Mata Chirja Lyrics , Doha, chhand,करणी माता चिरजा लिरिक्स दोहा छंद
Karni Mata Chirja Lyrics
करणी माता चिरजा लिरिक्स
प्रातः उठ बैठ कर
झट निज खोल कर
नेणों सूं निहार कर
मात को पुकारिये।
मन मो समर कर
गळे मूरत दरश कर
दृग कोय स्पर्श कर
ऊमा को उचारिये।।
धरा को सलाम कर
जय करणी बोलकर
खाट सूं उतर कर
विशहथ विचारिये।।
सुख रो उगेगो सूर
पावो मांन भरपूर
नित खुशी रेवे नूर
चित सूं चितारिये।।
जय श्री करणी मॉ ⛳👏👏
(कवि राजन झणकली)
।। आदेश क्रोड़ माँ आवड़ा ।।
।। स्तुति श्री आवड़ माँ की ।।
।। छन्द : भुजंग प्रयात ।।
क्रमश .....
12
नमो तैमड़े मंढ़ तर्णोट राया ।
नभैची नमो साबड़ा मंढ़ राया ।
नमो माढ़रेणी, नमो सांगियांणी ।
नमो मात भोजासरी कत्तियांणी ।।
13
नमो मात बीजासणी बीसहाथा ।
नमो चालनेंची नमो आद माता ।
नमो व॔श काछैल री भाण बाई ।
नमो साहबाणी नमो मात आई ।।
14
नमो तूँ नभां रे पहाड़ा रि राया ।
नमो लट्टियाळी नमो देग राया ।
नमो वर्ण ऊजासणी बीसहाथा ।
नमो राज राजेश्वरी विश्व माता ।।
15
नमो आस पूर्णा नमो मामड़ाळी ।
नमो भादरीया धणी घंटियाळी ।
नमो ब्राजणी बीच नौ लाख देवी ।
नमो दास री भावना नैह भैवी ।।
क्रमश .....
(अन्तस री अरदास पुस्तक सू )
विनीत:- जयसिंह सिंढ़ायच मण्डा
राजसमन्द
आज मिगसर पुर्णिमा ,का पावन दिवस माँ करणी के सादर चरणां में नमन करता कवि भंवरदान माड़वा मधुकर जेसलमेर आपको क,अक्षर सें लेकर ज्ञ,,अक्षर तक के ,दोहै ,चोकड़ियै ,प्रति दोहा उसी अक्षर से चार तुकां का मेल होगा सबसे पहलैमाँ करणी को वंदन फिर ,,क,,सें उचारण सादर निजर जय माँ करणी ।
क,,सें चाहे करणी कहो ,
क,,सें कहो किनियान ।
क,,कहतां ही मधुकरा ,
क,,सुणता माँ कान ।
ख,,उचारत होवत खुशी ,
ख,,सुणती मात खास ।
ख भणतां ही दुख टलै ,
ख,कहतां सुख पास ।
ग..सुणता गोविन्द गुणी ,
ग,,करतां अगराज ।
ग,,तणी मधुकर गरीमा ,
ग, तारता गजराज ।
घ,,सुणता माँ हर घड़ी ,
घ,,करै जो बघघाट ।
घ,,कहतां मानव घणा ,
घ,,टलै ओघट घाट ।
ड़,,कहतां माँ रड़ सुणै ,
ड़,,धुन छँद रुड़ड़ाट ।
ड़,उचार भेरु अड़बड़े ,
ड़,,सुण आय अड़ड़ाट ।
च ,,पुकार सुणै चारणी ,
च,चलतीय बड चाल ।
च,,सुणतां माँ बबर चढै ,
च,हथां चकर चढाल ।
छ,,कहतां देखो छती ,
छ,,मधुकर रिछपाल ।
छ,,करणी किया छत्रियां ,
छ,कयां माँ छतराल ।
ज,,उचारतां जोयलो ,
ज,बोलत जयकार ।
ज,सदाय जगतम्ब जपो ,
ज दियो मात जिकार ।
झ,,अमरत तणो झरणो ,
झ माखण मिले झाग ।
झ,कय करणी शिर झुका ,
झ,भमरिया तुझ भाग ।
ञ क्यू खाली आप को,
ञ नही करत उदास ।
ञ झट सुणै आय इशरी ,
ञ,,पुरावत नर आस ।
ट,,आखर पढता टणका ,
ट,,मधुकर लिख टाल ।
ट,,सुणै लिछमां टहलती ,
ट,भरती टंकसाल ।
ठ,उचारत तो ठाकरां ,
ठ,,बणावत माल ठाठ।
ठ,करणी करै ठावका ,
ठ,मधुकर घरां थाठ ।
ड,,डिंगल सुणै डोकरी ,
ड,,तणी ओ डणकार ।
ड,,मधुकर माँ डाढाली ,
ड,,दियै संपती डार ।
ढ,,प्रघला ढिगला करै ,
ढ,दियै माया ढार ।
ढ,नही मधुकर ढकोसला ,
ढ,अयां वरण अढार ।
ण,,अंत आखर नारायण ,
ण,,अंत करणी नाम ।
ण,,मधुकर श्रवणै सुणै ,
ण,,करतां परणाम ।
त,,कहतां मां तैमड़ा ,
त,,सुण हरती ताप ।
त,,भवां मधुकर तारणी ,
त,,कय मिटत संताप ।
थ,,करणी हियै थापना ,
थ,भणतां शुभ थाय ।
थ,,कहतां आनंद थिरा ,
थ,,उर भमर थपाय ।
द,,रीझत सब देवता ,
द ,दिल रा दरियाव ।
द,,रीझक मां दिरावती ,
द,लगे मधुकर दाव ।
ध,,रटता जो वसुंधरा ,
ध,पावत घण धान ।
ध,,उचारतां मधूकरा ,
ध,,कहतां धनवान ।
न,,कबू बिसारो करणी ,
न,कबू भुलो प्रणाम ।
न ,कबू मधुकर नींद में ,
न,,कबू छोडो नाम ।
प,,सुणै मधुकर पार्थना ,
प,सुणतां माँ पास ।
प,कहतां करै पूरती ,
प,कयां हियै प्रकास ।
फ,,कहतां कारज सफल ,
फ,नही होवत फेल ।
फ,फाबत मुख फुठरो ,
फ,,ज्यु सुगन्द फुलेल ।
ब,करणी कर बंदगी ,
ब,कर भमर बखान ।
ब,कहे सो आगे बढै ,
ब,उचारण सु बांन ।
भ,,भगती करो भगवती ,
भय दुख दूर भगान ।
भ,उचारतां भमरिया ,
भणक सुणत भगवान ।
म,,माँ कहतां मेहाई ,
म,,सुणै सगत महान ।
म,अरजी तो मधुकरा ,
म,,माई ले मान ।
य,,कह भीजत यशोधरा ,
य,रीझत यदुराय ।
य,मधुकर पराक्रम यही ,
य,,पढतां यस थाय ।
र,,पुकारत माँ रीधू ,
र,रटिया महाराज ।
र,,कहतां मां रंक को ,
र,,रीझत दिय राज ।
ल लियै शरणो नवलखां ,
ल,हियै अवस लगाड।
ल,कयां मधुकर लाभसी ,
ल,दियां मायड़ लाड ।
व,,उचारण कर वंदना ,
व ,वणता विधावान ।
व मधुकर विभो वधै ,
व,पावत नर वरदान ।
श,,सुणतां शिव शगती शही ,
श,शुधी बुधी शुधार ।
श,,भण भंमर शंशार में ,
श घण विध शुभकार ।
ष,,भव कर्म सुधरै षटै ,
ष,उण रहता षोष ।
ष,मन कबू ना मषोषता ,
ष,शुध भमर परोष ।
स,,समरतां मां सगती ,
स,भगती सुख आन ।
स,मधुकर दियै सुरसती ,
स,वधती उवां सान ।
ह,हिंगलाज मां हमारी ,
ह,कयां ना हुय हान ।
ह,सुणै मधुकर हरषता ,
ह,वीरा हनूमान ।
क्ष,दुष्टां तणा क्षय करै ,
क्ष आखर क्षय जान ।
क्ष करणी मधुकर क्षमा ,
क्ष, तै पाप क्षय मान ।
त्र,कय रिझत त्रिलोक पती ,
त्र,रिझावत त्रिपुरार ।
त्र मधुकर अती त्रृष्णा ,
त्र,,करणी त्रीष्कार।
ज्ञ,उचारता ज्ञानी जन ,
ज्ञ,,भण भाजत अज्ञान ।
ज्ञ मधुकर मिलै ज्ञानियां ,
ज्ञ,,कथां पावत ज्ञान ।
*॥ माता हिंगळाज ॥*
*|| दोहा ||*
चाहत जिणने वृंद सुर,चारण सिध्ध मुनीन्द्र।
ढूंढत है नित ध्यान मंह,करण सृष्टि सुखकंद॥1॥
मो सम को नंह पातकी,तौ सम कौण दयाळ।
डुबत हुं भवसिंधु मंह,तार जणणी ततकाळ॥2॥
कोटि अकोटि प्रकाश कर,वेद अनंत वे अंश।
जगत जणेता जोगणी, विडारण दैतां वंश॥3
*||छंद: नाराच||*
विडारणीय दैत वंश सेवगाँ सुधारणी।
निवासणी विघन अनेक त्रणां भुवन्न तारणी।
उतारणी अघोर कुंड अर्गला मां अर्गला।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥1॥
रमे विलास मंगळा जरोळ डोळ रम्मिया।
सजे सहास औ प्रहास आप रुप उम्मिया।
होवंत हास वेद भाष्य वार वार विम्मळ।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥2॥
रणां झणां छणां छणां विलोक चंड वाजणां।
असंभ देवि आगळी पडंत पाय पेखणां।
प्रचंड मुक्ख प्रामणा तणां विलंत त्रावळां।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥3॥
रमां झमां छमां छमां गमे गमे खमा खमा।
वाजींत्र पे रमत्तीये डगं मगं तवेश मां।
डमां डमां डमक्क डाक वागि वीर प्रघ्घळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥4॥
सोहे सिंगार सब्ब सार कंठमाळ कोमळा।
झळां हळां झळां हळां करंत कान कुंडळा।
सोळां कळा संपूर्ण भाल है मयंक निरमळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥5
छपन्न क्रोड शामळा करंत रुप कंठळा।
प्रथी प्रमाण प्रघ्घळा ढळंत नीर धम्मळा॥
वळे विलास वीजळा झमां झऴो मधंझळा।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥6॥
नागेशरां जोगेशरां मनंखरा रिखेशरां।
दिनंकरां धरंतरां दशे दिशा दिगंतरां।
जपै *“जीवो”* कहे है मात अर्गला मां अर्गला।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥7॥
*कवि :~* जीवा भाई रोहडिया( बचुभाइ ) वढवाण
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