Karni Mata Chirja Lyrics
करणी माता चिरजा लिरिक्स
*!! करनल किनियांणी धनि धनि !!*
*!! धिनियांणी जंगऴ देसरी !!*
*!! हिंगऴाजदानजी कविया !!*
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*भव भय भंजनी भगवती माँ श्री करनल किनियांणी की सुप्रसिध्द चिरजा जिसमे भाषा व भाव दोनो ही विधावों मे कविवर ने ह्रदय के भावों का समर्पण कर दिया है यह चिरजा देवीभक्तों मे बहुत ही प्रिय रही है, माँ श्रीकरनला को श्रीइन्द्रबाईसा
आह्वान करके तेङा (बुला) रही है कि, हे माँ आप श्रीमढ खुङद मे रास रमण हेतु आवो और सब शक्तियों को दर्शन देकर कृतार्थ करो !!*
करनल किनयाणी,
धनि-धनि धिनयाणी !
जंगळ देसरी !! टेर !!
मूरख कान्हे सकति न मानी,
बीरोटणी बखांणी !
ह्वै सिंह रूप आछटी हाथळ,
मार लियो माडांणी !!1!!
बकसी मात राव बीकानै,
धर थळवट रजधाणी !
रिड़मल तणे मुरधरा राखी,
है साखी हिन्दवाणी !!2!!
संभळी रूप भूप सेखारी,
छिण मैं कैद छुड़ाणी !
दम्भी रूप कूप अणंदा रै,
पकड़ी लाव पुराणी !!3!!
चलतो ऊंट तूटतां चौथू,
बोल्यो आरत बांणी !
करनी काठ तणों पग कीधो,
जग सकळाई जांणी !!4!!
डूबत नाव तारि डाढ़ाऴी,
उदधि किनारै आंणीं !
समदर नीर सीर देसाणे,
सहर अजै अहनांणी !!5!!
बाई इन्द्र रावळी बाळक,
तेङै दरसण तांणीं !
रामत खुड़द पधारो रमबा,
अम्बा धाबळयांणी !!6!!
राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!
।। करणी कृपा हि कैवलम् ।।
।। चिरजा ।।
( तर्ज:-दरसण दो घनश्याम नाथ------)
दरसण दो दैशाणराय जगदम्ब मैहाई माँ ।
शरणागत सुखदाय वत्सले ओ वरदाई माँ ।
1
जनम जनम सुं प्यासे नयनन ।
चित्तवत नित माँ श्री पद दरसन ।
पुनि पुनि लोचन चाहत परसन, उर उमगाई माँ
2
चाकर जाण सदा चरणा रो ।
निज रो आदू विरद निहारो ।
दे दरसन मम जनम सुधारों, हे रिधुराई माँ
3
दरसन राज दया कर दीजे ।
सबविध मोय शरण निज लीजे ।
निशदिन भाव नशे जुग चरणन,रहू लिपटाई माँ
4
जप तप नेम विधि नही जाणू ।
माँ तोहे मैं सरवस मानू ।
पूरण आस दास जन पूरण, तो प्रभुताई माँ
5
करुणानिध माँ आप कहिजो ।
राजी हुय अब मों पर रीझो ।
सय दोउ शीश दास "जय" दीजो,हिय हरसाई माँ
*!! धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!*
*!! कविवर बारहठ हिंगऴाजदान जी कृत !!*
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*!! सवैया !!*
चौसट साल गुनीस के सम्बत
सुक्ल पक्षरू मास सुची में !
सुक्करवार समैं घण मंगल
स्वान्त नक्षत्र तिथी नवमी में !
दूथिया कोम तणो हरबा दुख
आदि कन्यां प्रगटी अवनी में !
इन्दर नाम कहावत हैं अब
वीसहथी जु बडी सबकी में !!
*!! दोहा !!*
करनी प्रगटी करि कृपा,
बरनी कव्यां विसेस !
धरनी पै देखी द्रगां!
हरनी दुख इँदरेस !!
*!! छन्द भुजंगप्रयात !!*
निसुंभादि सुंभादि दैतां नसांणी !
सुरां इंन्द्र हू की सुरक्षा रखांणी !
सकत्यां तणी जो बणी क्रान्ति सारी ! घिनोमात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!1!!
मती लोग यामैं रती झूठ मानूं !
जनन्नी करन्नी तणो रूप जानूं !
धिनो देस मारू जहाँ देह धारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दूलारी !!2!!
द्रगां जोग निन्द्रा दहूं टेम धारै !
सदा थांन खुड़द संझा सँवारै !
कहै छन्द श्री मुख्ख आनंद कारी !
थिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!3!!
महा मोदरा बोध देही नमावै !
जरां बाद अम्बाज धूप्या जचावै !
सज्यां सौभा मेवारू घृत्तादि सारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्थू दुलारी !!4!!
हुवां जोत उद्यौत आनंद आवै !
चखां न्हाल के टाऴ मेवा जचावै !
तबै जोत डारै सबै जो तयारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!5!!
चखां सक्ति पेखी बलीदांन छत्ती !
मनो भिन्न माने बिराणी अमिती !
भई सीघ्र विक्राऴ त्रिकाऴ भारी !
घिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!6!!
सुण्यो नाद ज्यूं नारिको साद साजी !
मुवो हाल हूंता करी भाल माजी !
भई मात आ बात विख्यात भारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!7!!
बड़ी नीमरांनां तणी ऐक बाई !
सुणी हूं बिहूणी पगां हुँ सदाई !
दिया पाव दोन्यू दया आप धारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!8!!
घणों पेट मोटो इन्दु जोगणी को !
करयो हार गेढां कलां का धणी को !
डटी नांहि तूं मांहि आती डकारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!9!!
दया नाथरा साथरा देव धाप्या !
कऴू काऴरा न्हालतां बाऴ काप्या !
चढी सिंह की पीठ दीषी छटारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!10!!
धणी गंग कै अंग मैं खेद गामी !
थली रावकी भीड़ हो पीड़ थांमी !
प्रथी नाथरा हाथ लम्बा अपारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!11!!
फतै सिंह श्रीमान् आसोप स्वामी !
जको धोक देतां लख्या लोक जामी !
दियो पुत्र देबी बडो भाग धारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!12!!
हुवो सैन को पूत नैणां बिहूणूं !
हुवो ऐम आंधोज दूजो न हुणूं !
दिया चक्षु दोन्यू दया मात धारी ! धिनोमात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!13!!
धरी मात देसाण री आंण देही !
किया थे प्रवाड़ा नया स्रष्ठि केई !
बडी बात श्री मात कर्नी बिचारी !
थिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!14!!
धणी थे रखाज्यो कृपा सीस भारी !
धिनो मात इन्दूज सिन्धू दुलारी !!
दोहा
श्री हिंगोल आवड़ सकति,
श्री करनी सुरराय !
नमसकार कवि करत नित,
श्री इन्दरेस सहाय !!
राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!
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सुनिके टेर को नहीं देर करे सियावर ,
हेरिके विपत झट लाभ घर ल्हाय हैं ।।
दास को निराश नांहि रखे दशानन रिपु ,
हताश की आस पूरे सदाई सहाय हैं ।।
सत की पंगत देख जगत को नाथ सदा ,
कुगत मेटणहार केशव कहाय हैं ।।
तारनो बिरद जांको तारेगो तमाम रीत ,
राखन लाज को "मीठा " रामजी रहाय हैं ।।
मीठा मीर डभाल
इंद्र अखाड़े आवियो ,
हरख हरख अति हेत ।
गउवां घर घर गूंजती ,
खड़ सूं भरिया खेत ।(१)
दूध दही घी दाम रा ,
कोड करेय किसान ।
बोहळी होसि बाजरी ,
धर पर सुरंगा धान ।(२)
जचै जमाने जोर रौ ,
मदरा बोलै मोर ।
टहूके कीर कोयलां ,
आंणद आठां पौर ।(३)
अवल आयो अठोतरौ ,
कर इळ जाझा कोड।
माऴक महिमा महकती ,
हरखे होडा होड ।(४)
अम्ब मन में अणंद अती ,
निकऴक प्रेम निसान।
हरियाऴी बहु हरखती ,
केळां करे किसान ।(५)
आम्बदान जवाहरदान देवल आलमसर
।। करणी कृपा हि कैवलम् ।।
।। दोहा ।।
करणी तो बिन कुण करे, मो पर किरपा मात ।
जायो निजरो जाणने, हरख धरो सिर हाथ ।
आई करणी आपरो, उर अंजस अणपार ।
आजीवन पद आपरे, (माँ) बार बार बलिहार ।
।। चिरजा ।।
किनियांण जाण दास मों, निभाण कीजिये ।
दैशाण री धिराण मों, सिर पाण दीजिये ।
1
दीपन्त भाण आसमाण ज्युं, दैशाण में ।
बिराजमाण थाण युं , हमेश रीझिये ।
2
कलिकाल री कराल चाळ, बाळ ने भ्रमें ।
विशाल विर्द भाळ माँ, सम्भाळ कीजिये ।
3
महान आपके समान, कुण जहान में ।
सिर हाथ देय मात मों, सनात कीजिये ।
4
अपणेंश तो विशेष, उर हमेंश धारणी ।
नयन्न नैंह न्हाळ माँ , निहाल कीजिये ।
5
बिहुँ जोड़ पाण आण, शरणो आपरो लियो ।
“जय” दास खास जाण माँ, परित्राण कीजिये ।
।। दोहा ।।
माँ करणी म्हारै धणी, हूं करणी रो दास ।
धरणी पर करणी सिवा, करू न किणरी आस ।
चार धाम करणी चरण, सह तीरथ सिरमौड़ ।
पद करणी चख परसतां, पातक कटे करौड़ ।
विनीत:- जयसिंह सिंढ़ायच मण्डा
राजसमन्द
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