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करणी माता चिरजा लिरिक्स ,दोहा, छंद,Karni Mata Chirja Lyrics , Doha, Chhand



Karni Mata Chirja Lyrics


 करणी माता चिरजा लिरिक्स दोहा छंद



कव खेत कहे हेतसूं सुणजो सजन सुजान 
कविंद पूजो करनला सखरो दे सनमान 
,,पात उठत प्रभातरा हिवड़े कर कर हेत 
पूजा  करज्यो प्रेमसूं खरीज कहवे खेत 
चारण वरण चितारतां गादू देवे ग्यान 
आप उर में उतारल्यो धर हिरदा में  ध्यान 
कव खेत कहे कोडसूं सखरी समझण सीख 
भक्ती मुक्ती सुभ भावना भलाज लेओ भीख 
पैली नित उठ प्रभातरा सकल कुटुंब समेत
पात पुजहु परमेशरी हिये बढावण हेत 
सखरी सीखां  सुकवरी समझो सब सिरदार 
हरदम पातां हेतरी  धरल्यो चितमें धार 
खरी खरी कह खेतसा आण जगावे आप
पात दर्शन प्रभातरा धिणियाणी रा धाप 
खरीज खेती खेतरी सखरी सीख सबल्ल 
भलीज भगती भावना पावन भाव प्रबल्ल 
गादू गाडा ग्यानरा भक्ती भाव भरपूर 
पात पठावे प्रेमसूं नैणा निरखत नूर 
खरी बात कव खेतरी समझो सजनां सैण 
रटणे रामदी रसना निरखण नामी नैण 
भाग्य भलाज भगतरा रसना रोज रटंत 
करणी करणी कैवतां नैणां  नीर निरखंत

: मारण दुसमी मावड़ी, ऐकर पाछी आय।
भोम उबारण भगवती, मेहाई महमाय।।

पाप बढ्यो परमेसरी,अवनी पर अणमाप।
दुस्ट दळण कर डोकरी, देसाणा धणियाप।।

अखण्ड भारत अम्बिका,तुंही तारणहार।
फिर सूं कर परमेसरी,सुपनो मम साकार।।

मेट अधरमी मावड़ी,देवी सब दुनियान।
अखण्ड भारत कर अम्बिका,करणीजी किनियाण।।

अजय तणी आराधना,अवस सुणो मां आज।
आवड़ इन्दर ईसरी,मेहाई म्हाराज।।

हे भगवती सम्पूर्ण धरा से अधर्मी विधर्मियों का सर्वनाश करके फिर से अखण्ड भारत का निर्माण कर सनातन धर्म की रक्षा करो।।
@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत।।

परम पिरोकर परघळौ , 
 रमें देशाणा राय ।      
 रंक जन को राजी रखे , 
सदा भगत रै साय ।(१)   
         
आई नित ओपर रखे ,
 सवंळी बण सुरराय ।  
 दुविधा मेटण दास री ,  
  रमें देशाण राय  ।(२)  
       
जन जन रे मन पर जचे ,
 ममता वाळी मौज ।  
 करणी मां री कीरती ,
   रसणा पर रख रोज ।(३) 

 चारण कुळ चावी सदा ,
 हिरदे मैं हररोज ।      
 जन्म लेय नित जोगणी , 
 साचां वचनां सोज ।(४)  

   
सत्य कर्म सिरजे सदा ,
  यदा यदा सुर योग । 
 फितूर अधर्म फाड़के , 
 सुख दर्शण सुरयोग ।(५) 

  ममता डीठी मात री ,
 करणी कर किरपाळ ।
 धाइ अम्ब शरदा धणी ,
 देवी दीन दयाळ ।(६)  

प्रेम पिरो मन परघळो ,
हरख मनां हररोज ।
अम्ब सदानंद अणंद  में ,
मां करनी री मोज (७)
    
छंद मतगंयद

प्रेम  घणे मन प्रीत पढाकर , सादर भाव सदा सरसावो ।
ज्ञान घटा घट में उपनाकर ,
नीतय चारणत्व निरखावो ।
धर्म सनातन ध्यान धजाकर ,
जीवन सार सभा जचवावो ।
अम्ब अहोनिस आंणद आदर , वादळ जेम सुधा वरसावो ।
आम्बदान जवाहरदान देवल आलमसर 


: जय बोले जगतंब री जोवों निजकर झट्ट।
प्रातः उठतों पांण कर खोले दरशण खट्ट।।
अग्र हाथ रह आवड़ा मध्य विरवड़ी माय।
कर बिच बसती करनला ओर हिंगला आय।।
मस्तक लिछमी मावड़ी रसना सुरसत राय।
गंग भाग पर गवरजा  आखर देती आय।।
देवी दुरगा दाखिये भुजां मांय भगवंत।
असुरों हरणी अवन पर सदा खड्ग सजवंत।।
पेट मांय परमेशरी अन्न पूरणा आय।
ज्वाल मेट जठरागणी सब सुख देय सदाय।।
नेण मूंद नवलाख को चित मों तूँ चीतार।
कर जोड़े  राजन कहे  वधवध दे विस्तार।। 
(कवि राजन झणकली)


: ⛳🙏🌹*जय श्री करणी शरणम् *🌹⛳🙏
भूलूं न मात भगवती,कियें तुम्हारे काम।
घणो हरख करू करणी,जगत तोय मैं जाम।।१
उत्तम कुल घणो उजळो,अवतर देवी आय।
ए आवङ खूबङ इन्द्र,सुवा करनल सहाय।।२
जोगणी नवलख जबरा,आदि सगत अवतार।
तेरा पार जाणे तूं,सज नव रुप श्रृंगार।।३
बाल गिरधर री बिनती,सुणें देवी सदेव।
मन री चिंता मेट के,दुख हरें रिधूं देव।।४
****श्री करणी शरणम्****
(गिरधारी बिठू,सींथल)

 देख मात शुभ दृष्टि हूं,नजर ठण्डी ए नांख।
कुल तारण सगत करणी,रिधूं चरण में रांख।।१
आप तणों भव आसरो,कुटुम्ब पाळो कोड।
मो सहाई मेहाई,हुवे न थारी होड।।२
रच गिरधर कहें रचना, देवी रिधूं दयाल।
भव तारण मां भगवती,खरो राखती ख्याल।।३
****श्री करणी शरणम्****
(गिरधारी बिठू,सींथल)

 शरण तोय लियों सगती,कर कर घण रो कोड।
उर में आनंद उपजे,हुवें न थारी होड।।१
रोग दोष कष्ट न रहें,शंकट कटे समूल।
रात दिवस रटता रहो,करणी एक कबूल।।२
भगत नित्य भाव भजता,आनंद रह अथाग।
सुत लेंय देवी शरणो,भले जका रा भाग।।३
रुच गिरधर रची रचना,इला अंजस उपाय।
सकल जीवन सुधारणी,रिधूं देसाण राय।।४
****श्री करणी शरणम्****
(गिरधारी बिठू,सींथल)

आई शरणो आपरो,भए बड़े जो भाग।
रात दिवस रटता रह्वा,जीवन जग में जाग।।१
भजता करणी भाव सूं, खुद शिव रहें गणेश।
विष्णु ब्रह्मा इन्द्र वसते,हिये धरके हमेश।।२
कथ शरणें गिरधर कहें,आ रिधूं बड़ी अंब।
भव तारणी भगवती, जननी मों जगदंब 

सहाय ए करणी सदा,उबारण भगत आय।
कृपा कर राठौड़ को,बीका जोध बसाय।।१
मंगल करियें मावङी, देवी मढ देसांण।
सींथल री सुणो सगती,करणी मन किनियांण।।२

भगत रा भंडार भरे,करणी मां किनियांण।
सांचो लों सगत शरणों,देवी मढ देसांण।।१
बोल गुन्गा मुख बोलता,फलें बांझङा पूत।
पैदल चलें पांगळिया,महर पाय मजबूत।।२
करी कोड गिरधर कहें,भलें हमारे भाग।
ममता करणी री मिलें,जीवन रह ओ जाग।।३
****श्री करणी शरणम्***

 देवी री देखा दया,आवें उड आकाश।
काटण तन रे कष्ट ने,पावा नित म्हें पास।।१
संवारे कज संवळी,मन री पीङा मेट।
आत्म बल आभास दें,ठंडक ठावें ठेट।।२
देखीं गिरधर आ दशा,बैर्या बीच र बैठ।
फांट करी दो फाङ दें,सोही कुटिजें सैठ।।३
सांबत निकाळ सांतरी,बाल न लें बचाय।
मायत पणो राखें मां,ओङी में नित आय।।४ 
**** श्री करणी शरणम् ****
**(गिरधारी बिठू,सींथल)**
🚩जय मॉ आवड़ करणी इन्द्रेश मॉ 🚩
 

🙏🏻🌹🌷देवी दीनदयाल🌷🌹🙏🏻
          🌹सोरठा पच्चीसी🌹

देवी दीनदयाल, प्रथम पूजूं आपनै।
डोकरड़ी डाढ़ाळ,सरणों राखी सारदा।।1।।

देवी दीनदयाल,डाढ़ाळी मां डोकरी।
कर किरपा किरपाल,अपण भगत पे आवड़ा।।2।।

देवी दीनदयाल,पीड़ हरै परमेसरी।
लाखी लोवड़ियाल,अवलम्ब ताण आवड़ा।।3।।

देवी दीनदयाल, मढ़ देसाणा मावड़ी।
रैय सदा रखवाल,किनियानी मां करनला।।4।।

देवी दीनदयाल, भगती करियां भाव सूं।
तुरंत देवै टाळ, सगळा संकट सारदा।।5।।

देवी दीनदयाल,भगतां री तुं भगवती।
बांको हुवै न बाळ,ताव लगे न तावड़ो।।6।।

देवी दीनदयाल,भीड़ पड़ै जद भगवती।
डाढ़ाळी बण ढाल,रिख्या करती करनला।।7।।

देवी दीनदयाल,अजय सिंवरै आपनै।
करणी रखजै ख्याल, अबखी बेलां अम्बिका।।8।।

देवी दीनदयाल,सेवग सरनै सारदा।
करणी हो किरपाल,भरो भंडारा भगवती।।9।।

देवी दीनदयाल,भव सूं तारै भगवती।
जबरा काटे जाळ,जिया जूण रा जोगणी।।10।।

देवी दीनदयाल,रिख्या करती डोकरी।
लाय सकै ना बाळ,रटया रात दिन करनला।।11।।

देवी दीनदयाल,भगती करियां भाव सूं।
चौरासी री चाल,मेटै करनल मावड़ी।।12।।

देवी दीनदयाल,सुण झगड़ू री सारदा।
झटदे लीन्यो झाल,तार  डूबत वैतरणी।।13।।

देवी दीनदयाल,दुस्ट दळन नै डोकरी।
कीन्यो कोप कराळ,कान्हे ऊपर करनला।।14।।

देवी दीनदयाल,पल मांही परमेसरी।
धर नै रूप डाढ़ाळ,खंडित कीन्यो करनला।।15।।

देवी दीनदयाल,राजी हुयनै करनला।
कर किरपा किरपाल,रिड़मल कीन्यो राजवी।।16।।

देवी दीनदयाल,कमधज्जा रो करनला।
आई रखियो ख्याल,मेहर करनै मावड़ी।।17।।

देवी दीनदयाल,राज थपा राजेसवरी
रैया घणा किरपाल,राठौड़ो पर डोकरी।।18।।

देवी दीनदयाल,जैेतल भूप जितावणै।
करियो रूप विकराल,कमरू दळण नै करनला।।19।।

देवी दीनदयाल,संवली बणनै सारदा।
कालु रो बण काळ,गायां लाया घेरनै।।20।।

देवी दीनदयाल,सेख बचायो सारदा।
लाखी लोवड़ियाल,पल में ताण परमेसरी।।21।।

देवी दीनदयाल,संवली रूप धर सारदा।
लाया पंजा झाल,कैद छोडाय करनला।।22।।

देवी दीनदयाल,कमधज्ज  तुठी करनला।
गढ़ रै नींव लगाळ,बसा बीकाण मावड़ी।।23।।

देवी दीनदयाल,अंगरेजों में आवड़ा।
करी सदा रखवाल,गंग भूप रा भगवती।।24।।

देवी दीनदयाल,अजेय सेवग आपरौ।
डोकरड़ी डाढ़ाळ,किरपा रखजै करनला।।25।।

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अजयसिंह राठौड़ ठिकाना सिकरोड़ी 

 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
,,,,,,,,,,,, मतगंयद सवैया,,,,,,,,,
आरत टेर सुणी अणदे धरि ध्यान  हुँ कूप गयी महतारी।
दम्भ कुँ रूप कियो जगदंब विलंब कभी न करी उण बारी।
जाय जुड़ी जद दोय मुँखा झट टूटत लाव कुँ बेग सँवारी।
दुक्ख न देख सके दृग से झट दोड़ हुँ आवत मेहदुलारी।

शेख हुँ नार पुकार सुणी उण बार दया दिल मांय बिचारी।
भावज भाव लखि मन में मुलतान हु दोड़ गयी महतारी।
रूप सरूप सजी शिँभल़ी फिर पांख बिठा घर लाय उतारी।
दुक्ख न देख सके दृग से झट दोड़ हुँ आवत मेहदुलारी।
🌷🌷🌷🙏🙏🌷🌷🌷
वासुदेव सिंह महियारिया कृत।

: सत पत सुकव सांतरी मात रखे महमाय 
खरीज भगती खेतरी नामी शीश नमाय 
सत पत री बगसण सदा किनियाणी करन्नल 
मेहर करसी मावड़ी आई वचन अटल्ल 
धर धरम अरु धीरता पुण्य भाव प्रबल्ल 
चित मांय चरण चारणी आपो आप अचल्ल 
बीसहथी  बीसारसी अवगुण आप अनेक 
मोटी मेहर मातरी टणकी राखण टेक
कदेन भूलणों करणी देवी दर देसाण 
औरण बोरड़ औपती नामी नगर निसाण 
ईसर बड़ो औळियो पातां पालण प्रीत 
पुनि पुनि पूजो प्रेमसूं रूड़ी राखण रीत 
बारठ कुल बहुवारियां दीप वधु घर दोय 
 किनियाणी मां करनला गुलाब बीजी जोय 
ईसर भगत अवतरियो सूरा राखण सत 
भगत उबारण भौमरा आछी कैण उक्त

🙏चाल़कनेची चामुडा 🙏
                दोहा
गंग गया काशी गया,  पावन किया  निपाइ।
जग अभया विजया जया, अमया खमया आइ।

विमल़ा कमल़ा वीजल़ा चख   भूंभल़ा सुचंग।
महिल़ा अकल़ा मंगल़ा,सकल़ कल़ा शिवसंग।

अवरी अमरी अपशरी,शीकोतरी सकत्त।
आशापुरी अगोचरी, माहेशरी  महत्त।

जगहरणी करणी जगत, सुर सामण सुभेद।
अशरण  शरणी अपरणी, वै वरणी  चत्रवेद।
         छंद त्रिभंगी
वेदाँ  वचाणी  पढे पुराणी क्रोड़  विनाणी  कतियाणी।
के काम कामाणी   अकह कहाणी, जय सुरराणी जगजाणी।
भाखै ब्रह्माणी तूं मन भाणी, अविरल  वाणी ऊदंडा  ।
रवराय रवेची  मुहमाडेची , चाल़कनेची   चामुंडा।१।

आशापुरी आई देव दुगाई , महण मंथाई मंहमाई।
सतसील सदाई जुथ जेताई, गाढ बढाई गरवाई।
दैतां दुखदाई सुराँ सहाई ,खिता उपाई नवखंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची, चाल़कनेची  चामुंडा।२।

सेवे ब्रमत्ती जत्ती सत्ती आद सगत्ती अवगत्ती।
पावन प्रकत्ती वेद वकत्ती तूं सुरसत्ती त्रिसगत्ती।
महमाय मुरत्ती उत्तम अत्ती सत्ती पत्ती पतसुंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची चालकनेची चामुंडा।३।

सुन्दर हंसलाल़ी सदा सुखाल़ी रम्मतियाल़ी रतियाली।
कोयला गिरवाल़ी धरण कमाल़ी बूढी बाल़ी बिरदाल़ी।
त्रिपुराचर ताल़ी मन मछराल़ी पाप प्रजाल़ी परचंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची चालकनेची चामुंडा।४।

केहरि असवारी अकन कुंवारी मास अहारी मेवारी।
धन पुहच तुहारी अज अवतारी तू भवनारी भवतारी।
पीयत रत पाडा मारण जाडा अहर अराडा अरिचंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची चालकनेची चामुंडा।५।

माता मातंगी उत्तम अंगी बाण सुचंगी वेदंगी।
त्रिचख अरधंगी लहर तरंगी निज भेदंगी नादंगी।
निहकल़ निकलंगी रिध सिध रंगी अजा उमंगी ऊदंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची चाल़कनेची चामुंडा।६।

वीराँ रा टोल़ां साथ सबोल़ां,झूल झकोल़ां रमझोल़ा।
धूपाँ ढगसोल़ां नित्त उधोल़ां होय किल़ोल़ां हींगोल़ा।
जोगण खेखट्टा रूप विकट्टा  खेल  झपट्टा  खल़खंडा।
रवराय  रवेची मुहमाडेची चाल़कनेची  चामुंडा।७।

उतरे आकासं विवरे वासं वलै़ विलासं कवल़ासं।
वडवडा तमासं हास हुलासं  जोत प्रकासं ऊजासं।
जग व्यापक जोई कल़े न कोई पारन होई पाखंडा।
रवराय  रवेची मुहमाडेची चाल़कनेची  चामुंडा।८।
                छप्पय
चालराय चामुंड  माड मांडण महमाया।
चरताली चंडिका कालिका कायम  काया ।
नवनेता भवनारि  नवे  दुर्गा नव  निद्धी ।
इम हमीर उच्चरै शरम  राखै हरसिद्धी।
सावत्री गौरी लखमी शकति, गुण रजतमो सतोगुणी।
बीसहथी धन्यधारी वडम,  जय जालंपा जोगणी।।
(कवि हमीर जी चारण कृत)
🙏🙏💐💐💐💐💐🙏🙏
जय माताजी री सा।
भूदेव आढा

 -दोहा-🌹
श्री हर सुत तां सिंवरू,
          वाणी विमल विचार ।
कंठ बसो कमलासणी,
           चारण विरद चितार।।
 राह विकट रागेश्वरी , 
             रह अगवाणी रोष।
टाल्या अने टाळसी,
         दुख सुख चारण दोष।।
अबै समय है औथियो,
                    रीतो बदले रोज।
जग खबरो लेता जको,
           खबर न अपणी खोज।।
करो कृपा मां कमला,
               विमला वाण विशेष।
अवरी सुत ने आपजो,
              अमर वाक आशीष ।। 
          🏽छंद--गयंदमालती🏽
आशीष सुत ने देय ओपर,
              विमल वाणी वाकता।
सुत राख शरणे मात सुरसत,
               देश हित मे दाखता।।
गुणगान करता मात रा गुण,
           परमाण कर व्है पोथिया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
        आज किण विद औथिया।।
 सनातन धरमो राख सुरसत,
                 साख वेणो सोजती।
परभात वचनो लेय पूरण,
             जगत जयोति जागती।।
वचन वातो जग देख विवरण,
               मुलक सारा मांनिया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
       आज किण विद औथिया।।
राज कज चालती राजनीति,
               सभा चारण शोभता।
पद कवराज पद पाय पूरण,
               अरथ नीति ओपता।।
हित प्रजा रे रेणव हरवळ,
                राज झंडा रोपिया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
     आज किण विद औथिया।।
सभासद पंडित पात शोभा,
             चमक आभा चारणो।
दिव्य शक्तिसुत देख दुनिया,
               करत पूजा कारणो।।
इष्ट मात तणो राख ईंहग,
                  परम सेवा पाविया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
       आज किण विद औथिया।।
ज्ञान करता कव छंद गाथा,
                 सरस गीतो शोभता।
मांनता कई राज महीपत,
             अवल उपमा ओपता।
सलाहकार रह राज सकवी,
               पद इच्छिता पाविया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
       आज किण विद औथिया।।
मरजाद राखी देश मरुधर,
              अदब इज्जत आपरी।
कुळ जात साखी वार कळजुग,
                 धीर खांडे धार री।।
समर्पण कर संस्कार सांमे,
              साच दाखी सांमिया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
       आज किण विद औथिया।।
देविया सिरे छत्रधार देवी,
                    हिगंलाजा होवती।
जनम लेवण कुळ मात जननी,
               जठर चारण जोवती।।
उजवाळ गोती अमर उज्ज्वल,
                 देव चारण दाखिया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
       आज किण विद औथिया।।
सिरमौर आवड़ मात सगती,
               सगत करनल सेणला।
देवल चंदू जांम देमां,
               समंद शीलां सोनला।।
परभात विरवड़ देय परचा,
               जात चारण जांणिया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
        आज किण विद औथिया।।
'जोरावर' अर्जी मांन जननी,
              अरज करनी आप सूं।
दिव्य लोक शक्ति देय भगती,
               परम  मुगती पाप सूं।।
एहसांन सुरसत पात ऊपर,
                वाक वांणी वापिया।
देवियांण वंशज चारण दिवस,
        आज किण विद औथिया।।
    कृत---जोरावर दान रतनू कलाऊ

 कर किरपा किनियाण, बेजां तूठी बिशहथी।
सेवग राखण शान,डाढ़ाळी मां डोकरी।।

आवै मां अवलम्ब, मनसा पूरण मावड़ी।
बिशहथी भुजलम्ब,किनियानी मां करनला।।

करता करुण पुकार, सुणतां हेलो सांभलै।
देवी लख दातार,लाखी ताणे लोवड़ी।।

सँवली रूप सजाय,पल मांही परमेसरी।
मेहाई महमाय, किनियानी मां करनला।।

अजय करत अरदास,संकट मेटण सेवगां।
करजै किरपा खास,निज भगतां पर करनला।।

अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत।।

: कर सोह त्रिशूल करणी,मारें दैत्य भोत।
कान्हें सुरजे कालु को,पल में मारी मोत।।१
सहाई भक्त सांतरी,उबारे रिधू आय।
धैन दुहता ध्यान धरी,तरणी शाह तराय।।२
शैखो लाई सिंध सूं,संवळी रुप सजाय।
काढ जैल किनियांण तूं,फैरा सुता बैठाय।।३
खारोङा सुणी करणी,पूरी अणद पुकार।
पलक में पहुंच गई,दुम्भी रूप ने धार।।४
शरण गिरधर बिठू सदा,चरणा में चित चाय।
आनंद करो ईशरी,लोवङ ओट लुकाय।।५
*****श्री करणी शरणम्*****
(गिरधारी बिठू,सींथल)

: मेटै दाळद मावड़ी, भरै भगत भंडार।
किनियानी मां करनला, देवी लख दातार।।

सुख सम्पत दे सांवठो, काटै कस्ट करूर।
जांगळधर री जोगणी, जगदम्बा जरूर।।

सोरा राखण सेवगां, हरती पीड़ हजार।
डाढ़ाळी मां डोकरी, करणीजी किरतार।।

ईड़ा पीड़ा ईसरी,देवी करती दूर।
किनियानी मां करनला, हरपल आप हजूर।।

कमधज अजेय करनला, गावै तव गुणगान।
चरणों मांगे चाकरी,दे भगती वरदान।।

अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत।।

 कव खेत कहे हेतसूं सुणजो सजन सुजान 
कविंद पूजो करनला सखरो दे सनमान 
,,पात उठत प्रभातरा हिवड़े कर कर हेत 
पूजा  करज्यो प्रेमसूं खरीज कहवे खेत 
चारण वरण चितारतां गादू देवे ग्यान 
आप उर में उतारल्यो धर हिरदा में  ध्यान 
कव खेत कहे कोडसूं सखरी समझण सीख 
भक्ती मुक्ती सुभ भावना भलाज लेओ भीख 
पैली नित उठ प्रभातरा सकल कुटुंब समेत
पात पुजहु परमेशरी हिये बढावण हेत 
सखरी सीखां  सुकवरी समझो सब सिरदार 
हरदम पातां हेतरी  धरल्यो चितमें धार 
खरी खरी कह खेतसा आण जगावे आप
पात दर्शन प्रभातरा धिणियाणी रा धाप 
खरीज खेती खेतरी सखरी सीख सबल्ल 
भलीज भगती भावना पावन भाव प्रबल्ल 
गादू गाडा ग्यानरा भक्ती भाव भरपूर 
पात पठावे प्रेमसूं नैणा निरखत नूर 
खरी बात कव खेतरी समझो सजनां सैण 
रटणे रामदी रसना निरखण नामी नैण 
भाग्य भलाज भगतरा रसना रोज रटंत 
करणी करणी कैवतां नैणां  नीर निरखंत
: आद भवानी आवड़ा,
               मही शिरोमण मात।
चालकनै मढ चण्डीका,
               सगती है साक्षात।
चालकनेची चालकना,
               मन्दिर मोटो मात।
अवतरी जठै आवड़ा,
               सगती बहनां सात।
चामुण्डा मार चालको,
               दानव लियो दबाय।
अवनी उण पर आवड़ा,
               सकव पुजत सदाय।
खुश राखै कव खेतसी,
               रोजाना दिन रात।
करे सफल मन कामना,
               वणी रखो हर वात।
भक्तवर ईशर भोम से,
               पात जोड़ कर पांण।
चालकनै मढ राय चवै,
               विदग खेत वखांण।



 ।।  जय मां डूंगर राय..!!
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गरज म्हारी सारो डूंगर राय।
महर कर मोड़ी मढ़ री माय।

इण कलिकाल जाळ बीच अम्बा,
पुत्र रियो दुख पाय।
सुझत नहीं अब ओर सहारो,
आप शरण गयो आय..।।
गरज म्हारी सारो डूंगर राय....(1)

मन चिंतित व्याकुल भयो मां,
हियो रियो अकुलाय।
लगन कर्म में दर ना लागे,
कहो करूं अब कांय।।
गरज म्हारी सारो डूंगर राय...(2)

आलस त्याग तुरन्त अब आओ,
मम बैल्यां महमाय।
बाट निहार रियो भुजलम्बा....
बड़प्पन लाज बचाय ।।
गरज म्हारी सारो डूंगर राय...(3)

रूप ब्रह्माणी मोड़ी मढ़ राजै,
साजे हद संकलाय।
हूं शरणागत मात तिहारो,
आशपुर्ण अब आय।।
गरज म्हारी सारो डूंगर राय..(4)

सुत रिछपाल बारठ शरणागत
अर्ज उच्चरे आय।
 बगसो मात वैभव सद्बुद्धि,
उर आनंद उपजाय।।
गरज म्हारी सारो डूंगर राय...
महर कर मोड़ी मढ़ री माय..
_________________________
  रिछपाल बारहठ रजवाड़ी रचित

: बालकिया ऊड़ीके आओ..
।।जय मां इंद्रेश।।
तर्ज -लाडकड़ी लाडेसर म्हारी जीण
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बाळकिया उड़ीकै आओ इंदर बाईसा।
ओ थांरै बिन बिगड़ी कौन बणावै ओ बाईसा।।

ऊभा सेवग  थांने  अरदास  करें।
देवै चरणां धौक थांरो ध्यान धरे।
ओ म्हारी अटकी नैया अब थे पार लगाओ ओ बाईसा...
बालकिया ऊड़िकै आओ इंदर बाईसा..

कुणनै कैवांकुण म्हारो काम करें।
सारी मैया थां सूं  म्हारी गरज सरे।
ओ अम्बे म्हारो अबकाळौ जन्म सुधारो ओ बाईसा।
बालकिया ऊड़िकै आओ इंदर बाईसा..


 विपदा मेटत राखो सारी, बात बणी।
धिन धिन धापूजाई म्हारा, मात धणी।।
ओ थांरे शरणागत नै,थे ही आय ऊबारो ओ बाईसा।
बालकिया ऊड़िकै आओ इंदर बाईसा..

करजोड़्यां रिछपाल थांनै, अर्ज करें।
भव दुख भंजत राखो मां,भंडार भरे।
ओ थांरे चरण कमल री भक्ति थे बगसाओ ओ बाईसा...
बालकिया ऊड़िकै आओ इंदर बाईसा..
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     रिछपाल बारहठ चारणवासी

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मां सूं पड़े न माँगणो , (वो) बिन मांगे बगसाय ।।
जननी बाळ जिवाड़णी , कायम हैं कहलाय।।1।।

जिका सोय विध जांणती , हरदम छोरू हाल ।।
इळा सिरे धिन ओपती , करणी मां किरपाळ ।।2।।

जननी सगळे जगत री , आद भवानी आप ।।
इळा वखत अनुसार ही , धिन राखी धणियाप ।।3।।

दियण नित्य दुनियाव में , मां परचा ममताळ ।।
बिन कह्यां मों बात की , रहो मात रखवाळ ।।4।।

आप सगत मां ऐक हो , जग जननी जगदम्ब ।।
 देवी तारण दास को , आय रूप धर अम्ब ।।5।।

दुनी बीच दुश्वारियां , आवे भले अनेक ।।
सो मेटण कज मावड़ी , हाजिर करणी हेक ।।6।।
🌹🙏🌹मीठा मीर डभाल🌹🙏🌹


: गीत-----प्रहास साणौर 
 
 है करनला मात तूं तात तूं हितकारणी,
           सिवरणी प्रात तूं भ्रात तूं जोर साया।
 अमर रख आत तूं जात तूं आरणी,
                    चारणी गात तूं सरब  छाया।।
विखमी दूठ कळु में जळु में वावळो , 
                       सावळो फळु में राख सेवी।
आपरी ओळु में दळु में ईमीरस , 
                        दैवजो चळु में आज देवी।।
औंगळी भुआ री सीध कर औंटळी,
                    सौंधली कुआ री डोर साखी।
शाहळी दुआरी करंतो सांभळी,
                      रावळी रुआ री टेक राखी।।
डूबते नीर तै भीर सुत डोकरी, 
                         धाकरी पीर यमराज धूजे।
वीर शेखा तणी मीर हद वापरी, 
                           दापरी साॅवळी तीर दूजे।।
नगर जोधांण बीकांण नीव रख,
                      पीव रख देसांण मांय पाटी।
सीम रख जैसांण दीवांण सगत रे,
                    दीव रख प्रमांण मथांण दाटी।।
विनायक चौथ जद यकायक वाहरी,
                       हाजरी अचानक ऊंट होवै।
विहारी सरायक लोचना विदारक, 
                      जाहरी सहायक बन्नो जोवै ।।
प्रवाड़ा रावळा मावड़ा क्षिती पर,
                      अनुचर धावड़ा सुथान आवै।
कावड़ा सावड़ा कृपा कर करनला,
                           प्रमाद डावड़ा फेर पावै।।
गिणावां विरद किम भणावां गवरजा,
                    जणावो अवरजा आप जाजा।
वणावो वीर सह दुणावो वामजा,
                      सबरजा सुणावो राख साजा।।
अभिनंदन करै कव नंदन आपरो,
                             कोपरो क्रंदंन फेट केवी ।
वंदन छै अम्बा आनंदन वापरो,
                             द्वदंन "जोर" रो मेट देवी।।
कृत-----जोरावर रतनू कलाऊ


 🙏🙏गीत--साणौर चढाऊ🙏🙏
कृत--- रेंवतदान रतनू कलाऊ
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ध्यान धर पुकारूं आवड़ा धण्यांणी,
        मावड़ा चढ झट शेर माथे।
ताकवां वंश रा मेटदो तावड़ा,
        सगतियां साथड़ा लाव साथे।।
देवला सैणला खूबड़ा देवियां,
       पधारो ताकड़ा बाघ पीठां।
विपदा विदगां मेटवा विरवड़ा,
       मात तूं देखजो ईमी मीठां।।
कृपा कर करनला पधारो कळाऊ,
      अधारो आपरा झाड़ आखा।
मोटवी मात तूं कृपा कर मावड़ी,
      लोवड़ी ओढणी रंग लाखा।।
कांमना पूरणी पधारो कामेही,
      सधारो सेवको जोय सांमो।
चारणो तारणी पधारो चामुंडा, 
      जात में लियो नवलाख जांमो।।
गोत ने जगावण पधारो गीगाई,
      सुधारण सांसणो सुरोराया।
पधारो राजला अरज सुण पातरी,
       जात री रुखालू जोगमाया।।
बूट ने बैचरा आवो सह बैनड़ी,
       लावो संग खेतला वीर साथे।
चारणो घरो रा विघन मेटजै चारणी,
       भेटजै तूं ही सुख संपत भाथे।।
रवेची माड़ेची ऊपरा राखजो,
       भवानी आपरी बीस भूजा।
टाबरो तणा थै रुखाळो टापरा,
        देवियों टाळजो विघन दूजा।।
चारण री विनती सांभळो चंडका,
       आगे ही आप तो वेग आया।
रेंवतो कहै मात सब राखजो,
       चारणा व्रन पर छत्रछाया ।।
कृत-रेंवतदान रतनू कलाऊ
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

: आद भवानी आवड़ा,
               मही शिरोमण मात।
चालकनै मढ चण्डीका,
               सगती है साक्षात।
चालकनेची चालकना,
               मन्दिर मोटो मात।
अवतरी जठै आवड़ा,
               सगती बहनां सात।
चामुण्डा मार चालको,
               दानव लियो दबाय।
अवनी उण पर आवड़ा,
               सकव पुजत सदाय।
खुश राखै कव खेतसी,
               रोजाना दिन रात।
करे सफल मन कामना,
               वणी रखो हर वात।
भक्तवर ईशर भोम से,
               पात जोड़ कर पांण।
चालकनै मढ राय चवै,
               विदग खेत वखांण।
(जय करणी खेतदान बारहठ भादरेस)
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