढ़ में आय ।।4
लिखू मात नित आपरा, हाथा कलम थमाय
बैठ चरणा बीच मे, गुण सदा नित माय ।। 5
बाल गणेश निवे हरदम, चरणां शीश लगाय ।
मात जौगणी कर रक्षा, अब मत ना विसराय।।6

          *गणेश दान बीठू*
          *सींथल,बीकानेर*


🔱जय श्री करणी माताजी🔱*                    
भूले सुख मों भगवती, समरे कदे न सोय।
मगन रहे मद मोह मो,करे पुकार न कोय।।
दुःख मो पुकारे देव कु,सुख मो करे न सेव।
जे सुख पुकारे जगतम्ब कु,दुख ना देवे देव।।
मरज मेटवा मावड़ी,बेगी आजो बेल।।
करनी करनी मुख कहे प्रसाद बोले पेल।।
करबद्ध कवि राजन कहे  ,पिंजर जबतक प्राण।
सदाय समरो सगत को,होसी नाही हांण।।
(कवि राजन


मन तन पूरण मांयला,एक धणी देसांण।
अरज सुणों मां ईशरी,करणी नित किनियांण।।१
मांग्यो सो देय मोही,अन्न धन तूं अपार।
भव रुखाल भगवती तूं,जननी रिधू जचार।।२
कोटि-कोटिश धन्य कहूं,प्रेम करों प्रतिपाल।
सुत गिरधर शरणे सदा,बिठू तिहारो बाल।।३।
*****श्री करणी शरणम्*****
(गिरधारी बिठू,सींथल)



मनसा पूरो मावड़ी,सुपणो करो सफल्ल।
अवलंब अरजी सांभलो,किनियाणी करनल्ल।।

म्हारै मन री मावड़ी,जाणें जाणों जान।
बातां तुं सब भगवती,करणीजी किनियाण।।

आई चाकर आपरौ,अजय करत अरदास।
सुणतां हेलो सांभळो,करजे किरपा खास।।

@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत।।

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