Karni Mata Chirja Lyrics
करणी माता चिरजा लिरिक्स
श्री करणी सुयस रुपक
रचियता
देविसुत हरि घोड़ारण
सर्व देव वन्दना
श्री गणपत सिर निवाय गुणुं, सुरसत रेज्यो साय।सुयस रिधू लिखवूं सही, मुझ विध्या अर्पो माय।।
शोभा रिध्दी सिध्दी साथ, हरणा विघन हमेश ।शुभ काजा आगणा सब, गणपत देव गणेश ।।
हर विधि ध्यान रखुं हरदम,तकू हिंये त्रीनेण।तिनु देवा विनहूं तोय, करणी रो जस केण।।
शगती मैं लीनी शरण, आयल चरणा आन।चरीत तव वणूं चावसुं, दिज्यो विध्या बुध्दि ज्ञान।।
समत लखि लंकेश भुजशत, पखि शुभ साल पचास।असु शुक्ल एकम किरत उचरि,अब मोहि पुरो आस।।
श्री शगती वन्दना
सामन्ध स्याय बणाय धरा सब कागज, लेखनि से बन लेवा।लेख लिखे हंसवाहि गजामुख, साथ हरी हर कोटिय देवा।तोयन तोय तणा चरिता जग, पाय सके नहि कोयन पारा।मोय हियें कर मात उजासहि, बाल प्रणामय बारम बारा।।
मात कृपा तव राम दशानन्न मार हि, वानर लंक उजारा।पान विषा रु करे शिव भांग धतू, गल नाग जटा गंग धारा।शेष शय्या विषणू नित सोवत, पाहर हाथ पे किसन धारा।पोख चराचर जीवन पालक,बाल प्रणामय बारम बारा।।
अम्ब कृपा सुरलोकन राज सुरेश, धरा सिर शेष हि धारे।चीर पंचालि बढाय सभा बिच, आय हरि गज राज उबारे।आग थम्बा भर बाथ पेलाद, नरां सिंघ रुप हिर्णा कुश मारा।आप उबारण लोक तिहूं अम्ब, बाल प्रणामय बारम बारा।।
चावंड चालक आप चण्डी, हिंगलाज दुर्गा अवतार अनेका।आवड़ तेमड़ शेणल बेचर, लाख नवां जग जोगण लेखा।सेल सुता अवतार सबे, इल तारण मां करणी अवतारा।मेह घरां गिरजा रुप मात हि, बाल प्रणामय बारम बारा।
सेल सुता अवतार सुवाप, सिधाय देपा घर सासरु साज्या।सेवग तारण दानव दाहण, जांगल देश हि आप विराज्या।ओरण गेहरि आंम ज्युं बेरि, संगामर मन्दिर शोभ निहारा।माढ सिला बनि मूरत मात रि, बाल प्रणामय बारम बारा।।
अवतार बतिसी
दोहा
विरदाली टाली विघन, छतराली रख छाय।जीरण तन मिलो जोगण, आयल बेगा आय।।
आयल थांरो आसरो,अम्बा थां पर आश।राखो चाकर रावलो, बसहूं चरणा बास।।
धरू ध्यान नित धिनियाणी, रटुं रसना दिन रात।डरप्या किण विध मो विरियां जग मात।।
नेणा निरखूं मात नह, ऊबे सनमुख आण।देवे दरशण डोकरी, भल वो उगे भाण।।
आय विराजो ईश्वरी,सेवग हिरदे सगत।चरित वणू तव चावसूं,आयल अर्पो उकत।।
छन्द जात त्रोटक
भव माण्डल भार अपार भयो।
लक सेल सुता अवतार लियो।
चण्ड मूण्ड दुराचर तेज छयो।
धर चावण्ड गात सिताब धर्यो।।
सुरलोकन देव पुकार सुनी ।
महिसासुर मारण आप बनी ।
खुन बीज घणा उतपात किया।
बहु रूप बणी भुजबीस विया।।
खल तेमड़ दूठ विनाश कियो।
भय ताप खिता मज माढ भयो।
करुणा संत साकड़ कूक करी।
धर आयल देह अलोकि धरी।।
पितु मामड़ धाम पवीत्र पगा।
सज बैनहि सात विमान संगा।
भगि लांगर होल गहोल बजी।
रुप आछिय छेछिय लूय सजी।।
खल तेमड़ डोहण आप कियो।
हथ माढ धरा भय आय हर्यो।
सुमरा धर राज विधूंश सही।
कुल भाटिय जेसल राज कही।।
अंग भ्रात डस्यो मुख गालि अही।सज काज बचावण गात सही।
अमि लेण सुरापुर खोड़ उठी ।
लक आयल भाण उजास लुटी।।
दधि हाकड़ राहज रोक धके ।
चलु ऐकल आवड़ सोख चखे।
निज पेट समेट समाय नप्यो।
रख नीर न नाम निसाण रख्यो।।
जग लोक सदा तव जाप जपे।
तव कीरत तीनुहि लोक तपे ।
इल आवड़ मात प्रवाड़ घणे।
घट ज्ञान नमा नर केम गुणे।।
धर भाग विभाग सुदेश धरे।
खल नीत नरेश हि राज करे।
चव ओर हि घोर अंधेर छबे।
प्रज पालक आप लुटेर फबे।।
संघ शासन वीन धराज सुने।
भल नेम विमूख नरेश बने ।
प्रज पालक पाथ प्रजेश तज्यो।
जन शोषण नेम धराज जच्यो।।
भल पाप धरा भरपूर भरी।
खल झूंड खपायर दूर करी।
करुणा अरदास सु सेव करी।
धिनियाण न आवण देर धरी।।
किनियाणिय आवड़ रूप कही।
मंझ धारण देह सुवाप मही।
सुर सेवग तारन साद सुणी।
धर आज बचावण आप धणी।।
किनियाण सदीस अपार कही।
सद मेह शिवा अवतार सही ।
करणी उज्ल देवल कोख करी।
धर भार उतारण देह धरी ।।
लय देवल कोख हि वास लिधो।
किनियाज उछाब अपार किधो।
सुत लाभ कि आस प्रवीन बनी
घर लेहर आज उछाब घनी।।
दस तीन हि मास बिताय दिया
नहिं आज तका अवतार लिया।
करणी गर्भवास हि खेल करे।
धर पाप निवार न देह धरे।।
घण ऐसि प्रसूति न देखि गही।
गम मोडि मुलाणिय बीच गही
गर्भ वास हि आप सराप दिना।
जग में सुत लाभय राख हिना।।
गर्भ बीसज मास हि बीत गयो।
किनिया कुल सोच अपार कियो।
द्विय देवल रेण दर्शान दिना।
गर्भवास हि मास इकीस गिना।।
कथ मेहल बोल मुखाज किया।
दर्श आप शिवा मुज रोज दिया।
किनिया घर सोल कला करणी।
गिरजा अवतार लियो धरणी।।
चवदा शत सूमत आप चुनी।
शुभ साल चमालिस आज सुनी।
मधु सात सुदी भ्रगुवार मही।
लख सेलसुता नक्ष पूख लही।।
सुर मूनिय कीरत गान सबे।
अवतार धिनो उण रोज अम्बे।
शंक नाद विधी मुर लोक सुण्यो.
वंश चारण आज उजास वियो।।
सुर लोक सुं आय विमान पुगे।
बरसान सिन्दूर हि फूल लगे ।धिनियाणिय ध्यान भुतेश धरे।
खड़ियो सुरनायक पूज करे ।।
विधि वीष्णु सदा गुण गान करे।
शशि ईन्द्र दिनेश हि ध्यान धरे।
शिव आप रटे दिन रात जसू।
दिग पाल हि शीश जुकात दसू।।
रट नारद शारद शेष रटे।
भल गावत गूण गणेश बटे।
तव ध्यान लगा मुनि रोज तपे।
जग सूर शशी गृह जाप जपे।।
चढ केहरि देव दर्शान दिया।
तुलजा मुध्द हाथ त्रिभाग लिया।
दल कोटि तिसा तिन ध्यान धरे।
सब देव खड़े जय कार करे।।
सर्व देव मिले अरदास करी।
संत सेवग मात हि काज सरी।
खल झूण्ड धराज विनाश करे।
दल दानव दोहण देह धरे।।
करणी दुख देवन दूर कियो।
दिति पूत खपां वरदान दियो।
करणी निज मात अचेत किया।
दर्श आप शिवा संग देव दिया।।
कर जोड़ सुरा अरदास करी।
पठ देव गये सुर लोक पुरी।
धर बालक देह दुर्गाज धरी।
कर आप हि मात सचेत करी।।
दर्श देवि अलोक मुर्छाय दिना।
कठरूप कन्या जण कोख किना।
सच मेह वधू भ्रम जाण सही।
रख देवल भेद छिपाय रही।।
भल देव पुरीय सुवाप बनी।
घण कोड खुशी चव ओर घनी।
सखियाकंठ कोकिल गान सुरे।
सुर्य देव पुजाण तयारि सरे ।।
खट नौ इक आढि श्रण्गार करे।
दख चीर जरी रवि दूति धरे।
नग हेम जड़े अलंकार अंगा।
सज देवल आयल लेय संगा।।
विधि वीष्णु चांवर चोक पुरे।
मंत्र वेध मुखाज बखाण करे।
कर वेल पुला नख योग किया।
धर नाम उमा रु रिधेश दिया।।
घण हेत छन्दाज बतीस गुणी।
धर आज हरी रिधुराज धणी।
करणी बिख बेर भुल्याज किया।
छतरालिय लोवड़ राख छिंया।।
दोहा
गण हेत छन्द बतीस गुण, अरपण किना आय।विघन मो इल व्यापे नहिं सब दिन करणी सहाय।।
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