Karni Mata Doha Lyrics
करणी माता दोहा लिरिक्स
।। माँ सायर सर्वम् मम: ।।
।। दोहा ।।
माँ सायर सायर महर, सायर सुख्ख सुमैर ।
महर ज सायर मेंट दे, जनम जनम रा फैर ।
।। छन्द त्रीभंगी ।।
।। महर निजर कर, माँ सायर ।।
जय जय माँ सायर, जस जग जायर,
करुणा आगर, किनियाँणी ।
प्रम जोत प्रभाकर, स्नैह सुधाकर,
धरम धजा धर, धिनियांणी ।
अपणैश उजागर, सब सुख सागर,
दया सहज उर, दरसायर ।
धणियाप हिये धर, प्रणत शरण पर,
महर निजर कर, माँ सायर ।
कृपा अनत कर, माँ सायर ।
शरणागत वत्सल, सुघट सुकौमल,
नयनन निरमल, नैह झरे ।
काटत अघ कलिमल, पोखत पल पल,
आपण अविरल, अनत धरे ।
अणहद जस उजवल,जाहर जळ थळ,
भळकत भळहळ, भव भायर ।
हिय हैत हरख थर, पद किंकर पर,
महर निजर कर, माँ सायर ।
क्रमश---
( अन्तस री अरदास अष्टक सूं उद्धृत )
विनीत:- जयसिंह सिढ़ायच
मण्डा राजसमन्द
।। करणी कृपा हि कैवलम् ।।
।। दोहा ।।
दयासिन्धु दैशाणपत, भगत वछल भुजलम्ब
पलपल निज कोमलसुघट,करत कृपा अविलम्ब
हिये बिराजो बीसहथ, समरथ पणो सु धार ।
नहंचो थांरे नाम रो (माँ), उर म्हांरे अणपार ।
।। छन्द:- सारसी ।।
धजबन्थ करुणा धाम करणी,
दिव्य आनंद दायनी ।
आधार अविचल वंश आश्रित,
विरद चित्त वरदायनी ।
भक्त वत्सल बीसभुज माँ
धवल कीरत धारणी ।
जय जय दयानिथ दीन वत्सल
(माँ) करनला सुख कारणी ।
पत राखणी नित पात पूरण,
मात संकट मोचिनी ।
अवलोकनी मृदु नैह लौचन,
हर विधि हित सोचिनी ।
सय धारणी तिरशूळ दक्षिण,
कष्ट कलिमल टारणी ।
जय जय दयानिथ दीन वत्सल,
(माँ) करनला सुख कारणी ।
।। सोरठा ।।
दरसण मै दिन रात, पावूं पद पोयण तणा ।
भल किरपा इण भाँत, मात करो मैहासदू ।
है माँ थारै हाथ, जीवन डोरी दास "जय "।
भगती भल भल भाँत, मों बगसो मैहासदू ।
विनीत:- जयसिंह सिढ़ायच
मण्डा राजसमन्द
उदार देवी ईशरी,आवङ री अवतार।
देवी मढ देसांण री,करणी मां करतार।।१
हुयों न कोई होयसी, देवी सम दातार।
भक्ता री सुण भावना,भरें नित्य भंडार।।२
बीके ने बीकांण दी,जोधे ने जोधांण।
शेखे रे सहाय रहीं,पाळ प्रीत पीछांण।।३
राजी गिरधर रे रहें,कर कर नित रा काज।
लख लख वार राख लज्जा,आवे दोङी आज।।४
*****श्री करणी शरणम्*****
(गिरधारी बिठू,सींथल)
।। करणी कृपा हि कैवलम् ।।
।। दोहा ।।
दयासिन्धु दैशाणपत, भगत वछल भुजलम्ब
पलपल निज कोमलसुघट,करत कृपा अविलम्ब
हिये बिराजो बीसहथ, समरथ पणो सु धार ।
नहंचो थांरे नाम रो (माँ), उर म्हांरे अणपार ।
।। छन्द:- सारसी ।।
धजबन्थ करुणा धाम करणी,
दिव्य आनंद दायनी ।
आधार अविचल वंश आश्रित,
विरद चित्त वरदायनी ।
भक्त वत्सल बीसभुज माँ
धवल कीरत धारणी ।
जय जय दयानिथ दीन वत्सल
(माँ) करनला सुख कारणी ।
पत राखणी नित पात पूरण,
मात संकट मोचिनी ।
अवलोकनी मृदु नैह लौचन,
हर विधि हित सोचिनी ।
सय धारणी तिरशूळ दक्षिण,
कष्ट कलिमल टारणी ।
जय जय दयानिथ दीन वत्सल,
(माँ) करनला सुख कारणी ।
।। सोरठा ।।
दरसण मै दिन रात, पावूं पद पोयण तणा ।
भल किरपा इण भाँत, मात करो मैहासदू ।
है माँ थारै हाथ, जीवन डोरी दास "जय "।
भगती भल भल भाँत, मों बगसो मैहासदू ।
विनीत:- जयसिंह सिढ़ायच
मण्डा राजसमन्द
🙏श्री सोनल माँ रो छन्द🙏
रचना राजेंद्र दान(कवि राजन) झणकली।
सोनल कीजो सायता सरवत दीजो साथ।
चिंता मेटजो चारणी मढड़े वाळी मात।
समत दये सुरसत सदा सतपथ रहे समाज।
कूड़ कपट कुबुद्ध कदा भय दुःख जावे भाज।
🙏छन्द नाराच🙏
सदा सुखाय मढ़ड़ाय शोभनाय सोनला।
तुंबेल आय बेल थाय महामाय मोगना।
पोह सुदाय बीज वाय महिआय मावड़ा।
सदा सहाय सोनलाय आप माय आवड़ा जी टाळ रोग तावड़ा। 1
तू ही भवानी हमिरानी घेर आनी धीवड़ी।
राणी मैयानी जिलमानी पँचमानी पीवड़ी।
नवे निधानी मढ़ड़ानी मंगळानी मावड़ा।
सदा सहाय सोनलाय आप माय आवड़ा जी टाळ रोग तावड़ा। 2
शोभा अपार सुणी थार अवतार धारणी
आवों आधार रखवार वर्ण च्यार वारणी।
मेटो विकार दुष्ट दार तू आधार तावड़ा।
सदा सहाय सोनलाय आप माय आवड़ा जी टाळ रोग तावड़ा।। 3
खोलो ज खट दृग पट तू विकट तारणी।
हेलेज फट आवो झट साद सट सारणी।
मेटेज भट तू संकट झाल झट झावड़ा।
सदा सहाय सोनलाय आप माय आवड़ा जी टाळ रोग तावड़ा। 4
देवी दातार धर्म धार ब्रह्मचार चारणी।
जपे संसार नर नार तप धार तारणी।
लेवो उबार संकटार निराधार नावड़ा।
सदा सहाय सोनलाय आप माय आवड़ा जी टाळ रोग तावड़ा। 5
पोह सुदाय बीज आय मढ़ आय मोकळा।
मेळो भराय जनताय प्रेम पाय पोटळा।
गावे गुणाय भजनाय चिरजाय चावड़ा।
सदा सहाय सोनलाय आप माय आवड़ा जी टाळ रोग तावड़ा। 6
एकतीसाय समताय परम् तत्व पाविया।
काती सुदाय तेरसाय सरगो सिधाविया।
कणेरी माय धाम थाय पातपाय पावड़ा।
सदा सहाय सोनलाय आप माय आवड़ा जी टाळ रोग तावड़ा। 7
देवोज मत तूँ समत सत्य पथ चालणा।
मिटे कपट नशावट द्वेष दट दालणा।
राजन कथ तो उकत मोह अत मावड़ा।
सदा सहाय सोनलाय आप माय आवड़ा जी टाळ रोग तावड़ा।
🙏🙏छपय🙏🙏
मढ़ड़े सोनल मावड़ी रटो नाम दिनरात।
मढ़ड़े सोनल मावड़ी कूड़ कपट फ़ंद काट।
मढ़ड़े सोनल मावड़ी सुख धन देवे सदाय।
मढ़ड़े सोनल मावड़ी काटे रोग किताय।
सोनल हूँ समरुं सदा सोनल सुख सरसाय।
कर बद्ध कवि राजन कहे अबखी टाळण आय।
🙏🙏🙏🙏🙏
कवि राजन झणकली कृत
जय माँ सोनला
🚩✍
थर्थर कांपे सुत थारा, घर बैठा घबराय।
आद भवानी ईश्वरी, सुत री करजे साय।।३।।
सांवल दान देपावत
देशनोक 🙏🚩🚩
किंकर कांपो मधुकरा ,
घरां बेठा घबराय ।
जिणरे रक्षक जरणी ,
श्री करणी नित साय ।
🚩✍
कोरोना रे नाम री, चरचा चाले जोर।
गाँव शहर ढाणी गळी, हाको है चहुंओर।।
हाको है चहुंओर, कुण जाणे क्या होवसी।
बरस बीस रो दौर, सगळा ने भोङा घाले।।
इण कारण घबराय, घर बैठा सुमिरण करे ।
करणी करसी साय, सांच बात है करोना।।
सांवल दान देपावत
देशनोक 🙏🚩🚩
मेहा सधू मुंझाय छे : रचना :- जोगीदानभाई गढवी (चडीया)
. *|| मेहा सधू मुंझाय छे. ||*
चारण जगदंबा आई सोनबाई मां नो संदेश छे के चारण होय
ई दारु न पिये दारु तो दैत्य पीये..जेनी मती दैत्य होय
ई दारु पीये...तो प्रिय चारण बंधुओ शुं आपडी आई यो
दारु पी शके खरी ??आई करणी जी ने घणां समय थी
दारु ना रसीको ये माताजी ने दारु चडाववानुं सरुं करेल छे
जे परंपरा नेकारणे लोको दारुने प्रसाद गणी ने चारणो जेवी
देवताई जाती ने दारु ना रवाडे चडावी अधःपतन ना मार्गे
वाळ्या छे..अमुक लोको पोतानो दारु बंध न थाय ते माटे
ऐवो तर्क करे छे के माताजी दारु पिवतां हता..पण मित्रो
विचारो तो खरा के गुजरात मां आजे पण चारणो ना घरमां
दारु नुं नाम न लेवावुं जोईये तेवुं गुजरातनी तमाम चारण
बेनु दीकरीयुं ईच्छे छे , तो करणीजी पण चोथी पेढीये
गुजरात ना दीकरी छे. श्री करणीं मा ना पिता ना दादा
भीमाजी किनीया धांगध्रा ना खोड गाम थी राजस्थान गया
ते भीमाजी ना पुत्र नी पौत्री ऐटले के चोथी पेढीये आई करणी
जेवी महान जगदंबा नो जन्म थयो जे चारणो ना उत्थान माटे
जन्मी हती पण आजे तेमना प्रसाद ने नामे चारणो दारु धरी ने
अधः पतन ने मार्गे जई रह्या छे..तो शुं आई ने आ गमतु हशे???
ना..मां ने ऐ नज गमे पण शुं थाय ..छोरु कसोरु थाय पण माता कुमाता केम बने ?? माटे ऐ मां मुंझाय छे...
. || मेहा सधू मुंझाय छे ||
. छंद : सारसी
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
दारु पीवेनई देवियुं पण पापीया ओ पाय छे
दारु धरावे दैत्य त्यां देसांण पत दुभ्भाय छे
करणी मढे आ कुडी करणी ना थवानी थायछे
जाउं कीसे हुं जोगडा मेहा सधू मुंझाय छे || 01||
दीकरा उठी दारु धरे ई मा तणुं शुं मुल छे
पुत्तर नहि ई पाप पाक्या धीक्क वा मुख धुल छे
दाडो उठाड्यो दारुऐ ने खाज अणखज खाय छे
जाउं कीसे हुं जोगडा मेहा सधू मुंझाय छे || 02||
जे जोगणीं जम थी लडी केवि हशे करणीं कहो
ऐना जण्यां ना असुर थाशो रीत चारण मां रहो
पोते पिवा मदीराय पापी गीत जुठां गाय छे
जाउं कीसे हुं जोगडा मेहा सधू मुंझाय छे || 03||
मां मोगल चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी
🌹 *जय मां मोगल* 🌹�
"चरज"
राग..तूम्हे देखती हू तो ऐसा.
वडी विश्व व्यापी आई मां अमाणी,
विध विध रुपे मां वरताणी,
ओखाधर वाळी एज अवतारी
मोगल रुपे मां मच्छराळी,
वडी विश्व व्यापी .....टेक
नवेखंड नजरु तमारी नेजाळी,
वेगे करो वारु वडहथ वाळी,
संकट हरणी सदा सूख कारी,
बळवंत बेली रेजो बिरदाळी,
वडी विश्व व्यापी......1
नावडी अमाणी दरिये नोधारी
आफत आवी आई अणधारी
करुणा करो आवी हेते कृपाळी,
विघन विडारण विह भूजाळी,
वडी विश्व व्यापी.......2
रथडों मेलीने रण यूधमां तूं आवी,
डग्या दिग्पाळ धींगी धराने धृजावी,
सेना मृगलानी एक क्षणमां खपावी,
भेळियानी भेट वाळी रमे रगताळी,
वडी विश्व व्यापी.....3
सूखडां दियो दूःख हरी ने दयाळी,
आई मां अमाणी वडहथ वाळी,
समरण मां नू सदा सूखकारी
हानी हरी हैये दयो हरियाळी
वडी विश्व व्यापी......4
शिव ब्रह्मा हरी नारद शारद उचारे,
अष्टसिधी नवेनिधी आरती उतारे,
समंदर साते मांना पगडा पखाळे,
उदो उदो *दिलजीत* दिलथी पूकारे,
वडी विश्व व्यापी.....5
आई मां मोगल वंदना
दिलजीत बाटी ढसाजं.
।। राजस्थानी री आभा ।।
।। दुहा ।।
पारस सम प्रख्यात ,
सुर रसा सरसती सिरै ।
राजस्थानी रंग ,
भाव सूंदर मन में भरै।
।। भाषा राजस्थानी री रखवाळी ।।
सिगळां जजबात संभाळो,
भासा राजस्थानी भाळो ।
प्रभा पींगळ डींगळ पाळो ,
हिवड़े होवे नित ऊजियाळौ ।
रीतां साच संगत रखवाळी ,
आ राजस्थानी रंग रूपाळी है ।(१)
(इणमें) वीरां रा गुणगाण निराळा ,
रसधारा रा औ खोले ताळा ।
राणा पाबु हड़बू रखवाळा , आवड़ देवळ रा अजुवाळा ।
पावनता मय परचाळी है
राजस्थानी रंग रूपाळी है ।(२)
धोरा भाखर राता काळा ,
भैरू रास रमै मतवाळा ।
कायम छंद भाव किरपाळा ,
रीझे दुर्गा जस रखवाळा ।
देवां आ दीन दयाळी है,
आ राजस्थानी रंग रूपाळी है ।(३)
पुजे प्रभु रा परियाणा ,
भाव भजनां रा मन भाणा ,
गीत आदर सुरता गाणा ,
ब्रह्मा विष्णु शिव समझाणा।
चेतन री आभा आ चमकाळी है,
आ राजस्थानी रंग रूपाळी है।(४)
संसद महिमा वेद सुणावो ,
भाव राजस्थानी रा भणावो ,
मान मरियादा ने महकावो ,
लाय मान्य ता लहरावो ।
इळा पर जस गांन उंताळी है ,
आ राजस्थानी रंग रूपाळी है ।(५)
सारस ज्ञान मों ओ साची ,
गीता रामायण आ गाती ।
प्रेम सर्ग जगत री पाती,
भावी पिरोयी भांती भाती ।
परभा सूर वीर पतवाळी है,
आ राजस्थानी रंग रूपाळी है।(६)
अम्ब शब्द शब्द अजुवाऴा ,
रमे शब्द डींगळ देव दयाळा ।
मायड़ आत्म ज्ञान री माळा ,
तोड़े उजड़ घट रा ताळा ।
आ देव दर्सण दिल दयाळी है ,
आ राजस्थानी रंग रूपाळी है ।(७)
सुबधा भावा री है सिरमोड़ ,
इमे झगड़ों नीं कोय झोड़।
सिगळी सृष्टि रो आ तोड़ ,
जाझै हेतां री है जोड़ ।
पीर पेगम्बर नें भी प्यारी है,
आ राजस्थानी रंग रूपाळी है ।(८)
आम्बदान जवाहरदान देवल
आप संभाळे ईसरी,पड़तां कानां पांण।
करतां याद ज करनला,देवी मढ़ देसाण।।
आसा पूरै अम्बिका,किनियाणी करनल्ल।
भगती रख मन भावना,ने'चो सूं निश्छल्ल।।
नाम जपे नित करनला,और करै अरदास।
मन सूं निसदिन मावड़ी,कमधज अजेय खास।।
@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत।।
0 टिप्पणियाँ
If you have any dout please let me know and contect at mahendrasingh2015charan@gmail.com